लखनऊ: राजधानी लखनऊ एक समय में टीकाकरण के मामले में उत्तर प्रदेश में बेहतरीन प्रदर्शन करने वाले जिले में शुमार रही थी, लेकिन 11 से 14 अप्रैल के बीच चार दिवसीय ‘टीका उत्सव’ के दौरान और उसके बाद से यहां कोविड-19 टीकाकरण में भारी गिरावट दर्ज की गई है.
नवरात्रि के उपवास, जो 13 अप्रैल से शुरू हुए और 21 अप्रैल तक चलेंगे, की अवधि और कोविड संक्रमण के तेजी से फैलने की आशंका को भी लोगों के टीकाकरण केंद्रों से दूर रहने की एक बड़ी वजह माना जा रहा है. कम से कम एक अस्पताल ने दिप्रिंट को बताया कि कोरोनोवायरस से पीड़ित मरीजों की बढ़ती संख्या के मद्देनजर उन्होंने अपना कोविड टीकाकरण अभियान फिलहाल निलंबित कर दिया है.
दिप्रिंट की तरफ से एक्सेस किए गए राज्य सरकार के स्वास्थ्य संबंधी डाटा के मुताबिक, 15 अप्रैल को लखनऊ जिले में टीकाकरण का आंकड़ा 8,907 (कुल खुराक की संख्या) दर्ज किया गया, जबकि 16 अप्रैल को यह संख्या 8,490 रही. चार दिन चले टीका उत्सव के दौरान, जिले में कुल 45,245 खुराक दी गई थी, जिसके कारण इसे कानपुर के बाद दूसरे स्थान पर रखा गया था जहां इन चार दिनों में कुल 56,931 खुराक दी गई थीं.
अगर इसकी तुलना अप्रैल के पहले हफ्ते से करें तो केवल 5 अप्रैल को ही लगभग 18,000 टीकाकरण दर्ज किया गया था. 10 अप्रैल को यह संख्या घटकर 6,957 रह गई. उस दिन जिले में 4,057 नए मामले सामने आए और 23 मौतें दर्ज की गईं.
टीका उत्सव देश में कोविड संक्रमण के मामलों में तेज उछाल के बीच देशभर में टीकाकरण को बढ़ावा देने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की एक और पहल थी. भारत में हर दिन दो लाख से ज्यादा केस सामने आ रहे हैं, अकेले रविवार को यह आंकड़ा 2.6 लाख था.
लखनऊ में स्थिति एकदम हताश करने वाली है, श्मशानों पर अंतिम संस्कार के लिए पहुंचने वाले शवों की संख्या लगातार बढ़ रही है. 17 अप्रैल तक लखनऊ में 44,485 एक्टिव कोविड केस थे, जो आंकड़ा राज्य की कुल आबादी का करीब एक तिहाई है.
टीके लगने की रफ्तार घटने के बारे में पूछे जाने पर डिस्ट्रिक्ट इम्यूनाइजेशन अधिकारी डॉ. एम.के. सिंह ने बताया कि कोविड केस में तेज उछाल की वजह से टीकाकरण अभियान को आगे बढ़ाने के प्रयासों पर असर पड़ा है.
उन्होंने कहा, ‘दो तरह के लोग होते हैं, एक जो स्वेच्छा से टीका लगवाने के लिए आगे आते हैं और दूसरे जिन्हें इसके लिए प्रेरित करना पड़ता है. पहले आशा (मान्यता प्राप्त सामाजिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता) और आंगनवाड़ी कार्यकर्ता लोगों को इसके लिए जुटा रहे थे, लेकिन अचानक ही कोविड केस में भारी उछाल आ गया. ऐसे में प्रशासन को कोविड प्रबंधन में जुटना पड़ा.’
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‘कुछ लोग टीकों को लेकर आशंकित’
लखनऊ में निजी और सरकारी अस्पतालों सहित 150 से अधिक टीकाकरण केंद्र हैं.
दिप्रिंट ने इस हफ्ते के शुरू में लखनऊ के तीन प्रमुख सरकारी टीकाकरण केंद्रों और कई निजी अस्पतालों का जायजा लिया. हर जगह लगभग एक जैसे हालात दिखे, खाली पड़ी कुर्सियां और लोगों के टीकाकरण के लिए आने के इंतजार में बैठे डरे-सहमे चिकित्साकर्मी.
लखनऊ के सिविल अस्पताल में टेस्ट कराने वालों की अच्छी-खासी कतार लगी थी, लेकिन टीकाकरण की लाइन में दोपहर तीन बजे के करीब एक दिव्यांग बुजुर्ग दंपति ही मौजूद थे. दिप्रिंट ने जितने भी दिन वहां का दौरा किया वहां पर वैक्सीन लाभार्थियों की संख्या बेहद कम ही रही. 15-20 मिनट के अंतराल पर इक्का-दुक्का लोग टीका लगवाने पहुंच रहे थे.
