नयी दिल्ली, 21 जुलाई (भाषा) दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकारों के लिए आवाज उठाने वाले कार्यकर्ताओं ने भारत के जी-20 शेरपा अमिताभ कांत और आईएएस अधिकारी स्मिता सभरवाल द्वारा संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की परीक्षा में दिव्यांग कोटा का ‘दुरुपयोग और समीक्षा’ पर की गई टिप्पणियों की तीखी आलोचना की।
उन्होंने कहा कि दिव्यांग व्यक्तियों को ‘संकीर्ण दृष्टिकोण’ से नहीं देखा जाना चाहिए, जिससे उनकी योग्यता पर सवाल खड़े हों। कुछ कार्यकर्ताओं ने अपना पक्ष रखने के लिए शीर्ष चिकित्सकों, सेना के जवानों और व्यापारियों का उदाहरण दिया।
यह विवाद प्रशिक्षु आईएएस अधिकारी पूजा खेडकर के खिलाफ कदाचार के आरोपों के बीच शुरू हुआ है। उन पर यूपीएससी की परीक्षा में अपनी उम्मीदवारी सुरक्षित करने के लिए विकलांगता और अन्य पिछड़ा वर्ग (नॉन-क्रीमी लेयर) कोटे का दुरुपयोग करने का आरोप है।
संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) ने खेडकर के खिलाफ कथित रूप से फर्जी पहचान बताकर सिविल सेवा परीक्षा में अनुमत प्रयासों से अधिक प्रयास करने के आरोप में मामला दर्ज कराया है।
कांत ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में यूपीएससी में विकलांगता आरक्षण से संबंधित कथित धोखाधड़ी गतिविधियों पर चिंता जाहिर करते हुए इन कोटा की समीक्षा का सुझाव दिया।
भाषा प्रीति आशीष
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