गोंडा (उत्तर प्रदेश), 26 अप्रैल (भाषा) उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले की मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट अदालत ने फर्जी मुकदमे में फंसाने और उत्पीड़न करने के आरोप में आठ पुलिस उपनिरीक्षकों और 12 सिपाहियों के खिलाफ परिवाद दर्ज करने के आदेश दिये हैं। मामले की सुनवाई आगामी 17 मई को की जाएगी।
परिवाद दायरकर्ता मुकेश तिवारी के अधिवक्ता डी. पी. मिश्र ने मंगलवार को ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि जिले के थाना कोतवाली देहात क्षेत्र के इमलिया मिश्र गांव के जरवलिया मजरे के निवासी मुकेश तिवारी की शिकायत पर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट अदालत ने सोमवार को आठ दारोगाओं और 12 सिपाहियों तथा मुख्य आरक्षियों के खिलाफ जान से मारने की धमकी देने और फर्जी मुकदमे में फंसाने के आरोप सम्बन्धी शिकायत को परिवाद के रूप में दर्ज करके साक्ष्य प्रस्तुत करने का आदेश दिया है। मामले की सुनवाई की तिथि 17 मई तय की गयी है।
मिश्र ने बताया कि मुकेश की शिकायत है कि उसकी जमीन के अगल-बगल कोई रास्ता न होने के बावजूद वर्ष 2014 में उसके विरोधी पक्ष के लोग उसकी जमीन पर सड़क बनवाने लगे थे। उन्होंने बताया कि मना करने पर विरोधी पक्ष के लोगों ने उसे और परिजनों को मारा पीटा। मिश्र ने बताया कि इस सम्बंध में उसने विरोधी पक्ष के लोगों के खिलाफ थाना कोतवाली देहात में अभियोग दर्ज कराया। उन्होंने बताया कि उसके कुछ दिन बाद कोतवाली देहात में ही तैनात विपक्षियों के रिश्तेदार उपनिरीक्षक द्वय दिग्विजय नाथ शाही व बी एन सिंह ने विपक्षी की ओर से भी मुकेश के खिलाफ मुकदमा दर्ज करा दिया।
अधिवक्ता ने बताया कि पुलिस ने वर्ष 2014 में ही विपक्षी की तरफ से दर्ज कराए गए मुकदमे का आरोपपत्र तो अदालत में दाखिल कर दिया, लेकिन मुकेश द्वारा दर्ज कराए गए मुकदमे का आरोपपत्र अदालत नहीं भेजा गया। उन्होंने बताया कि इसके बाद दोनों उपनिरीक्षक उसकी भूमि पर जबरन सड़क बनवाने व मुकदमे में सुलह समझौता करने का दबाव बनाने लगे। उन्होंने बताया कि तत्कालीन लकड़मंडी चौकी प्रभारी दिग्विजय नाथ शाही ने 20 जनवरी 2018 को जिले के इटियाथोक थाने में लूटे गये एक ट्रैक्टर की फर्जी बरामदगी मुकेश के घर से दिखाकर उसे मुकदमे में फंसा दिया।
मिश्र ने बताया कि 27 अप्रैल 2018 को आत्मसमर्पण के लिए अदालत में जाते वक्त कचेहरी के गेट पर दारोगा दिग्विजय नाथ शाही, तत्कालीन एसओजी प्रभारी व धानेपुर थाने की पुलिस ने मुकेश को फर्जी मुठभेड़ में मार डालने की नीयत से पकड़ लिया। उन्होंने बताया कि पुलिस अधीक्षक के पेशकार के थाने में फोन करने पर उसकी जान बच सकी। उन्होंने बताया कि पीड़ित के प्रार्थना पत्र पर सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने आरोपी पुलिस कर्मियों के खिलाफ परिवाद दर्ज करने के आदेश दिये।
उन्होंने बताया कि जिन पुलिसकर्मियों के खिलाफ परिवाद दर्ज किया गया है, उनमें शामिल उपनिरीक्षकों समेत कई पुलिसकर्मियों का गैरजनपद में तबादला हो गया है।
भाषा सं सलीम अमित
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