जयपुर, 18 जुलाई (भाषा) राजस्थान के बांसवाड़ा जिले के मानगढ़ धाम में सांसद राजकुमार रोत ने बृहस्पतिवार को कहा कि एक प्रतिनिधिमंडल भील समुदाय के लिए अलग राज्य के प्रस्ताव के साथ राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मुलाकात करेगा।
गुजरात और राजस्थान सहित पड़ोसी राज्यों से भील जनजाति के लोग बड़ी संख्या में जनसभा के लिए मानगढ़ धाम में एकत्र हुए थे। यह स्थान आदिवासी समुदाय का पूजनीय स्थल है।
आदिवासी नेताओं द्वारा आयोजित रैली में भारत आदिवासी पार्टी (बीएपी) के सांसद रोत ने कहा कि ‘भील प्रदेश’ के गठन की मांग लंबे समय से लंबित है और उनकी पार्टी इस मुद्दे को पूरी ताकत से उठा रही है। उन्होंने कहा, ‘‘भील प्रदेश की मांग नयी नहीं है। बीएपी इस मांग को जोरदार तरीके से उठा रही है।’’
सांसद ने कहा, ‘‘महारैली के बाद एक प्रतिनिधिमंडल प्रस्ताव के साथ राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री से मुलाकात करेगा।’’
उन्होंने कहा कि वह इस मुद्दे को लोकसभा में भी उठाएंगे।
इस मांग को उठाने के लिए आसपुर से बीएपी विधायक उमेश मीना और धरियावाद से पार्टी विधायक थावरचंद डामोर भील राज्य की मांग वाली टी-शर्ट पहनकर राजस्थान विधानसभा पहुंचे।
रोत ने ‘एक्स’ पर लिखा, ‘‘1913 में मानगढ़ पर 1500 से अधिक आदिवासियों का बलिदान सिर्फ भक्ति आंदोलन के लिए नहीं था, भील प्रांत की मांग के लिए था।’’
आदिवासी समुदाय राजस्थान, महाराष्ट्र, गुजरात और मध्य प्रदेश के 49 जिलों को मिलाकर ‘भील प्रदेश’ बनाने की मांग कर रहा है।
रैली में आदिवासी महिला मेनका डामोर ने कहा कि आदिवासी हिंदू नहीं हैं और उन्होंने आदिवासी महिलाओं से मंगलसूत्र न पहनने और सिंदूर न लगाने को कहा।
उन्होंने यह भी कहा कि आदिवासी और हिंदू समुदाय की संस्कृति अलग-अलग है। उन्होंने कहा, ‘मैं न तो मंगलसूत्र पहनती हूं और न ही सिंदूर लगाती हूं। मैं कोई व्रत भी नहीं रखती हूं।’
उन्होंने यह भी कहा कि स्कूलों को भगवान का घर बना दिया गया है, जबकि इसका इस्तेमाल सिर्फ बच्चों को शिक्षा देने के लिए किया जाना चाहिए। डामोर स्कूलों में होने वाले विभिन्न कार्यक्रमों का जिक्र कर रही थीं।
उन्होंने कहा, ‘हमारे स्कूलों को देवी-देवताओं का घर बना दिया गया है। यह शिक्षा का मंदिर है, वहां कोई उत्सव नहीं होना चाहिए।’
भाषा कुंज आशीष
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