भोपाल, 25 अप्रैल (भाषा) मध्य प्रदेश में पिछले 107 दिन में कुल 17 बाघों की मौत हुई है, जिनमें से तीन का शिकार किया गया। यह जानकारी एक अधिकारी ने सोमवार को दी।
उन्होंने कहा कि रविवार को बांधवगढ़ बाघ अभयारण्य के बफर जोन में एक मादा बाघ शावक मृत पाई गई। आशंका जताई जा रही है कि किसी वयस्क नर बाघ के हमले से इस शावक की मौत हुई है।
अधिकारी ने कहा, ‘‘आठ जनवरी से 24 अप्रैल के बीच राज्य में कुल 17 बाघों की मौत हुई है। इसमें से शिकारियों ने तीन का शिकार किया है। इन तीन में से दो को बिजली का करंट लगाकर मारा गया।’’
उन्होंने कहा, ‘‘राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण की रिपोर्ट के अनुसार पिछले साल एक जनवरी से 31 दिसंबर के बीच मध्यप्रदेश में 42 बाघों की मौत हुई, जबकि देश भर में कुल 127 बाघों की मौत हुई थी।’’
सामाजिक कार्यकर्ता एवं वन्यजीव संरक्षण के लिए काम कर रहे गैर-सरकारी संगठन ‘प्रयत्न’ के संस्थापक अजय दुबे ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि प्रदेश में बाघों की इतनी बड़ी तादात में इसलिए मौत हो रही है, क्योंकि इनके लिए जंगल में शिकार करने के वास्ते हिरण जैसे जानवरों की कमी है। इसके अलावा, ये बाघ इलाके को लेकर होने वाली आपसी लड़ाई में भी जान गंवा रहे हैं।
दुबे ने स्थिति को चिंताजनक करार देते हुए कहा कि वन विभाग को घास के मैदानों को विकसित करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए ताकि हिरण जैसे जानवरों की संख्या बाघों के इलाकों में बढ़ायी जा सके।
इन दावों का खंडन करते हुए एक वन अधिकारी ने कहा कि बाघों के लिए जंगल में शिकार की कोई कमी नहीं है और न ही घास के मैदानों की कमी है।
अधिकारी ने कहा कि शिकारियों के कारण केवल तीन बाघों की मौत हुई, जिसके बाद सतर्कता बढ़ा दी गई, जबकि बाकी मौतें प्राकृतिक कारणों से हुईं।
राष्ट्रीय बाघ आकलन रिपोर्ट 2018 के अनुसार, देश में सबसे अधिक 526 बाघ मध्यप्रदेश में हैं।
भाषा रावत शफीक
शफीक
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