मुम्बई: कोविड-19 वैक्सीन की सप्लाई को लेकर, केंद्र के साथ चल रही खींचतान के बीच, ऊंचे केस लोड से जूझ रहे महाराष्ट्र ने, पिछले तीन दिन में अपने यहां चल रहे टीकाकरण में, क़रीब 35 प्रतिशत की कमी कर दी है. वैक्सीन की क़िल्लत का हवाला देते हुए बहुत से ज़िले, एक सीमा से आगे टीकाकरण अभियान को बढ़ाने के इच्छुक नहीं दिख रहे हैं.
राज्य सरकार ने अपने टीकाकरण अभियान को बढ़ा दिया था, जिसके तहत पूरे सूबे में हर रोज़ 4 लाख से अधिक टीके लगाए जाने थे. 3 अप्रैल से 8 अप्रैल तक, सरकार की ओर से हर रोज़ औसतन 400,808 टीके लगाए गए.
लेकिन, वैक्सीन स्टॉक में कथित कमी, और केंद्र की ओर से राज्य सरकार की मांग को पूरा करने की अनिच्छा के चलते, पिछले तीन दिन में टीकाकरण अभियान धीमा पड़ गया है, और 9 अप्रैल से 11 अप्रैल के बीच, महाराष्ट्र में औसतन हर रोज़ 2,59,707 टीके ही लगाए जा सके.
उद्धव ठाकरे सरकार, जिसने अभी तक 1.02 करोड़ से अधिक वैक्सीन डोज़ लगवाए हैं, पहले अभियान को तेज़ करके, 6 लाख डोज़ प्रतिदिन की तैयारी कर रही थी.
स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे के ऑफिस से एक अधिकारी ने कहा, ‘अब, 6 लाख डोज़ प्रतिदिन के लक्ष्य का तो सवाल ही नहीं उठता, जब तक केंद्र हमें पर्याप्त स्टॉक नहीं देता. जितना स्टॉक है हम उसी के हिसाब से अभियान चला रहे हैं’.
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‘टीकाकरण को एक सीमा से आगे नहीं बढ़ा सकते’
पिछले तीन दिनों में, राज्य में बहुत से कोविड टीकाकरण केंद्र, सप्लाई की कमी के चलते बंद पड़े रहे. मुम्बई में, वीकएंड पर सभी निजी केंद्र बंद थे, और केवल नगर केंद्रों पर टीके लगाए जा रहे थे.
बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) के आंकड़ों के मुताबिक़, नगर इकाई ने सोमवार को 71 निजी कोविड टीकाकरण केंद्रों में से, 62 केंद्र खोले थे जहां रविवार दोपहर से सोमवार दोपहर तक, टीकों के 39,300 डोज़ दिए गए.
हालांकि ये संख्या वीकएंड पर लगाए गए टीकों से अधिक है, लेकिन फिर भी उन 50,000 ख़ुराकों से बहुत कम है, जो नगर इकाई बृहस्पतिवार तक औसतन हर रोज़ लगा रही थी.
नाशिक में, ज़िला कलेक्टर सूरज मंधारे ने कहा, कि प्रशासन ने 1,167 टीका लगाने वालों को चिन्हित किया है, और अब वो इतने ही केंद्र शुरू करने के लिए तैयार है.
मंधारे ने कहा, ‘हमारे पास कम से कम 1,100 केंद्र शुरू करने की क्षमता है, जिनमें हर एक में रोज़ाना 100 टीके लगाए जा सकते हैं, और हम रोज़ाना 1 लाख डोज़ दे सकते हैं. लेकिन, कम स्टॉक की वजह से, हमने सिर्फ 224 केंद्रों को सक्रिय किया है. किसी भी समय, हमारे पास केवल इतना स्टॉक उपलब्ध रहता है, कि अगले चार से पांच दिन निकाल सकें, इसलिए एक सीमा से आगे, हम अभियान को नहीं बढ़ा सकते’. उन्होंने आगे कहा कि कम सप्लाई की वजह से, बहुत से केंद्रों को हफ्ते में दो दिन बंद रखना पड़ता है.
ज़िला प्रशासन से मिले आंकड़ों के अनुसार, नाशिक को अभी तक 5.57 लाख डोज़ मिले हैं, जिनमें से उसने 4.65 लाख इस्तेमाल कर लिए हैं, जबकि 11,227 डोज़ बेकार हो गए. टीकाकरण की मौजूदा रफ्तार देखते हुए, बाक़ी बचे 91,940 डोज़ ज़िले की, सिर्फ अगले पांच दिन की ज़रूरत पूरी कर सकते हैं.
पुणे ने, जो महाराष्ट्र के टीकाकरण अभियान में सबसे आगे चल रहा है, ‘मिशन 100’ का लक्ष्य तय किया था, जिसके तहत अगले सौ दिन में, शहर की पूरी आबादी को टीका लगाया जाना था. योजना के अंतर्गत ज़िले के टीकाकरण अभियान को बढ़ाकर, 1 लाख डोज़ प्रतिदिन किया जाना था. लेकिन अप्रैल के पहले 13 दिन में, जिले में हर रोज़ औसतन 57,000 लोगों को टीके लगाए जा सके, जिनमें 5 अप्रैल को सबसे अधिक 85,000 टीके लगाए गए.
