नयी दिल्ली, 15 मई (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने अदालत की अवमानना करने वाले एक व्यक्ति को 45 दिन के कारावास की सजा सुनाई है और कहा है कि अगर न्यायपालिका के सम्मान को ठेस पहुंची तो समाज के लोकतांत्रिक ताने-बाने को नुकसान होगा।
न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद ने अदालत की अवमानना करने वाले उक्त व्यक्ति पर 2,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया, जिसने उच्च न्यायालय के एक आदेश के पर याचिकाकर्ता द्वारा बनाई गई चारदीवारी को ध्वस्त कर दिया था।
अदालत ने अपने 13 मई के आदेश में कहा, ‘प्रतिवादी संख्या-1 (अवमाननाकर्ता) के आपत्तिजनक आचरण को ध्यान में रखते हुए, यह अदालत यहां उपस्थित अवमाननकर्ता को 45 दिनों के साधारण कारावास के साथ-साथ 2,000 रुपये के जुर्माने की सजा सुनाती है। प्रतिवादी संख्या-1 (अवमाननाकर्ता) को तुरंत हिरासत में लेने का निर्देश दिया जाता है।’’
न्यायमूर्ति प्रसाद ने कहा कि अवमानना संबंधी क्षेत्राधिकार का उद्देश्य अदालतों की गरिमा को बनाए रखना है तथा अदालत के आदेशों का उल्लंघन बाहुबल दिखाकर और डरा-धमकाकर कर नहीं किया जा सकता है।
अदालत ने कहा कि दीवार ढहाने का अवमाननाकर्ता का कदम न केवल झगड़े का परिणाम था, बल्कि उसने जानबूझकर अदालत के आदेश की अवहेलना की थी और इसके लिए वह दया का पात्र नहीं है।
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