मुंबई, 25 अप्रैल (भाषा) महाराष्ट्र के गृह मंत्री दिलीप वालसे पाटिल ने सोमवार को कहा कि राज्य सरकार के लिए लाउडस्पीकर लगाने या हटाने का कोई प्रावधान नहीं है।
उन्होंने इस मुद्दे पर बुलायी गयी एक सर्वदलीय बैठक के बाद पत्रकारों से कहा कि उच्चतम न्यायालय द्वारा लाउडस्पीकर पर आदेश दिए जाने के बाद से केंद्र को दिशा-निर्देश तैयार करने चाहिए।
राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने बैठक का बहिष्कार किया।
महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) प्रमुख राज ठाकरे भी बैठक में शामिल नहीं हुए।
पाटिल ने राज ठाकरे का नाम लिए बिना कहा, ‘‘कुछ राजनीतिक दल लाउडस्पीकर के इस्तेमाल पर नियमन की मांग कर रहे हैं और इसके लिए एक समय सीमा तय कर दी है।’’
राज ठाकरे ने राज्य सरकार को तीन मई तक मस्जिदों के ऊपर से लाउडस्पीकर हटाने का ‘अल्टीमेटम’ दिया है।
पाटिल ने कहा कि सर्वदलीय बैठक में यह फैसला किया गया कि सरकार राज्य में कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए हरसंभव कदम उठाए और उसी के अनुरूप काम करे। उच्चतम न्यायालय ने 2005 में लाउडस्पीकरों के इस्तेमाल के संबंध में फैसला सुनाया था। इसके बाद कई अन्य अदालतों ने भी इस संबंध में निर्णय दिए हैं।
उन्होंने कहा कि “तदनुसार, महाराष्ट्र सरकार ने लाउडस्पीकरों के उपयोग और समय व ‘डेसिबल’ सीमा आदि को लेकर 2015-17 के बीच कुछ जीआर (सरकारी प्रस्ताव) और परिपत्र जारी किया। इसके आधार पर ही राज्य में लाउडस्पीकरों का प्रयोग किया जाता है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ऐसा कोई प्रावधान नहीं है कि सरकार लाउडस्पीकर लगाने या हटाने का फैसला कर सकती है। जिन लोगों ने लाउडस्पीकर लगाए हैं, जो लोग इसका इस्तेमाल करते हैं, उन्हें नियमों का ध्यान रखना होगा।’’
इस बीच भाजपा ने धार्मिक स्थलों पर लाउडस्पीकर के इस्तेमाल से संबंधित निर्देशों पर चर्चा करने के लिए महाराष्ट्र के गृह विभाग द्वारा बुलाई गई सर्वदलीय बैठक का बहिष्कार किया और पूछा कि क्या राज्य के गृह मंत्री दिलीप वालसे पाटिल के पास इस पर कोई निर्णय लेने का अधिकार है।
राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता देवेंद्र फडणवीस ने पत्रकारों से कहा कि इस मुद्दे पर उनकी पार्टी का रुख बहुत स्पष्ट है कि इस मामले में अदालतों द्वारा दिए गए निर्देशों का कड़ाई से पालन किया जाना चाहिए।
पाटिल ने कहा कि ‘अजान’ के मुद्दे पर भी चर्चा हुई। उन्होंने कहा कि यदि एक समुदाय के खिलाफ कोई रूख लिया जाता है, तो अन्य समुदायों पर उसके परिणामों पर भी विचार किया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा, ‘‘जब एक विशेष समुदाय के खिलाफ रूख लिया जाता है तो अन्य समुदायों पर इसके क्या परिणाम होते हैं, धार्मिक आयोजनों (इस पर भी विचार किया जाना चाहिए) क्योंकि गांवों में भजन, कीर्तन, आरती होती है।’’
राज्य के पर्यटन मंत्री और शिवसेना नेता आदित्य ठाकरे ने इसे ‘गैर-राजनीतिक’ मुद्दा करार दिया, जिसे ‘राजनीतिक’ बनाया जा रहा है।
फडणवीस ने कहा, “पहले, हम पूरे नवरात्र में जागते थे, गरबा खेलते थे, भजन बजाते थे। गणेश चतुर्थी पर मध्यरात्रि तक कार्यक्रम होते थे। उच्चतम न्यायालय ने जैसे ही रात 10 बजे के बाद लाउडस्पीकर के इस्तेमाल पर रोक लगाई, हमने उसका सख्ती से पालन किया। हम केवल 15 दिन इसका उपयोग करते हैं, जिसके लिए छूट प्राप्त है।”
भाषा
देवेंद्र माधव
माधव
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