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Saturday, 20 April, 2024
होमहेल्थ'हमें हमारी जिंदगी वापस चाहिए': 15-18 साल के बच्चे Covid टीके का इंतजार अब और नहीं कर सकते, तैयारी शुरू

‘हमें हमारी जिंदगी वापस चाहिए’: 15-18 साल के बच्चे Covid टीके का इंतजार अब और नहीं कर सकते, तैयारी शुरू

कुछ बच्चे तुरंत टीका लगवाने के लिए उत्सुक हैं, जबकि कुछ अन्य दूसरों पर इसका असर देखने के लिए इंतजार करना चाहते हैं. लेकिन अधिकांश मामलों में उनके भीतर उतनी हिचकिचाहट नहीं है जितनी पिछले साल वयस्कों को थी.

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नई दिल्ली/मुंबई/बेंगलुरू: मुंबई में एक जूनियर कालेज की छात्रा, 16 वर्षीय भूमिका कोटक 3 जनवरी से अपने आयु वर्ग के युवाओं के लिए टीकाकरण अभियान शुरू होने पर उपलब्ध होने वाले कोविड-19 वैक्सीन का टीका लेने का बेसब्री से इंतजार कर रही हैं.

भूमिका ने दिप्रिंट को बताया, ‘बड़े लोग तो अब अपने पुराने जीवन को वापस पाने में सक्षम हो गए हैं. मुझे भी वही सब चाहिए. मैं चाहती हूं कि मेरा जीवन वापस से (पहले की तरह) सामान्य हो जाए. मैं हर बार बिना ज्यादा फ़िक्र किए मॉल जाना, फिल्में देखना और लोकल ट्रेनों में यात्रा करना चाहती हूं.’

3 जनवरी 2022 से 15 से 18 वर्ष की आयु के बच्चों को कोविड वैक्सीन प्राप्त करने की अनुमति देने के केंद्र सरकार के फैसले का स्वागत करने में भूमिका कोटक की तरह ही कई आवाजें शामिल हैं.

कुछ बच्चे तुरंत टीका लगवाने के लिए उत्सुक हैं, जबकि कुछ अन्य अपने ही आयु वर्ग के दूसरों बच्चों पर इसका असर देखने के लिए इंतजार करना चाहते हैं. लेकिन अधिकांश मामलों में उनके भीतर उस तरह की कोई हिचकिचाहट दिखाई नहीं देती है जितनी पिछले साल जनवरी में टीकाकरण शुरू होते समय वयस्कों में थी.

विभिन्न राज्य सरकारें और नगर निकाय इस आयु वर्ग के बच्चों का टीकाकरण करते समय अपनाई जाने वाली प्रक्रिया पर केंद्र से विस्तृत दिशा-निर्देशों होने का इंतजार कर रहे हैं. लेकिन इस बीच, उन्होंने इसके लिए जमीनी कार्य करना शुरू कर दिया है. उन्होंने इस बात का अंदाजा लगाना शुरू का दिया है कि इस आयु वर्ग की मांग पूरा करने के लिए टीकों की पर्याप्त संख्या क्या होगी, और इस प्रक्रिया में उनकी मदद करने के लिए उन्होंने स्कूलों और कालेजों के साथ बातचीत भी शुरू कर दी है.

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मैं अपने आयु वर्ग में सबसे पहले टीकाकरण कराना चाहती हूं

मुंबई के सोमैया कालेज में पढ़ने वाली 16 वर्षीय छात्रा रसिका मनकापुरे ने कहा कि कोविड टीकाकरण के बाद वह स्वयं को सुरक्षित महसूस करेंगी और जब वह हर दिन कालेज जाती हैं तो उनके माता-पिता को भी कुछ राहत मिलेगी.

मनकापुरे ने दिप्रिंट को बताया, ‘मैंने अपने माता-पिता से पूछा कि क्या मैं अपने आयु वर्ग में सबसे पहले वैक्सीन लगवा सकती हूं. मेरे मित्र मंडली में हर कोई ऐसा ही महसूस करता है. कुछ माता-पिता ने कालेज प्रबंधन को यह पूछने के लिए भी फोन किया कि क्या वे सभी पात्र बच्चों के कोविड टीकाकरण के लिए अपनी तरफ से कोई पहल कर सकते हैं.’

