नई दिल्ली: देश में हर तीन में से एक के राष्ट्रीय औसत के मुकाबले उत्तर प्रदेश में हर पांच में से केवल एक वयस्क को ही टीके की दोनों खुराक मिल पाई हैं जिसने सबसे अधिक आबादी वाले राज्य को कोविड प्रतिरोधक क्षमता के मामले में सबसे निचले पायदान पर रखा है.
को-विन डैशबोर्ड पर जारी आंकड़ों के मुताबिक, रविवार (24 अक्टूबर) तक उत्तर प्रदेश में लगभग 2.95 करोड़ लोगों को वैक्सीन की दूसरा खुराक मिल चुकी थी. इस लिहाज से यह महाराष्ट्र के बाद ये उपलब्धि हासिल करने वाला दूसरा शीर्ष राज्य है जिसने 2.97 करोड़ खुराकें दी हैं.
हालांकि, 2011 की जनगणना के मुताबिक 2021 यानी इस समय उत्तर प्रदेश में अनुमानित वयस्क जनसंख्या 14.74 करोड़ होनी चाहिए. इसका मतलब है कि उत्तर प्रदेश में करीब 20 फीसदी वयस्कों को ही पूरी तरह से टीका लग पाया है.
झारखंड, बिहार, पंजाब, पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु आदि ऐसे अन्य राज्य हैं जहां अनुमानित आबादी के एक तिहाई हिस्से का भी पूरी तरह टीकाकरण नहीं हो पाया है.
हिमाचल प्रदेश (58 फीसदी), जम्मू-कश्मीर (51 फीसदी) और गुजरात (50 फीसदी) ने आधे का आंकड़ा पार कर लिया है, जबकि केरल (48 फीसदी), दिल्ली (47 फीसदी) और आंध्र प्रदेश (47 फीसदी) आदि इसके करीब हैं.
कुल मिलाकर, भारत के लगभग 94 करोड़ वयस्कों में से एक तिहाई को पूरी तरह से टीका लगाया जा चुका है.
कम से कम 13 राज्य—और पूर्वोत्तर क्षेत्र (असम को छोड़कर)—ऐसे हैं जहां हर तीन में से एक व्यक्ति का पूरी तरह टीकाकरण हो चुका है.
जनगणना अनुमानों में असम को छोड़कर बाकी पूर्वोत्तर क्षेत्र की गणना एक इकाई के तौर पर की गई है, इसलिए बाकी सात राज्यों के लिए अलग-अलग दर निकालना संभव नहीं है. वहीं, गोवा के लिए आयु-वार जनसंख्या अनुमान उपलब्ध नहीं हैं.
भारत ने 16 जनवरी को अपना टीकाकरण कार्यक्रम शुरू किया था, पहले हेल्थकेयर वर्कर और फ्रंटलाइन कर्मियों और 60 वर्ष से ऊपर वाले लोगों या कोमोर्बिडिटी के शिकार 45 से अधिक उम्र के लोगों को लक्षित किया गया. और फिर धीरे-धीरे पूरी वयस्क (18+) आबादी के लिए टीकाकरण शुरू कर दिया गया. मौजूदा समय में उपलब्ध टीके भारत में 4.54 लाख से अधिक लोगों की जान लेने वाली महामारी कोविड-19 के खिलाफ पूरी तरह प्रतिरक्षा क्षमता विकसित करने का दावा तो नहीं करते, लेकिन गंभीर बीमारी और मृत्यु का जोखिम जरूर घटाते हैं.
भारत के कोविड प्रतिरक्षण अभियान में शामिल सभी टीकों—कोवैक्सीन, कोविशील्ड और स्पुतनिक-वी—की क्षमता दो खुराक के साथ ही पूरी तरह सक्रिय होती है.
भारत में लगभग 76.4 प्रतिशत वयस्कों—यानी तीन-चौथाई से अधिक—को टीके की कम से कम एक खुराक मिली है.
गोवा और हिमाचल प्रदेश ने पहली खुराक का शत-प्रतिशत कवरेज पूरा कर लिया है.
झारखंड, उत्तर प्रदेश और बिहार ने क्रमशः 1.4 करोड़, 9.5 करोड़ और 4.8 करोड़ वयस्कों को पहली खुराक दी है, जो उनकी वयस्क आबादी का लगभग 66 प्रतिशत है.
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चुनाव वाले राज्यों में टीकाकरण
अब तक सबसे कम वैक्सीन कवरेज वाले राज्यों उत्तर प्रदेश और पंजाब के अलावा उत्तराखंड, मणिपुर और गोवा में अगले साल की शुरुआत में चुनाव होने हैं.
हिन्दुस्तान टाइम्स ने पिछले महीने एक रिपोर्ट में कहा था कि सरकार चुनावी राज्यों में पूरी पात्र आबादी को कम से कम पहली खुराक देने के प्रयासों में जुटी है.
उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य सचिव अमित मोहन प्रसाद ने दिप्रिंट से बातचीत में कहा कि राज्य में ‘चुनाव होने तक’ टीकाकरण दर 100 प्रतिशत हो जाएगी.
उन्होंने कहा, ‘राज्य में दैनिक टीकाकरण पहले से ही बहुत ज्यादा है—और समय के साथ यह और बढ़ेगा ही.’
पंजाब, जहां दूसरी खुराक का कवरेज अनुमानत: 26 प्रतिशत और पहली खुराक का करीब 70 प्रतिशत है, में टीकाकरण की गति बढ़ाने के प्रयास जारी हैं.
कोविड-19 के लिए पंजाब के नोडल अधिकारी राजेश भास्कर ने कहा, ‘सरकार दूसरी खुराक को प्राथमिकता देते हुए हफ्ते में तीन दिन मेगा कैंप चला रही है, ताकि लोगों को जल्द से जल्द टीका लगाया जा सके.’
हालांकि, भास्कर ने चुनाव के समय तक टीकाकरण के स्तर को लेकर कोई अनुमान लगाने में असर्मथता जताई लेकिन कहा कि मतदान शुरू होने तक सभी वयस्कों को कम से कम एक खुराक मिल चुकी होगी.
उत्तराखंड में 45 फीसदी आबादी का पूरी तरह टीकाकरण हो चुका है और 92 फीसदी लोगों को कम से कम एक खुराक मिल चुकी है.
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