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Saturday, 5 October, 2024
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इंडिगो मामला: डीजीसीए ने तीन सदस्यीय तथ्यान्वेषण टीम का गठन किया

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नयी दिल्ली, नौ मई (भाषा) भारत के विमानन नियामक डीजीसीए ने दिव्यांग बच्चे को रांची हवाई अड्डे पर हैदराबाद जाने वाले इंडिगो विमान में सवार होने से रोके जाने के मामले में तीन सदस्यीय ”तथ्यान्वेषण” टीम का गठन किया है। अधिकारियों ने सोमवार को यह जानकारी दी।

नागिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) ने एक बयान में कहा, ”वे रांची और हैदराबाद जाकर आज से एक सप्ताह के अंदर पर्याप्त साक्ष्य एकत्रित करेंगे। जांच रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी। ”

इंडिगो के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) रोनोजॉय दत्ता ने इस घटना पर सोमवार को खेद व्यक्त किया और दिव्यांग बच्चे के लिए इलेक्ट्रिक व्हीलचेयर खरीदने की पेशकश की।

दत्ता ने कहा कि एअरलाइन के कर्मचारियों ने कठिन परिस्थितियों में सबसे बेहतर निर्णय लिया।

उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने ट्विटर पर कहा कि किसी भी इंसान के लिए इस तरह की परिस्थिति पैदा नहीं होनी चाहिए और वह खुद रांची में हुई घटना की जांच कर रहे हैं।

इस बीच, राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने कहा है कि झारखंड पुलिस इंडिगो के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करे क्योंकि यह प्रथम दृष्टया दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम की धारा-7 का उल्लंघन है, जिसमें सजा का प्रावधान है।

एनसीपीसीआर के अध्यक्ष प्रियांक कानूनगो ने डीजीसीए से इस मामले में जांच शुरू करने और एअरलाइन व उसके प्रबंधक के खिलाफ आवश्यक कार्रवाई करने को कहा है।

रविवार को कुछ यात्रियों ने सोशल मीडिया पर इस मामले को उठाया, जिसके बाद तेजी से घटनाक्रम बदलते देखा गया।

डीजीसीए प्रमुख अरुण कुमार ने रविवार को ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि विमानन नियामक ने इस मामले में इंडिगो से रिपोर्ट मांगी है। उन्होंने कहा कि डीजीसीए घटना की जांच कर रहा है और उचित कार्रवाई करेगा।

दत्ता ने एक बयान में कहा, ”हम दुर्भाग्यपूर्ण अनुभव के लिए प्रभावित परिवार से माफी मांगते हैं और उनके बेटे के लिए एक इलेक्ट्रिक व्हीलचेयर खरीदने की पेशकश करना चाहते हैं।”

दरअसल, इंडिगो ने दिव्यांग बच्चे को रांची हवाई अड्डे पर विमान में सवार होने से रोक दिया क्योंकि वह ‘‘घबराया’’ हुआ था। चूंकि लड़के को विमान में चढ़ने से रोक दिया गया था, लिहाजा उसके माता-पिता ने भी उड़ान में सवार नहीं होने का निर्णय किया।

इस घटना के संबंध में सोशल मीडिया पर एक पोस्ट पर टिप्पणी करते हुए सिंधिया ने सोमवार को ट्वीट किया, ‘‘ऐसे बर्ताव को बिलकुल भी सहन नहीं किया जाएगा। किसी भी व्यक्ति को ऐसी स्थिति से नहीं गुजरना पड़े। स्वयं मामले की जांच कर रहा हूं, जिसके बाद उचित कार्रवाई की जाएगी।’’

मनीषा गुप्ता नाम की एक यात्री ने लिंक्डइन पर इस घटना की विस्तार से जानकारी दी है। उसने कहा कि शनिवार को रांची हवाई अड्डे पर एक दिव्यांग किशोर को काफी असुविधा हुई।

उसने कहा, ‘‘हवाई अड्डे तक की यात्रा से हुई थकावट और फिर सुरक्षा जांच के तनाव से वह भूखा, प्यासा, बेचैन और भ्रमित हो गया। उसके माता-पिता जाहिर तौर पर जानते थे कि उसे कैसे संभालना है – धैर्य के साथ, गले लगाकर।’’

मनीषा गुप्ता ने बताया कि जब तक विमान में सवार होने की प्रक्रिया शुरू हुई तब तक बच्चे को खाना खिला दिया गया और उसकी दवाएं दे दी गयीं। उन्होंने कहा, ‘‘फिर हमने क्रूर ताकत का पूरा प्रदर्शन देखा। इंडिगो कर्मियों ने घोषणा की कि बच्चे को विमान में सवार होने नहीं दिया जाएगा क्योंकि उससे अन्य यात्रियों को खतरा है। इंडिगो के प्रबंधक ने भी ‘इस तरह के बर्ताव और नशा किए यात्रियों पर कुछ कहा, जिससे वे यात्रा करने के योग्य नहीं होते।’’

उन्होंने कहा कि अन्य यात्रियों ने दृढ़ता से इसका विरोध किया और उन्होंने मांग की कि बच्चे और उसके माता-पिता को जल्द से जल्द विमान में सवार होने दिया जाए।

इस यात्री ने कहा कि कई यात्रियों ने इंडिगो के फैसले को नियम पुस्तिका में लिखे बयानों के आधार पर चुनौती दी।

यात्री ने कहा, ‘‘उन्होंने अपने मोबाइल फोन पर उच्चतम न्यायालय के फैसलों पर समाचार लेख और ट्विटर पोस्ट दिखाए कि कोई भी एअरलाइन दिव्यांग यात्रियों से भेदभाव नहीं कर सकती। चिकित्सकों का एक दल भी इसी विमान में सवार था। उन्होंने बच्चे तथा उसके माता-पिता को बीच रास्ते में कोई कठिनाई होने पर पूरी सहायता देने की पेशकश की।’’

उन्होंने बताया कि इस पर भी, इंडिगो कर्मियों ने बच्चे को विमान में सवार होने से रोकने का अपना निर्णय नहीं बदला।

घटना के बारे में पूछे जाने पर, इंडिगो ने रविवार को कहा, ‘‘यात्रियों की सुरक्षा को देखते हुए, एक दिव्यांग बच्चा सात मई को अपने परिवार के साथ उड़ान में सवार नहीं हो सका क्योंकि वह घबराया हुआ था।’’

एअरलाइन ने कहा कि कर्मचारियों ने आखिरी समय तक बच्चे के संयमित होने की प्रतीक्षा की किंतु कोई लाभ नहीं हुआ। इसने कहा कि एअरलाइन ने उन्हें होटल में ठहरने की सुविधा दी और उन्होंने अगली सुबह अपने गंतव्य के लिए उड़ान भरी।

इंडिगो ने कहा, ‘‘हमें यात्रियों को हुई असुविधा के लिए खेद है। इंडिगो एक समावेशी संगठन होने पर गर्व करता है, चाहे वह कर्मचारियों के लिए हो या उसके ग्राहकों के लिए और 75,000 से अधिक दिव्यांग यात्री हर महीने इंडिगो के साथ उड़ान भरते हैं।’’

भारत की सबसे बड़ी विमानन कंपनी इंडिगो के विमानों से मार्च में देश के भीतर 58.61 लाख यात्रियों ने यात्रा की, जो डीजीसीए के आंकड़ों के अनुसार घरेलू बाजार का 54.8 प्रतिशत हिस्सा है।

भाषा जोहेब नेत्रपाल

नेत्रपाल

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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