नयी दिल्ली, 22 जून (भाषा) गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत गठित एक न्यायाधिकरण ने मुस्लिम लीग जम्मू कश्मीर (मसरत आलम गुट) और तहरीक-ए-हुर्रियत, जम्मू कश्मीर पर पांच साल का प्रतिबंध लगाने के केंद्र के फैसले को शनिवार को उचित ठहराया।
दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश सचिन दत्ता की अध्यक्षता में एक सदस्यीय न्यायाधिकरण का गठन जनवरी में आतंकवाद रोधी कठोर कानून यूएपीए के तहत किया गया था ताकि यह आकलन किया जा सके कि प्रतिबंध लगाने के लिए ‘पर्याप्त कारण’ था या नहीं।
प्रतिबंध को बरकरार रखते हुए न्यायाधिकरण ने कहा कि दोनों संगठन जम्मू कश्मीर के पाकिस्तान में विलय को साकार करने और केंद्र शासित प्रदेश में इस्लामी शासन स्थापित करने के लिए सीमा पार से मदद लेकर घाटी में अलगाववादी गतिविधियों को अंजाम दे रहे थे।
न्यायाधिकरण ने केंद्र की इस दलील को भी बरकरार रखा कि ये संगठन लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) और हिजबुल मुजाहिदीन जैसे पाकिस्तानी आतंकवादी संगठनों की तरफ से काम कर रहे थे और घाटी में आतंकवादी अभियानों को अंजाम देने के लिए लगातार जमीनी समर्थन दे रहे थे।
अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी और अधिवक्ता रजत नायर ने न्यायाधिकरण के समक्ष सरकार का प्रतिनिधित्व किया।
केंद्र शासित प्रदेश में राष्ट्र-विरोधी और अलगाववादी गतिविधियों में शामिल होने के चलते मुस्लिम लीग जम्मू कश्मीर (मसरत आलम गुट) को सरकार ने 27 दिसंबर, 2023 को यूएपीए के तहत पांच साल के लिए प्रतिबंधित कर दिया था।
अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी द्वारा स्थापित तहरीक-ए-हुर्रियत को 31 दिसंबर, 2023 को पांच साल के लिए प्रतिबंधित कर दिया गया था। गिलानी की मृत्यु हो चुकी है। संगठन पर जम्मू कश्मीर में आतंकवाद को बढ़ावा देने और भारत के खिलाफ दुष्प्रचार करने के लिए प्रतिबंध लगाया गया था।
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने प्रतिबंध लगाते हुए कहा था कि तहरीक-ए-हुर्रियत के नेता और सदस्य जम्मू कश्मीर में आतंकवादी गतिविधियों का समर्थन करने और सुरक्षा बलों पर पथराव करने सहित गैरकानूनी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए पाकिस्तान और उसके छद्म संगठनों सहित विभिन्न स्रोतों से धन जुटाने में शामिल रहे हैं।
मंत्रालय ने कहा था कि तहरीक-ए-हुर्रियत और उसके सदस्य अपनी गतिविधियों से देश के संवैधानिक प्राधिकार और संवैधानिक व्यवस्था के प्रति अनादर दिखाते हैं और गैरकानूनी गतिविधियों में लिप्त रहे हैं, जो देश की अखंडता, संप्रभुता, सुरक्षा और सांप्रदायिक सद्भाव के लिए हानिकारक हैं।
मुस्लिम लीग जम्मू कश्मीर (मसरत आलम गुट) पर प्रतिबंध लगाते हुए मंत्रालय ने कहा था कि यह देश में आतंक फैलाने के इरादे से जम्मू कश्मीर में राष्ट्र-विरोधी और अलगाववादी गतिविधियों में संगठन की संलिप्तता के जवाब में किया गया है।
मसरत आलम भट अपने भारत विरोधी और पाकिस्तान समर्थक प्रचार के लिए जाना जाता है।
सैयद अली शाह गिलानी की मृत्यु के बाद भट हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के कट्टरपंथी गुट का अध्यक्ष बना। फिलहाल वह जेल में है।
मंत्रालय ने एक अधिसूचना में कहा था कि मुस्लिम लीग जम्मू कश्मीर (मसरत आलम गुट) का उद्देश्य जम्मू कश्मीर को भारत से आजाद कराकर पाकिस्तान में मिलाना और इस्लामी शासन स्थापित करना है।
भाषा अमित संतोष
संतोष
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