नयी दिल्ली, 27 अप्रैल (भाषा) एक “घटना” को लेकर अपने अध्यक्ष के निलंबन के बाद इस सप्ताह की शुरुआत में हड़ताल की घोषणा करने वाली एम्स नर्स यूनियन को दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को निर्देश दिया कि वह अच्छे व्यवहार और आचरण का एक हलफमाना प्रस्तुत करे और एम्स को प्रकरण में शामिल अन्य व्यक्तियों के विरुद्ध अग्रिम कार्रवाई नहीं करने के लिए कहा।
न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा को सूचित किया गया था कि नर्सें काम पर लौट आई हैं। इस पर उन्होंने कहा कि वर्तमान स्थिति जैसे मामलों में एक समाधान खोजना होगा और तापमान को “ठंडा” करना होगा।
एम्स की तरफ से पेश हुए वकील को “मामले को खत्म करने के लिये” निर्देश लेने का आदेश देते हुए न्यायाधीश ने कहा, “इन सभी स्थितियों में, आपको समाधान खोजना होगा। कोई भी आपको (एम्स) वापस लेने (निलंबन) के लिए नहीं कह रहा है … हम केवल इतना चाहते थे कि जल्दी कार्रवाई न करें और हम उन्हें एक हलफनामा देने के लिए कहेंगे।”
एम्स की ओर से पेश हुए वकील सत्य रंजन स्वैन ने कहा कि दो व्यक्तियों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया गया है और एक को निलंबित भी कर दिया गया है। वर्तमान में उस घटना में पहचाने गए अन्य व्यक्तियों के खिलाफ कोई दंडात्मक अनुशासनात्मक उपाय करने का प्रस्ताव नहीं है।
उन्होंने कहा कि नर्स यूनियन की शिकायतों की जांच के लिए विधिवत एक समिति का गठन किया जाएगा।
अदालत ने स्पष्ट किया कि एम्स के रुख के बावजूद, जो अनुशासनात्मक कार्यवाही पहले ही शुरू हो चुकी है, उसे कानून के अनुसार आगे बढ़ाया जाएगा।
अदालत ने यूनियन को एम्स की उस याचिका पर अपना जवाब दाखिल करने के लिए चार सप्ताह का समय दिया, जिसमें उसको किसी भी तरह से हड़ताल करने से रोकने का निर्देश देने की मांग की गई थी और मामले को आगे की सुनवाई के लिए 29 जुलाई को सूचीबद्ध किया।
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प्रशांत माधव
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