पुणे, जहां सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के, कोविशील्ड वैक्सीन उत्पादन के कारख़ाने स्थित हैं, महामारी की पहली और दूसरी लहर के दौरान, देश के सबसे अधिक प्रभावित ज़िलों में से एक था.
पुणे डिवीज़नल कमिश्नर सौरभ राव ने दिप्रिंट को बताया: ‘हम 2-3 दिन के मार्जिन पर काम कर रहे हैं. अगर पर्याप्त भंडार उपलब्ध हो, तो सरकारी और निजी केंद्र सहज महसूस करते हैं. लेकिन चूंकि हमारे पास पूरे राज्य या ज़िले के लिए, सीमित संख्या में ही टीके उपलब्ध हैं, इसलिए काम करने का ये तरीक़ा ही सबसे सही लगता है’.
उन्होंने आगे कहा कि मांग और आपूर्ति में ये अंतर बना रहेगा. ‘16 जनवरी को अभियान शुरू होने के बाद से, ज़िले में टीका केंद्रों की संख्या पांच गुना बढ़ गई है. जैसे ही आप केंद्रों की संख्या बढ़ाते हैं, आपको मिलने वाले कोटा को उतना ही कम-कम बांटना पड़ता है. अगर आप केंद्र कम कर दें, तो लोगों के लिए दुश्वारियां पैदा हो जाती हैं. कई केंद्र ऐसे हैं जहां हमेशा कुछ स्टॉक इस्तेमाल होने से रह जाता है, 600 केंद्रों में ऐसा स्टॉक कुल मिलाकर, अच्छी ख़ासी संख्या हो जाती है, इसलिए केंद्र को लगता है कि जब तक मौजूदा स्टॉक, कुशलता के साथ इस्तेमाल नहीं कर लिया जाता, तब तक उसकी भरपाई नहीं होनी चाहिए’.
केंद्र-राज्य खींचतान
पिछले सप्ताह टोपे ने कहा था कि राज्य में इतनी वैक्सीन बची है, जो केवल तीन दिन चल सकती है, और राज्य भर में फैले बहुत से टीका केंद्रों को, वैक्सीन डोज़ न होने की वजह से बंद किया जा रहा है.
टोपे ने कहा कि उन्होंने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्ष वर्धन से अनुरोध किया था, कि महाराष्ट्र को प्रति सप्ताह 40 लाख डोज़ मुहैया कराए जाएं, ताकि वो अपने टीकाकरण अभियान को बढ़ाकर 6 लाख प्रतिदिन कर सके.
इससे पहले वर्धन ने वैक्सीन की कमी के दावों की आलोचना करते हुए, उन्हें ‘बिल्कुल बेबुनियाद’ क़रार दिया था. महाराष्ट्र की मिसाल देते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने कहा था, कि वैक्सीन की कमी को लेकर की गई बयान बाज़ियां, ‘महामारी के प्रकोप को रोकने में, सरकार की बार-बार विफलता से ध्यान हटाने के अलावा कुछ नहीं है’.
ज़ुबानी जंग के बाद, केंद्र ने महाराष्ट्र को 17 लाख डोज़ का एक ताज़ा स्टॉक भेजने का फैसला किया, जिससे उसकी मुश्किलों में कुछ कमी आई है. लेकिन, टोपे ने कहा कि राज्य में मामलों की, बढ़ती संख्या को देखते हुए, ये स्टॉक पर्याप्त नहीं होगा. उनकी शिकायत थी कि सबसे अधिक प्रभावित राज्य होने के बावजूद, महाराष्ट्र को वैक्सीन के डोज़ भेजने में प्राथमिकता नहीं दी जा रही है.
11 अप्रैल तक महाराष्ट्र में, वैक्सीन के 1.02 करोड़ डोज़ दिए जा चुके हैं. इनमें से 92.27 लाख पहले डोज़ थे.
राज्य में टीकाकरण अभियान 16 जनवरी को, 18,338 टीकों के साथ शुरू किया गया था, लेकिन जब कोविड मामले बढ़ने शुरू हुए, तो अभियान को तेज़ी के साथ बढ़ाकर, 4 लाख प्रतिदिन से अधिक कर दिया गया.
बढ़ते कोविड-पॉज़िटिव मामलों की इस नई लहर में, राज्य निरंतर नई ऊंचाइयां छू रहा है. 12 अप्रैल को, नए मामलों की संख्या 51,751 थी. महाराष्ट्र में अभी तक 34,58,996 कोविड-पॉज़िटिव मामले दर्ज किए जा चुके हैं, जिनमें से 5,64,746 मामले एक्टिव हैं.
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