नयी दिल्ली, 13 मई (भाषा) अहमदाबाद स्थित सीबीआई की विशेष अदालत ने 27 साल पहले एक रसोइये की हिरासत में हुई हत्या के मामले में वायुसेना के दो अवकाश प्राप्त अधिकारियों और एक सेवारत अधिकारी को उम्रकैद की सजा सुनाई है। अधिकारियों ने शुक्रवार को यह जानकारी दी।
उल्लेखनीय है कि गुजरात के जामनगर स्थित वायुसेना ठिकाने में गिरिजा रावत नामक रसोइये को नवंबर 1995 में कैंटीन से शराब चोरी करने के संदेह में यातना दी गई थी जिससे उसकी मौत हो गई थी।
विशेष न्यायाधीश एनडी जोशी की अदालत ने बृहस्पतिवार को जामनगर एयरफोर्स-I में तत्कालीन स्क्वाड्रन लीडर अनूप सूद और तत्कालीन सार्जेंट केएन अनिल और महेंद्र सिंह सहरावत को दोषी करार दिया।
केंद्रीय एजेंसी के मुताबिक इस मामले में सात लोगों को आरोपी बनाया गया था जिनमें से तीन लोगों को अदालत ने बरी कर दिया जबकि एक आरोपी की सुनवाई के दौरान मौत हो गई थी।
सूद, वायुसेना से ग्रुप कैप्टन के पद से अवकाश प्राप्त हो चुके हैं और अपने सोशल मीडिया प्रोफाइल में प्रेरक कार्यक्रम के वक्ता और एनएसजी से कमांडो का प्रशिक्षण प्राप्त बताते हैं।
अनिल भी वायुसेना से अवकाश प्राप्त कर चुका है लेकिन सहरावत अब भी वायुसेना में सेवारत है।
उल्लेखनीय है कि रावत की पत्नी की याचिका पर गुजरात उच्च न्यायालय ने मामले की जांच केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई)से कराने का आदेश दिया था। केंद्रीय एजेंसी ने 22 फरवरी 2012 को मामले की जांच अपने हाथ में ली थी।
सीबीआई के प्रवक्ता आरसी जोशी ने बताया, ‘‘….यह आरोप था कि 13 नवंबर 1995 को स्क्वॉड्रन लीडर अनूप सूद सहित 10-12 वायुसेना पुलिस के अधिकारियों ने रावत के आवास की तलाशी ली और वायुसेना की कैंटीन से शराब चोरी का गुनाह कबूल करने के लिए मजबूर किया।’’
उन्होंने बताया कि रावत की पत्नी उसी दिन शाम को पति को रिहा कराने के लिए गार्ड रूम गई।
जोशी ने बताया,‘‘उन्हें (पत्नी को) बताया गया कि जल्द उनके पति को रिहा कर दिया जाएगा। आरोपियों ने कथित तौर पर उसे यातना दी जिससे उसकी मौत हो गई। 14 नवंबर 1995 को पत्नी को रावत की मौत की जानकारी दी गई और शव ले जाने को कहा गया।’’
उन्होंने बताया कि सीबीआई ने मामले की गहन जांच के बाद 30 जून 2013 को आरोपियों के खिलाफ आपराधिक षडयंत्र और हत्या के मामले के तहत आरोप पत्र दाखिल किया।
जोशी ने बताया, ‘‘हाल में निचली अदालत ने आरोपियों को दोषी करार दिया और सजा सुनाई। तीन आरोपियों को मामले में अदालत ने बरी किया है जबकि एक आरोपी की सुनवाई के दौरान मौत हो गई थी।’’
भाषा धीरज मनीषा उमा
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