पत्नी को प्रताड़ित करने या त्याग देने वाले एनआरआइ दूल्हों की बढ़ती संख्या के मद्देनजर सरकार उन्हें अपराधी घोषित करने के लिए कानून बनाने पर विचार कर रही है.
नई दिल्ली: ‘फरार एनआरआइ पतियों’ पर नकेल कसने के लिए केंद्र सरकार ऐसा कानून बनाने की सोच रही है कि सरकारी अधिकारी उनकी संपत्ति जब्त कर सकें. ‘दिप्रिंट’ को जानकारी मिली है कि विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने 6 नवंबर को हुई एक सरकारी बैठक में इस तरह का प्रस्ताव रखा, जो कानूनी दृष्टि से विवादास्पद हो सकता है.
इसके अलावा सरकार इस संभावना पर भी विचार कर रही है कि ऐसे पतियों को घोषित अपराधी की श्रेणी में डाला जा सकता है या नहीं. एनआरआइ पतियों से ब्याही गईं भारतीय महिलाओं की शिकायतों का इसी काम के लिए गठित समेकित नोडल एजेंसी के जरिए निबटारा करने के कई उपायों पर भी सरकार गौर करती रही है.
इन मामलों पर भारतीय कानून को लागू करने में सीमाओं के कारण सरकार ने अब तक इनके निबटारे के लिए कई कदम उठाए हैं. मसलन, विवाहों का पंजीकरण कानूनी तौर अनिवार्य करना, एनआरआइ संबंधी सेवाओं के लिए वेबसाइट बनाना जिन पर फरार पतियों के लिए समन को अपलोड किया जाए. 6 नवंबर को हुई बैठक के ब्यौरे के मुताबिक सरकार ने सुझाव दिया है कि ‘‘अगर तीन नोटिसों/ समनों के बाद भी फरार पति खुद को अदालत में प्रस्तुत नहीं करता अदालत उसकी संपत्ति जब्त कर सकती है.’’
हालांकि इस कदम की कानूनी वैधता पर ही सवाल उठाया जा सकता है, विवरण के मुताबिक, कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने ‘‘एक कदम आगे बढ़कर सुझाव दिया कि दोषी पति के माता-पिता और रिश्तेदारं की संपत्ति को जब्ती के कानून के दायरे में लाया जाए.’’ वैसे, उन्होंने स्पष्ट किया कि ‘‘जैसे ही दोषी पति भारत की अदालत में हाजिर होगा, संपत्ति जब्त करने की धारा निष्प्रभावी हो जाएगी.’’
एक सरकारी सूत्र ने अपना नाम न जाहिर करते हुए कहा, ‘‘हम हमेशा के लिए संपत्ति जब्त करने पर विचार नहीं कर रहे हैं. शादी के गवाह रहे पति या उसके माता-पिता या रिश्तेदारों की संपत्ति अस्थायी तौर पर ही जब्त करने पर विचार किया जा रहा है.’’
‘दिप्रिंट’ को जानकारी मिली है कि फिलहाल इस मामले की समीक्षा कानून तथा न्याय मंत्रालय कर रहा है. उसने सवालों का कोई जवाब नहीं दिया. महिला तथा बाल विकास मंत्रालय के सचिव समेकित नोडल एजेंसी के प्रभारी हैं. इस एजेंसी में कानून और विदेश मंत्रालयों के अधिकारी भी शामिल हैं.
सूत्र का कहना है कि हालांकि स्वराज और महिला तथा बाल विकास मंत्रालय की मंत्री मेनका गांधी ने परित्यक्त एनआरआइ पत्नियों के मामले को कई बार उठाया है, लेकिन दोषी पतियों के साथ ही उसके रिश्तेदारों की संपत्ति भी जब्त करने का प्रस्ताव ‘फिसलन भरी ढलान’ साबित हो सकता है.
विदेश मंत्रालय के राज्यमंत्री जनरल (रिटा.) वी.के. सिंह के मुताबिक, सरकार को पिछले तीन वर्षों में एनआरआइ पतियों द्वारा परित्यक्त भारतीय पत्नियों की कुल 3328 शिकायतें मिली हैं. उन्होंने लोकसभा को बताया कि इन शिकायतों में पति और उसके परिवार द्वारा प्रताड़ना, विदेश लौट चुके पति से संपर्क कट जाने की शिकायतं के अलावा भारत में मुकदमों की अदालती कार्यवाही के लिए समन पहुंचाने में मदद की अपील, और बच्चे पर दावे आदि के मामले भी हैं. पिछले महीने नोडल एजेंसी ने पहल करते हुए 10 दोषियों के पासपोर्ट रद्द करने की मांग की.