मुंबई, 26अप्रैल (भाषा) बंबई उच्च न्यायालय ने कहा है कि लोकल ट्रेन मुंबई की लाइफलाइन हैं और अगर कोई व्यक्ति खचाखच भरी ट्रेन में चढ़ने की कोशिश के दौरान गिर कर घायल हो जाता है,तो यह ‘‘प्रतिकूल घटना’’ के दायरे में आएगा और रेलवे को मुआवजा देना होगा।
न्यायमूर्ति भारती डांगरे की एकल पीठ ने पश्चिमी रेलवे को 75 वर्षीय एक बुजुर्ग को तीन लाख रुपये हर्जाने के तौर पर देने के निर्देश दिए। ये बुजुर्ग व्यक्ति खचाखच भरी एक लोकल ट्रेन से गिर गए थे और उनके पैरों में चोट आई थी।
12 अप्रैल के इस आदेश की प्रति मंगलवार को उपलब्ध हो सकी।
पश्चिम रेलवे ने अपने तर्क में कहा कि मामला रेलवे अधिनियम की धारा 124 (ए) के प्रावधानों के तहत नहीं आता है, जिसमें कहा गया है कि अप्रिय घटनाओं के मामलों में मुआवजे देना होगा।
रेलवे ने दावा किया कि याचिकाकर्ता नितिन हुंडीवाला ने चलती ट्रेन में चढ़ने की कोशिश की।
न्यायमूर्ति डांगरे ने रेलवे के तर्क को मानने से इनकार कर दिया और कहा कि वर्तमान मामला स्पष्ट रूप से अधिनियम की धारा 124 (ए) के तहत ‘अप्रिय घटना’ के दायरे में आता है।
याचिकाकर्ता ने दावा किया कि दुर्घटना से वह आज तक परेशान हैं और उन्हें चलने फिरने और भारी सामान उठाने में कठिनाई होती है।
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