एसएमपीपी प्राइवेट लिमिटेड ने सेना के लिए 1.86 लाख विशेष बुलेटप्रूफ जैकेट की आपूर्ति की है, जो कि मोदी सरकार की ‘मेक इन इंडिया’ पॉलिसी के सिलसिले से संबंधित है।
नई दिल्लीः रक्षा मंत्रालय ने बुलेटप्रूफ जैकेट की आपूर्ति के लिए भारतीय निर्माता के साथ 639 करोड़ रुपये के अनुबंध पर हस्ताक्षर किए हैं, यह कदम मोदी सरकार की ‘मेक इन इंडिया’ नीति के साथ समन्वय में है।
स्वदेशी कंपनी, एसएमपीपी प्राइवेट लिमिटेड, सेना में 1.86 लाख जैकेट की आपूर्ति करेगी। इससे पूर्व बुलेटप्रूफ उत्पादों की आपूर्ति वायु सेना, नौसेना, अर्धसैनिक बलों और गुजरात, जम्मू एवं कश्मीर तथा उत्तर प्रदेश जैसे विभिन्न राज्यों के पुलिस बलों को की गई है।
बुलेटप्रूफ जैकेट और ग्रीन पैकेजिंग
इन जैकेटों में बोरान कार्बाइड सिरेमिक होगा, जो इसे वजन में इन्हें अत्यंत हल्का बनाता है और ‘360 डिग्री सुरक्षा’ प्रदान करता। सिरेमिक सामग्री, बुलेट को रोकने के लिए सबसे अच्छी सामग्री में से एक है और साथ ही यह बुलेट को रोकने वाला अब तक का सबसे हल्का पदार्थ है। एसएमपीपी के कार्यकारी निदेशक आशीष कंसल के अनुसार, उनकी कम्पनी ऐसी जैकेट बनाने वाली दुनिया की पांच कंपनियों में से एक हैं। 2017 में, रक्षा मंत्रालय ने एसएमपीपी को बुलेटप्रूफ जैकेट के लिए प्रौद्योगिकी पुरस्कार दिया था।
कंपनी ने ‘ग्रीन पैकेजिंग’ का निर्माण करके एक स्थायी पारिस्थितिकी तंत्र को संरक्षित करने का दावा किया है जो कि शराब की बोतलों और अन्य मद्यसार की सुरक्षा के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। यह पैकेज पुनर्नवीनीकृत लुगदी से बना है और यह ऑटोमोटिव, मेडिकल, इलेक्ट्रॉनिक, घरेलू और कार्यालय उत्पादों के लिए उपयोग किया जाता है।
रक्षा निर्माण में पहली स्वदेशी कंपनी
1991 में एसएमपीपी गोला बारूद के निर्माण को अनुमति देने वाली पहली निजी भारतीय कंपनियों में से एक बन गई थी जब रक्षा क्षेत्र निजी उद्योग के लिए बंद किया गया था। इस कंपनी को रक्षा मंत्रालय द्वारा रक्षा/औद्योगिक लाइसेंस दिया गया था, यह कंपनी दहनशील कारतूस, बुलेटप्रूफ जैकेट, वाहन कवच और विमान कवच का निर्माण करती है।
इस कंपनी की शुरुआत 1985 में आईआईटी-बॉम्बे के पूर्व छात्र डॉ एस. सी. कंसल ने की थी, जिन्होंने रसायन इंजीनियरिंग में पीएचडी की डिग्री प्राप्त की थी, पिछले वित्त वर्ष में कंपनी का कारोबार 100 करोड़ रुपये से अधिक था।
एसएमपीपी प्रारंभ में एक घरेलू उत्पादक,अब जर्मनी, फ्रांस, ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन, रूस और इजराइल जैसे देशों को सुरक्षा के साधन निर्यात करती है।