कोटक की तरह मनकापुरे ने भी कहा कि उसे इस बारे में कोई पसंद नहीं रखनी है कि वह कौन सा टीका लेना चाहती हैं – उसे वही टीका लगवाना है जो सबसे पहले उपलब्ध होगा.

अब तक, जाइडस कैडिला की वैक्सीन, जाइकोव-डी, को ही इस साल अगस्त में 12 वर्ष से अधिक उम्र के बच्चों के लिए केंद्रीय दवा नियंत्रक से आपातकालीन-उपयोग अधिकार प्राप्त हुआ है. भारत बायोटेक के टीके कोवैक्सीन को भी 25 दिसंबर को इसी तरह की स्वीकृति मिली, और उसी रात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने घोषणा की कि भारत का कोविड टीकाकरण अभियान अब 15-18 आयु वर्ग के लिए भी उपलब्ध कराया जा रहा है.

चेन्नई के रहने वाले सचिन पिल्लई, जिनका एक 16 साल का बेटा है, का मानना है कि यह आपातकालीन स्वीकृति पूरी तरह से वैध है और बच्चों को पर्याप्त सुरक्षा प्रदान करती है.

पिल्लई ने कहा, ‘मैं अपने बेटे को बड़ी आसानी के साथ टीका लगवाऊंगा क्योंकि मेरा मानना है कि यह उसकी कक्षा में उसके लिए अधिक सुरक्षित वातावरण प्रदान करता है. जब हमने इस साल मार्च में खुद को टीका लगवाया, तो टीके की प्रभावशीलता पर पर्याप्त डेटा उपलब्ध नहीं था, लेकिन एक तरह से यह जीवन रक्षक ही है. जो बात मार्च में मुझ पर लागू होती थी वही अब उस पर भी लागू होती है. मैं सावधानी के पक्ष में ही गलती करूंगा और उसे टीका जरूर लगवाऊंगा.’

हालांकि, दिल्ली में 10वीं की छात्रा 15 वर्षीय उन्नति श्रीवास्तव इसके लिए मार्च 2022 में अपनी बोर्ड परीक्षा समाप्त होने तक इंतजार करना चाहती हैं.

उसने कहा, ‘हम बहुत खुश हैं कि अब हमारे जैसे छात्रों के लिए भी टीके उपलब्ध हैं. यह हमें एक सामान्य जीवन की ओर वापस ले जाएगा जहां हम शारीरिक रूप से उपस्थिति के साथ स्कूल जा सकते हैं. हालांकि, मेरी मां वैक्सीन के साथ होने वाले दुष्प्रभावों के बारे में काफी आशंकित हैं, यही वजह है कि हमने बोर्ड परीक्षा खत्म होने के बाद ही यह टीका लगवाने का फैसला किया है. तब तक, इस बारे पर्याप्त डेटा होगा कि कौन सा टीका बच्चों के लिए सुरक्षित है.’

सूचना की कमीलेकिन राज्यों ने अपनी तरफ से शुरू कर दी है तैयारियां

कोविड नेशनल टास्क फोर्स के एक सदस्य डॉ सुभाष सालुंखे ने दिप्रिंट को बताया कि केंद्र ने इस बात की घोषणा तो कर दी है, लेकिन अभी भी 15 से 18 वर्ष की आयु के बच्चों को कोविड के टीके लगाने के लिए जरूरी संसाधनों के बारे में जानकारी की भारी कमी (इनफॉर्मेशन गैप) है.

वे कहते हैं, ‘अभी ये सब घोषणाएं मात्र हैं. किस तरह के लॉजिस्टिक सपोर्ट (संसाधनों वाली सहायता) की जरूरत है, कौन से टीके दिए जाएंगे, खुराक का शेड्यूल क्या होगा, स्टॉक कैसे उपलब्ध होगा, आदि… इस सब के बारे में जानकारी में भारी कमी है, और जब तक केंद्र सरकार हमें इस बारे में स्पष्टता नहीं प्रदान करती, हम इसके बारे में कुछ भी नहीं कह सकते. घोषणा किए जाने से पहले राष्ट्रीय कार्य बल के सदस्यों से इस बारे में सलाह नहीं ली गई थी.’

