नयी दिल्ली, 22 जुलाई (भाषा) भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने सरकारी कर्मचारियों के हिंदूवादी संगठन की गतिविधियों में भाग लेने पर लगाए गए प्रतिबंध को हटाने के केंद्र के कदम की सोमवार को सराहना की। संघ ने कहा कि इस फैसले से देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था मजबूत होगी।
संघ ने आरोप लगाया कि अतीत में पूर्ववर्ती सरकारों ने प्रतिबंध लगाकर अपने राजनीतिक हितों को आगे बढ़ाने का काम किया।
भाजपा नेता और केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि 1966 में सरकारी कर्मचारियों के आरएसएस की गतिविधियों में शामिल होने पर प्रतिबंध लगाने का कांग्रेस सरकार का फैसला राजनीतिक कारणों से प्रेरित था।
उन्होंने संवाददाताओं से कहा कि कांग्रेस की राष्ट्रवादी संगठनों के प्रति हमेशा नकारात्मक मानसिकता रही है और ऐसी सोच का देश में कोई स्थान नहीं है।
उन्होंने दावा किया कि प्रतिबंध हटाने के मोदी सरकार के फैसले की आलोचना करने वाले विपक्षी दल केवल तुष्टिकरण की राजनीति में रुचि रखते हैं और उन्होंने हिंदुओं के प्रति नकारात्मक रवैया प्रदर्शित किया है।
गोयल ने आरएसएस को एक राष्ट्रवादी संगठन बताया, जिसके सदस्य देशभक्ति से भरे हुए हैं।
प्रतिबंध हटाए जाने के सरकारी आदेश के सार्वजनिक होने और कई विपक्षी नेताओं द्वारा इस कदम की आलोचना किए जाने के एक दिन बाद आरएसएस के प्रवक्ता सुनील आंबेकर ने एक बयान में कहा, ‘‘सरकार का मौजूदा निर्णय उचित है और यह भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था को मजबूत करता है।’’
उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पिछले 99 वर्षों से लगातार राष्ट्र के पुनर्निर्माण और समाज की सेवा में लगा हुआ है।
उन्होंने कहा, “राष्ट्रीय सुरक्षा, एकता-अखंडता और प्राकृतिक आपदा के समय में समाज को साथ लेकर चलने में संघ के योगदान के कारण देश के विभिन्न स्तर के नेतृत्व ने समय-समय पर संघ की भूमिका को सराहा है।”
आंबेकर ने आरोप लगाया, “राजनीतिक हितों के कारण तत्कालीन सरकार ने सरकारी कर्मचारियों के संघ जैसे रचनात्मक संगठन की गतिविधियों में हिस्सा लेने पर बेबुनियाद प्रतिबंध लगा दिया था।”
भाषा संतोष दिलीप
दिलीप
यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.