नयी दिल्ली, 21 अप्रैल (भाषा) केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने बृहस्पतिवार को कहा कि शासन में अगली पीढ़ी के सुधार ‘आत्मनिर्भर भारत’ के दृष्टिकोण को प्राप्त करने को लेकर एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर होगा।
यहां विज्ञान भवन में 15वें लोक सेवा दिवस के अवसर पर आयोजित एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि सुशासन का अंतिम उद्देश्य आम आदमी के जीवन को आसान बनाना है।
उन्होंने कहा कि ‘विजन इंडिया एट 2047’ के लिए सही प्रकार के सूचकांकों को चुनने की जरूरत है । साथ ही उन्होंने लोक सेवकों से भी प्रौद्योगिकी संचालित विकास पर विचार-विमर्श करने का आग्रह किया जिसका आगामी दौर है।
कार्मिक राज्य मंत्री ने कहा कि 2014 में प्रधानमंत्री बनने के तुरंत बाद नरेंद्र मोदी ने ‘अधिकतम शासन, न्यूनतम सरकार’ का मंत्र दिया था।
मंत्री ने कहा कि 2014 में सत्ता में आने के तीन महीने के भीतर पहली मोदी सरकार ने राजपत्रित अधिकारी द्वारा दस्तावेजों के सत्यापन की सदियों पुरानी औपनिवेशिक प्रथा को समाप्त कर दिया।
इससे लोगों को यह संदेश गया कि अब एक ऐसी सरकार है जिसमें अपने ही देश के युवाओं और नागरिकों पर भरोसा करने का साहस और क्षमता है।
उन्होंने कहा कि 2015 में लाल किले की प्राचीर से अपने स्वतंत्रता दिवस के भाषण में, प्रधानमंत्री मोदी ने साक्षात्कार को समाप्त करने और समान अवसर प्रदान करने के लिए लिखित परीक्षा के आधार पर नौकरी का चयन पूरी तरह से करने का सुझाव दिया था।
सिंह ने कहा कि 2016 से कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) ने केंद्र सरकार में ग्रुप-बी (अराजपत्रित) और ग्रुप-सी पदों के लिए साक्षात्कार को समाप्त कर दिया। मंत्री ने कहा कि इसी तरह पिछले आठ वर्षों में सरकार ने लगभग 1500 नियमों को समाप्त कर दिया है जो अप्रचलित हो गए थे।
उन्होंने कहा कि 2014 में केंद्र में सरकार बनने के समय भारत सरकार के शिकायत प्रकोष्ठ को एक साल में दो लाख शिकायतें मिलती थीं, लेकिन आज यह बढ़कर 25 लाख हो गई हैं, यानी सरकार तत्पर है और एक समयरेखा का पालन करती है और “हमारी निस्तारण दर प्रति सप्ताह 95-98 प्रतिशत है।”
सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सहयोग से सरकार के सबसे महत्वाकांक्षी सुधार ‘मिशन कर्मयोगी’ के माध्यम से नौकरशाहों के कामकाज को ‘नियम से भूमिका’ (रूल टू रोल) में बदलने के लिए एक महत्वपूर्ण पहल की गई है, ताकि वे आश्वस्त रहें और उन्हें सौंपे गए कार्य को करने में सक्षम हों।
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प्रशांत पवनेश
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