अस्पताल में तैनात एक अधिकारी ने कहा, ‘बुजुर्ग लोगों को टीका लगवाने के लिए प्रेरित किया गया. वे बड़ी संख्या में आ भी रहे थे. लेकिन कुछ लोग टीकों को लेकर आशंकित रहे हैं. फिर, लोगों के मन में कोविड संक्रमण फैलने का डर बैठ गया. यहां तक कि वे ऑपरेशनल ओपीडी में भी नहीं आ रहे हैं.
लखनऊ स्थित आरएमएल अस्पताल, जो ऐसा दूसरा सरकारी अस्पताल है जहां दिप्रिंट जायजा लेने पहुंचा, के एक डॉक्टर ने कहा कि कोविड केस में आई तेजी ने चिकित्सा समुदाय को भी हताश कर दिया है. उन्होंने कहा, ‘हर सुबह मैं श्मशान भेजे जाने वाले शवों के बारे में भयावह खबर सुनने के साथ उठता हूं और सुनकर ही दहशत होती है. जब मेडिकल बिरादरी इस बात को पचा नहीं पा रही है तो फिर आम नागरिक इससे कैसे उबरेंगे?’
एक अन्य सरकारी सुविधा बलरामपुर अस्पताल के अधिकारियों ने कहा कि इस हफ्ते टीकाकरण के आंकड़ों में कमी आई है.
नाम न छापने की शर्त पर अस्पताल के एक अधिकारी ने कहा, ‘अभी नवरात्रि चल रही है. लोग व्रत-उपवास कर रहे हैं, कोई भी ऐसे शुभ समय में अस्पताल का दौरा नहीं करेगा और इसके अलावा कोविड के मामलों में भी तेजी के बीच भी लोग इससे कतरा रहे हैं.’
शहर के एक निजी अस्पताल मेयो मेडिकल सेंटर में जिन तीन दिनों दिप्रिंट ने दौरा किया, टीकाकरण निलंबित रखा गया था. अस्पताल के एक अधिकारी ने कहा, ‘हमने टीकाकरण अभी रोक दिया है और कोविड मरीजों की देखभाल पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं. हम टीकाकरण अभियान फिर शुरू करने के बारे में मुख्य चिकित्सा अधिकारी (स्वास्थ्य) से दिशा-निर्देशों का इंतजार करेंगे.’
दिप्रिंट ने टीकाकरण अभियान निलंबित होने के बाबत एक टिप्पणी के लिए टेक्स्ट मैसेज और फोन कॉल के जरिये मेयो मेडिकल सेंटर की जनसंपर्क अधिकारी सुनंदा डे से संपर्क साधा लेकिन यह रिपोर्ट प्रकाशित होने के समय तक कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली.
अधिकारियों के बताया कि एक अन्य निजी फैसिलिटी शेखर अस्पताल में पूर्व में 250 लोगों की तुलना में इस समय हर रोज करीब 120 लोग टीका लगवाने पहुंच रहे हैं.
तीसरी निजी सुविधा सहारा अस्पताल में भी टीकाकरण के लिए आने वाले लोगों का आंकड़ा बहुत कम है.
यूपी में टीकाकरण अभियान से जुड़े स्वास्थ्य विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि टीका उत्सव के दौरान 80,000 से एक लाख के बीच टीकाकरण का लक्ष्य निर्धारित किया गया था.
उन्होंने कहा, ‘लेकिन तब तक देश में कोविड की दूसरी लहर आ गई और यह आंकड़ा अपेक्षित स्तर तक नहीं पहुंच पाया. हमने लखनऊ में अप्रैल के पहले सप्ताह के दौरान 18,000 टीकाकरण दर्ज किए, लेकिन 11 से 14 अप्रैल के बीच यह संख्या प्रतिदिन 8,000 से 10,000 के बीच रही.’
14 अप्रैल तक उत्तर प्रदेश में कोविड टीके की लगभग 1.51 करोड़ खुराक दी जा चुकी हैं. टीका उत्सव के दौरान, 14 लाख से अधिक खुराक (14,55,974) के साथ यूपी ने देश में शीर्ष स्थान हासिल किया, जिसके बाद 13 लाख से अधिक (13,94,359) टीकाकरण के साथ मध्यप्रदेश दूसरे स्थान पर और 11 लाख से अधिक (11,38,255) टीकाकरण के साथ महाराष्ट्र तीसरे स्थान पर रहा.
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