इस बीच, बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) ने जूनियर कालेजों, जो मुंबई में 11वीं और 12वीं के शैक्षणिक वर्षों में 16 से 18 वर्ष की आयु तक के छात्रों को पढ़ाते हैं- के साथ टीकाकरण शिविर आयोजित करने के लिए संपर्क करना शुरू कर दिया है.

अतिरिक्त नगर आयुक्त सुरेश काकानी ने सोमवार को संवाददाताओं से कहा, ‘मुंबई में 9 लाख से अधिक ऐसे छात्र हैं जिनका टीकाकरण करना होगा. हमारे पास पहले से ही हमारे अपने टीकाकरण केंद्र हैं, लेकिन इनके अलावा हमने जूनियर कालेजों में शिविर लगाने का भी फैसला किया है.’

उन्होंने कहा, ‘हम केंद्र सरकार से इस पर कुछ विस्तृत दिशा-निर्देश प्राप्त करने की उम्मीद कर रहे हैं. हम अपने पास उपलब्ध स्टॉक के अनुसार ही 3 जनवरी से इस आयु वर्ग का टीकाकरण शुरू करेंगे.’

महाराष्ट्र के स्वास्थ्य विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि राज्य सरकार उन स्कूलों तक भी संपर्क बनाएगी जहां 15 साल से अधिक उम्र के बच्चे हैं, ताकि उनके लिए टीकाकरण शिविर लगाए जा सकें.

तमिलनाडु के स्वास्थ्य सचिव जे. राधाकृष्णन ने दिप्रिंट को बताया: ‘हमारे पास कोवैक्सीन की लगभग 25 लाख खुराक का उचित मात्रा में स्टॉक उपलब्ध है, और हम केंद्र से इसकी और अधिक खुराक प्राप्त करने की उम्मीद कर रहे हैं. हमारे पिछले कुछ टीकाकरण स्थल स्कूलों में थे और वे अभी भी सक्रिय हैं. इसलिए वहां से भी वैक्सीन लगवाने का काम शुरू होगा. हमने विभिन्न जिलों के कलेक्टरों को भी इस प्रक्रिया को विकेंद्रीकृत करने और इस वैक्सीन का सफलता के साथ लगाया जाना सुनिश्चित करने के लिए भी सूचित कर दिया है.’

उन्होंने कहा, ‘शुरुआती महीनों वाली वैक्सीन के प्रति हिचकिचाहट अब काफी कम हो गई है और हमें नहीं लगता कि इस बार स्थिति ऐसी होगी. हालांकि, चूंकि यह एक नया समूह है, इसलिए हम कोई जोखिम लेना नहीं चाहते हैं.’

इसी तरह कर्नाटक सरकार ने जनवरी से टीकाकरण कार्यक्रम के शुभारंभ के लिए 15 से 18 वर्ष की आयु के 43 लाख योग्य बच्चों की पहचान की है.

राज्य सरकार इस टीके के योग्य आबादी के बारे में जानकारी एकत्र कर रही है और उपयुक्त टीकाकरण अभियान के तरीकों, चाहे वह स्कूलों और कालेजों, पंचायत कार्यालयों आदि में शिविर स्थापित करना हो या घर-घर जाकर किये जाने वाला अभियान हो, का आकलन कर रही है.

कर्नाटक के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री डॉ. के सुधाकर ने दिप्रिंट को बताया, ‘हम 15 से 18 साल के बच्चों की अनुमानित संख्या के बारे में पंचायत कार्यालयों, शिक्षा विभाग, योजना और सांख्यिकी विभाग और राजस्व विभाग की सहायता से जानकारी एकत्र कर रहे हैं.’

