मुंबई ,12 मई (भाषा) मुंबई के एक चिकित्सक ने संशोधित चिकित्सकीय गर्भपात अधिनियम 2021 के कई ‘‘अस्पष्ट’’ प्रावधानों के स्पष्टीकरण के लिए उच्चतम न्यायालय का रुख किया है।
याचिकाकर्ता डॉ निखिल दातार ने इससे पहले कानूनी रूप से गर्भपात कराने की अवधि 20सप्ताह से बढ़ाकर 24 सप्ताह कराने के भी प्रयास किए थे और इस मुद्दे को वह उच्चतम न्यायालय तक ले गए थे।
उन्होंने ‘पीटीआई-भाषा’को बताया कि संशोधित कानून में सात श्रेणियां हैं, जो 24सप्ताह तक चिकित्सकीय गर्भपात के लिए मान्य हैं।
डॉ दातार ने कहा कि इनमें ‘‘गर्भावस्था के दौरान वैवाहिक स्तर में बदलाव ( विधवा होना अथवा तलाक) होना शामिल है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ इस श्रेणी में वैवाहिक स्तर को महत्व दिया गया है। लेकिन इसमें उन्हें शामिल नहीं किया गया है जो अविवाहित हैं, या जो लिवइन में रह रही हैं या जिन्होंने गर्भावस्था के दौरान तलाक के लिए अर्जी दी है।’’
डॉ दातार ने कहा कि इसमें अकेली महिला को भी शामिल नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि याचिका इस माह की शुरुआत में दाखिल की गई है और उसके सुनवाई के लिए शीघ्र सूचीबद्ध होने की संभावना है।
उन्होंने कहा कि नया कानून बलात्कार का शिकार हुई नाबालिग लड़की के मामले में 24 सप्ताह तक चिकित्सकीय गर्भपात की अनुमति देता है, लेकिन विभिन्न उच्च न्यायालयों और यहां तक कि उच्चतम न्यायालय ने अधिक सहानुभूति वाला रुख अपनाया है और नाबालिगों के लिए 32 सप्ताह तक चिकित्सकीय गर्भपात की अनुमति दी है।
डॉ दातार ने कहा,‘‘ इस प्रकार से यह प्रावधान प्रतिगामी है।’’
भाषा
शोभना उमा
उमा
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