कोलकाता, 29 जून (भाषा) तृणमूल कांग्रेस के एक वरिष्ठ मंत्री ने शनिवार को लोगों से कानून अपने हाथ में नहीं लेने और इसके बजाय पुलिस में शिकायत दर्ज कराने का आग्रह किया। साथ ही उन्होंने कोलकाता में पिछले दो दिनों में मोबाइल फोन चोरी के आरोप में दो युवकों की कथित तौर पर पीट-पीट कर हत्या करने की घटना पर चिंता व्यक्त की।
निगम मामले और शहरी विकास मंत्री फरहाद हकीम ने संवाददाताओं से कहा कि ‘सामूहिक उन्माद को केवल सामूहिक परामर्श से ही सुलझाया जा सकता है। उन्होंने लोगों को जागरूक करने में मीडिया की भूमिका पर जोर दिया कि पुलिस शिकायतों के समाधान और अपराधियों को पकड़ने के लिए लगातार काम कर रही है।
महापौर हकीम ने कहा, ”अगर लोग अपना धैर्य खो देते हैं और स्वंय कानून को हाथ में ले लेते हैं तो यह खतरनाक है। शिकायत करने वाले किसी भी व्यक्ति को पुलिस से संपर्क करना चाहिए। इस तरह की प्रवृत्तियों के अनियंत्रित रूप से जारी रहने देने से स्थिति नियंत्रण से बाहर हो सकती है।”
एक पुलिस अधिकारी ने बताया, ”कोलकाता के साल्ट लेक क्षेत्र में शनिवार को एक व्यक्ति की मोबाइल फोन चोरी करने के संदेह में कथित तौर पर पीट-पीटकर हत्या कर दी गई। इस घटना के 24 घंटे से भी कम समय पहले इसी तरह के संदेह में एक व्यक्ति की भी बहुत पिटाई की गई थी और बाद में उसकी मौत हो गई थी। मृतक की पहचान प्रसेन मंडल के रूप में हुई है।”
पुलिस के अनुसार, कोलकाता के बउबाजार इलाके में स्थित एक सरकारी छात्रावास में शुक्रवार को मोबाइल फोन चोरी के संदेह में एक व्यक्ति की कथित तौर पर पीट-पीटकर हत्या कर दी गई। मृतक की पहचान इरशाद आलम (37) के रूप में हुई है। वह बेलगछिया का रहने वाला था और चांदनी चौक इलाके में एक इलेक्ट्रॉनिक्स की दुकान पर मैकेनिक का काम करता था।
केंद्रीय राज्य मंत्री और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रदेश अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने पश्चिम बंगाल में भीड़ द्वारा हत्या के कई मामलों को उजागर करते हुए ममता बनर्जी सरकार की आलोचना की और ऐसे अपराधों को नियंत्रित करने में विफलता का आरोप लगाया।
उन्होंने कहा, ‘ऐसी खबरें हैं कि उत्तर कोलकाता के एक छात्रावास में रहने वाले कुछ लोग छात्र नहीं थे, बल्कि वे बाहरी लोग थे जो वर्षों से वहां अनाधिकृत तौर पर रह रहे थे। ऐसे में यह मुद्दा और भी जटिल हो गया है क्योंकि अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति छात्रावास के कुछ छात्र भी इस मामले में संलिप्त हैं।’
भाषा प्रीति रंजन
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