चंडीगढ़़, 23 अप्रैल (भाषा) पंजाब में ‘जुगाड़ रेहड़ी’ को प्रतिबंधित करने के फैसले का विपक्षी पार्टियों द्वारा किए गए विरोध के बाद राज्य की पुलिस ने शनिवार शाम को पुरानी मोटरसाइकिलों का इस्तेमाल कर बनी इन ‘जुगाड़ गाड़ियों’ के खिलाफ अभियान स्थगित कर दिया।
नए निर्देश में अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (यातायात) ने जिला पुलिस प्रमुखों से कहा है कि इन ‘जुगाड़ रेहड़ी’ के मालिकों के खिलाफ अगले आदेश तक कोई कार्रवाई नहीं की जाए।
नए निर्देश में पुलिस से कहा गया है कि वे चालकों में जागरूकता फैलाएं कि उनके नवोन्मेषी वाहन दुर्घटना प्रकृति के हैं और कानूनी रूप से अवैध हैं।
पुलिस का नया निर्देश विपक्षी पार्टियों द्वारा पुलिस के ‘जुगाड़ रेहड़ी’ को प्रतिबंधित करने के लिए पहले के आदेश की कड़ी आलोचना करने के बाद आया।
अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (यातायात) द्वारा 18 अप्रैल को लिखे गए पत्र में राज्य के पुलिस आयुक्तों और जिला पुलिस प्रमुखों को इस तरह की जुगाड़ रेहड़ी के खिलाफ विशेष अभियान चलाने का निर्देश दिया गया है।
पंजाब के विपक्षी दलों ने पुलिस के इस कदम के बाद आम आदमी पार्टी के नेतृत्व वाली राज्य सरकार पर निशाना साधा और कहा कि इस तरह का प्रतिबंध हजारों लोगों को बेरोजगार कर देगा।
जुगाड़ रेहड़ी चलाने वाले लोगों ने भी राज्य सरकार के इस निर्णय की आलोचना की और सवाल उठाया कि अब वे किस तरह अपनी आजीविका कमाएंगे।
इस तरह की रेहड़ी को बेहद पुरानी हो चुकी मोटरसाइकिल से लकड़ी की ठेली को जोड़कर बनाया जाता है, जिसका उपयोग अक्सर सामान की ढुलाई के लिए किया जाता है, कई बार इनका इस्तेमाल यात्रियों को भी ढोने के लिए किया जाता है।
शिरोमणि अकाली दल के वरिष्ठ उपाध्यक्ष दलजीत सिंह चीमा ने शनिवार को जारी एक बयान में कहा कि यह प्रतिबंध हजारों लोगों के लिए एक झटका साबित हुआ है।
चीमा ने कहा कि बिना जमीनी हालत का अध्ययन किए केवल आदेश जारी कर देना एक अच्छी शासन व्यवस्था का परिचायक नहीं है। उन्होंने कहा कि प्रतिबंध का आदेश जारी करने से पहले भगवंत मान सरकार को ऐसे लोगों की आजीविका के वैकल्पिक अवसरों के बारे में निर्णय लेना चाहिए था।
पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष अमरिंदर सिंह राजा ने भी राज्य सरकार द्वारा जुगाड़ रेहड़ी पर प्रतिबंध की निंदा की । उन्होंने कहा, ‘‘चूंकी राज्य सरकार के पास सृजनात्मक करने को कुछ नहीं है, इसलिए वह विध्वसंक कार्यों में भी सलंग्न है।’’
कांग्रेस के विधायक सुखपाल खैरा ने राज्य सरकार के इस फैसले को ”बुरा निर्णय” करार देते हुए दावा किया कि इससे करीब एक लाख परिवारों के लिए रोजी-रोटी का संकट खड़ा होगा।
भाषा धीरज शफीक
शफीक
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