scorecardresearch
Monday, 23 December, 2024
होमहेल्थउच्च शिक्षा प्राप्त कर रहे युवाओं में डिप्रेशन का खतरा अधिक, मानसिक समस्याओं से भी जूझते हैं: स्टडी

उच्च शिक्षा प्राप्त कर रहे युवाओं में डिप्रेशन का खतरा अधिक, मानसिक समस्याओं से भी जूझते हैं: स्टडी

प्रतिष्ठित मेडिकल पत्रिका द लैंसेट में छपी एक रिसर्च में दावा किया गया है कि उच्च शिक्षा प्राप्त कर रहे युवाओं को मानसिक अवसाद, उदासी और चिंता जैसी समस्याओं से अधिक जूझना पड़ रहा है. 

Text Size:

नई दिल्ली: शिक्षाविदों के नेतृत्व में हाल ही में किए गए एक रिसर्च में पाया गया कि इंग्लैंड में उच्च शिक्षा प्राप्त करने वाले युवाओं को अपने बाकी साथियों की तुलना में उदासी और चिंता जैसी समस्या का अधिक सामना करना पड़ रहा है.

द लैंसेट में प्रकाशित इस रिसर्च में अपने साथियों की तुलना में उच्च शिक्षा प्राप्त कर रहे छात्रों में अवसाद और चिंता के उच्च स्तर का प्रमाण मिलने का यह पहला मामला है.

लेखकों ने पाया कि 25 वर्ष की आयु तक स्नातक और गैर-स्नातक के बीच कोई अंतर नहीं रह गया है.

रिसर्च की प्रमुख लेखिका डॉ. जेम्मा लुईस ने कहा, “यूके में हाल के सालों में हमने युवा लोगों में मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं में वृद्धि देखी है. इसके लिए छात्रों का सपोर्ट कैसे किया जाए इस पर ध्यान केंद्रित किया गया है. यहां हमें इससे जुड़े साक्ष्य मिले हैं कि छात्रों में अवसाद और चिंता का खतरा उनके उसी उम्र के साथियों की तुलना में अधिक हो सकता है जो उच्च शिक्षा नहीं प्राप्त कर रहे हैं.”

इसमें कहा गया है, “उच्च शिक्षा के पहले कुछ साल मानसिक विकास के लिए महत्वपूर्ण होते हैं. यदि हम इस दौरान युवाओं के मानसिक स्वास्थ्य में सुधार कर सकें तो इससे उनके स्वास्थ्य और कल्याण के साथ-साथ उनकी शैक्षिक उपलब्धि के दीर्घकालिक लाभ हो सकते हैं और दीर्घकालिक सफलता भी मिल सकती है.”

शोधकर्ताओं ने स्टडी के लिए इंग्लैंड में कई युवाओं को शामिल किया और फिर इससे प्राप्त डेटा का उपयोग किया. पहली स्टडी में 1989 से 90 के बीच जन्मे 4,832 युवाओं को शामिल किया गया, जिनकी उम्र 2007 से 9 के बीच 18 से 19 साल थी. दूसरी स्टडी में 1998-99 में पैदा हुए 6,128 प्रतिभागियों को शामिल किया गया, जिनकी उम्र 2016 से 18 में (यानी कोरोना महामारी से ठीक पहले) 18 से 19 साल थी.

दोनों स्टडी में आधे से अधिक ने उच्च शिक्षा प्राप्त किया था. स्टडी में भाग लेने वाले युवा पिछले कुछ साल में अवसाद, चिंता और सामाजिक शिथिलता के लक्षणों का सामना कर रहे थे.

शोधकर्ताओं ने 18 से 19 साल की आयु के छात्रों (विश्वविद्यालय और अन्य उच्च शिक्षा संस्थानों के छात्रों सहित) और गैर-छात्रों के बीच अवसाद और चिंता के लक्षणों में थोड़ा अंतर पाया.

विश्लेषण से पता चलता है कि यदि उच्च शिक्षा में भाग लेने के संभावित मानसिक स्वास्थ्य जोखिमों को समाप्त कर दिया जाए, तो 18 से 19 आयु वर्ग के लोगों में अवसाद और चिंता की घटनाओं को संभावित रूप से 6% तक कम किया जा सकता है.

स्टडी के एक और लेखक डॉ. टायला मैकक्लाउड ने कहा, “हमारे निष्कर्षों के आधार पर हम यह नहीं कह सकते हैं कि छात्रों को अपने साथियों की तुलना में अवसाद और चिंता का खतरा अधिक क्यों हो सकता है, लेकिन यह शैक्षणिक या वित्तीय दबाव से संबंधित हो सकता है. इससे जोखिम बढ़ गया है.”

उन्होंने कहा, “हमें उम्मीद थी कि उच्च शिक्षा के छात्रों का मानसिक स्वास्थ्य उनके दूसरे साथियों की तुलना में बेहतर होगा क्योंकि वे औसतन अधिक विशेषाधिकार प्राप्त पृष्ठभूमि से होते हैं. लेकिन ये परिणाम विशेष रूप से चिंताजनक हैं. छात्रों के सामने आने वाले मानसिक स्वास्थ्य जोखिमों को स्पष्ट करने के लिए अधिक शोध की जरूरत है.”


यह भी पढ़ें: 2020 में भारत में 30 लाख से अधिक बच्चों का समय से पहले हुआ जन्म, पूरी दुनिया में सबसे अधिक: लैंसेट स्टडी


 

share & View comments