तिरुवनंतपुरम, 24 जून (भाषा) केरल में विपक्षी कांग्रेस नीत यूडीएफ ने पास के मुथलापोझी बंदरगाह में बार-बार नाव पलटने की घटनाओं में लोगों की मौत होने को लेकर सोमवार को राज्य की वाम सरकार की आलोचना की और इस मुद्दे का स्थायी समाधान निकालने में विफल रहने का आरोप लगाते हुए विधानसभा से बहिर्गमन किया।
मुथलापोझी, एक तटीय गांव है जहां एक नदी और एक झील अरब सागर में मिलती हैं, तथा हाल के वर्षों में इसके आसपास के क्षेत्रों में 70 से अधिक लोगों के मारे जाने तथा बड़ी संख्या में नौकाएं पलटने की घटनाएं होने की सूचना है।
संयुक्त लोकतांत्रिक मोर्चा (यूडीएफ) सदस्यों ने आरोप लगाया कि सरकार मछुआरों की सुरक्षा सुनिश्चित करने और क्षेत्र में दुर्घटनाओं को कम करने के लिए अल्पकालिक या दीर्घकालिक कार्यक्रमों को लागू करने में विफल रही है। हालांकि राज्य सरकार ने दावा किया कि उसने इस मुद्दे को हल करने के लिए ‘मानवीय रूप से संभव सभी कदम’ उठाए हैं।
शून्यकाल के दौरान मत्स्य पालन मंत्री साजी चेरियन ने तटीय गांव में सरकार द्वारा अब तक उठाए गए विभिन्न कदमों की जानकारी दी और स्पष्ट किया कि सदन में इस पर किसी चर्चा की आवश्यकता नहीं है।
जब विधानसभा अध्यक्ष ए एन शमशीर ने मंत्री के तर्क पर विचार करते हुए विपक्ष के स्थगन प्रस्ताव के नोटिस को स्वीकार करने से इनकार कर दिया, तो यूडीएफ सदस्यों ने विरोध स्वरूप सदन से बहिर्गमन की घोषणा की।
चेरियन ने माना कि मुथलापोझी में बार-बार हो रही दुर्घटनाएं और मौतें दुखद और परेशान करने वाली हैं। उन्होंने सदन को भरोसा दिलाया कि अगले डेढ़ साल में इसका स्थायी समाधान निकाल लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि यह कोई राजनीतिक मुद्दा नहीं है और इसे सुलझाने के लिए राज्य और केंद्र सरकार की संयुक्त पहल, सत्तारूढ़ और विपक्षी दलों का सहयोग जरूरी है।
मंत्री ने कहा कि रेत की पट्टी का निर्माण, उच्च ज्वार और मौसम की चेतावनी की अनदेखी करके मछुआरों का समुद्र में जाना, क्षेत्र में बार-बार होने वाली दुर्घटनाओं के कारणों में से हैं। विपक्ष की आलोचना को खारिज करते हुए चेरियन ने कहा कि तलहटी से कीचड़ आदि साफ करने की गतिविधियां प्रगति पर हैं और अदाणी पोर्ट्स ने बंदरगाह के मुहाने से 80 प्रतिशत मलबे और पत्थरों को हटा दिया है।
चेरियन ने यह भी कहा कि मुथलापोझी में समस्याओं का स्थायी समाधान ढूंढने के लिए 164 करोड़ रुपये की परियोजना का प्रस्ताव केंद्र को सौंपा गया है, जिसे केंद्र सरकार से सैद्धांतिक मंजूरी मिल चुकी है।
उन्होंने कहा कि यदि निविदा प्रक्रिया दो महीने के भीतर शुरू कर दी जाए तो यह कार्य डेढ़ साल के भीतर पूरा हो सकता है, जिससे गांव की समस्याओं का स्थायी समाधान हो जाएगा।
हालांकि, इस मुद्दे पर कार्य स्थगन प्रस्ताव का नोटिस देने वाले कांग्रेस विधायक एम विंसेंट ने मंत्री के दावों को खारिज किया और सरकार पर केवल बैठकें बुलाने और कोई ठोस कार्रवाई किए बिना अध्ययन करने का आरोप लगाया।
उन्होंने कहा कि मछुआरों को मौसम की चेतावनी के बावजूद समुद्र में जाने के लिए मजबूर होना पड़ा क्योंकि उन्हें अपने परिवारों का पेट भरना था। इस मुद्दे पर सरकार की आलोचना करते हुए, विपक्ष के नेता वी डी सतीशन ने आरोप लगाया कि अधिकारियों ने कोई कार्रवाई न कर, असहाय मछुआरों को किस्मत के भरोसे छोड़ दिया है।
आंकड़ों का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि पिछले 8-9 वर्षों में मुथलापोझी में 73 मौतें और 120 नाव दुर्घटनाएं हुई हैं। उन्होंने कहा कि 700 से अधिक लोग घायल हुए, सैकड़ों घर क्षतिग्रस्त हुए और नावों सहित लाखों रुपये के उपकरण नष्ट हो गए।
उन्होंने आरोप लगाया कि हालांकि अदाणी समूह को बंदरगाह के मुहाने से मिट्टी और कीचड़ हटाने का काम सौंपा गया था, लेकिन वे इसमें पूरी तरह विफल रहे। उन्होंने कहा कि गहराई तभी बढ़ाई जा सकती है जब समुद्र में पड़े पत्थरों को हटाया जाए। विपक्ष के नेता ने सरकार पर अदाणी पोर्ट्स के साथ मिलीभगत का भी आरोप लगाया।
सरकार सदन में मुथलापोझी मुद्दे पर चर्चा करने की इच्छुक नहीं थी इसलिए बाद में यूडीएफ सदस्यों ने सदन से बहिर्गमन किया।
भाषा अमित नरेश
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