उन्होंने कहा, ‘हम 3 जनवरी को उनके लिए टीकाकरण प्रक्रिया की शुरुआत करेंगे, लेकिन फ़िलहाल हम केंद्र सरकार के दिशा-निर्देशों का इंतजार कर रहे हैं. हम बुधवार तक दिशा-निर्देश जारी करने की उम्मीद करते हैं.’

राज्य और स्थानीय स्तर पर सरकारी अधिकारियों का कहना है कि कई सारे सवालों जैसे कि क्या बच्चों को कोविड के टीके लगाने के लिए उनके अभिभावकों की सहमति की आवश्यकता होगी? क्या स्कूलों में बड़े पैमाने पर टीकाकरण शिविर लगाए जा सकते हैं? कितने टीके खरीदे जा सकते हैं आदि, अभी भी अनुत्तरित हैं.‘

सोमवार को आर.एस. शर्मा, सीईओ, राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण द्वारा की गयी घोषणा के अनुसार अब तक केवल यही जानकारी उपलब्ध है कि 15 से 18 वर्ष की आयु के बच्चे कोविन प्लेटफॉर्म पर अपने विद्यार्थी पहचान पत्र का उपयोग करके पंजीकरण करवा सकते हैं.

संस्थानों ने अपने ओर से टीकाकरण अभियान की योजना बनाई

मुंबई के एसआईईएस कालेज की प्रधानाध्यापक (प्रिंसिपल) उमा शंकर ने दिप्रिंट को बताया कि उन्हें बीएमसी के स्थानीय वार्ड कार्यालय से एक फोन कॉल आया था, जिसमें उनसे पूछा गया था कि अगर नगर निकाय टीके के स्टॉक की व्यवस्था कर देती है तो क्या उनके कालेज में टीकाकरण अभियान चलाया जा सकता है.

उन्होंने कहा, ‘हमने अपनी ओर से पूरी तैयारी दिखाई है. हम अपने छात्रों को प्राथमिकता जरूर देंगे, लेकिन 15 से 18 वर्ष की आयु के सभी बच्चों के लिए भी इस अभियान के द्वार खुले रखेंगे जो हमारे छात्र नहीं हैं.‘

उनका कहना था, ‘हमने अपने छात्रों के माता-पिता और अभिभावकों को उनकी सहमति लेने के लिए पहले ही गूगल फॉर्म भेजना शुरू कर दिया है.’

राजस्थान के माउंट आबू पब्लिक स्कूल की प्रिंसिपल ज्योति अरोड़ा ने दिप्रिंट को बताया कि उनकी संस्था 1 जनवरी से अभिभावकों के बीच जागरूकता पर जोर देने के लिए एक वेबिनार शुरू कर रही है. उन्होंने कहा, ‘हम अपने इलाके में स्थित अपोलो अस्पताल के साथ बातचीत कर रहे हैं ताकि हमारे स्कूल में एक टीकाकरण शिविर स्थापित किया जा सके और हमारे छात्रों के लिए वैक्सीन प्राप्त करना आसान हो जाए. अभिभावकों के किसी भी संभावित प्रश्न का उत्तर देने के लिए हम चिकित्सा विशेषज्ञों को वेबिनार आयोजित करने के लिए भी आमंत्रित कर रहे हैं.’

दिल्ली में, मॉडर्न पब्लिक स्कूल की प्रिंसिपल अलका कपूर शहर में टीकों की उपलब्धता में आसानी होने पर सभी बच्चों के लिए टीके लगवाना अनिवार्य करने की योजना बना रही है. उन्होंने कहा, ‘हमने अपने बच्चों को टीका लगाने पर विचार करने के लिए उनके अभिभावकों से सम्पर्क करना शुरू कर दिया है. हम जल्द-से-जल्द एक टीकाकरण शिविर लगाने की भी योजना बना रहे हैं. हालांकि, आने वाले महीनों में हम सभी बच्चों के लिए फिजिकल क्लास (शारीरिक उपस्थिति वाली कक्षा) में शामिल होने के लिए टीकों को अनिवार्य बनाना चाहेंगे.’

(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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