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Friday, 20 December, 2024
होमहेल्थUK स्टडी में खुलासा- बच्चों में कोरोना वायरस से मौत का जोखिम बहुत कम

UK स्टडी में खुलासा- बच्चों में कोरोना वायरस से मौत का जोखिम बहुत कम

इंग्लैंड सरकार के स्वास्थ्य विभाग और लंदन यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं के एक अध्ययन के मुताबिक, इन 22 महीने के दौरान बच्चों और युवाओं की कुल मौतों में से केवल 1.2 फीसदी मौत कोविड के कारण हुई थी.

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नई दिल्ली: बच्चों में कोविड-19 से मृत्यु होने का खतरा बहुत कम होता है. ब्रिटेन में पिछले 22 महीने के दौरान किए गए एक अध्ययन में यह बात सामने आई है. हालांकि अध्ययन करने वाली टीम ने पाया कि कोरोना वायरस संक्रमण होने से उन बच्चों के गंभीर रूप से बीमार होने या मौत की आशंका ज्यादा है जो पहले से गंभीर समस्याओं से जूझ रहे हैं.

यह अध्ययन मार्च 2020 से दिसंबर 2021 तक कोविड-पॉजिटिव की वजह से बच्चों की हुई सभी मौतों का विश्लेषण कर किया गया था. हालांकि, इन आंकड़ों का अभी पीर रिव्यु किया जाना बाकी है. लेखक यूके हेल्थ सिक्योरिटी एजेंसी- सरकारी सार्वजनिक स्वास्थ्य एजेंसी – लंदन यूनिवर्सिटी, पब्लिक हेल्थ इंग्लैंड और एनएचएस फाउंडेशन ट्रस्ट से जुड़े हैं.

शोधकर्ताओं ने मार्च 2020 से दिसंबर 2021 तक इंग्लैंड के एक्टिव नेशनल सर्विलांस डेटा का विश्लेषण किया. एक्टिव नेशनल सर्विलांस किसी भी मामले की बारीकी से निगरानी करने के लिए जानी जाती है. कोविड के मामले में संक्रमण को ध्यान में रखकर आंकड़े तैयार किए गए थे.

इस दौरान 20 साल से कम उम्र के 185 बच्चों और युवाओं की मौतें हुईं. ये सभी कोविड पॉजिटिव थे. अध्ययन में कहा गया है कि इनमें से सिर्फ 81 मौतें (43.8 फीसदी) कोविड के कारण हुई थी.

अध्ययन में पॉजिटिव रिपोर्ट आने के 100 दिनों के भीतर हुई मौतों को ही गिना गया था.

शोधकर्ताओं ने लिखा, ‘अगर हम कोविड पॉजिटिव और नॉन कोविड पॉजिटिव बच्चों और युवाओं की मौत की तुलना करें तो कोविड से होने वाली अधिकांश मौतें बड़ी उम्र और पुरानी बीमारियों की वजह से हुईं थीं. कोविड टेस्ट पॉजिटिव आने के कुछ ही समय बाद ये मौतें हुईं.’

उन्होंने कहा कि आधी मौतें (81 में से 41 या 51 प्रतिशत) SARS-CoV-2 संक्रमण की पुष्टि के सात दिनों के भीतर और 91 प्रतिशत (81 में से 74) 30 दिनों के अंदर हुईं.

उन्होंने लिखा, कोविड-19 की वजह से हुई मौतों में से 61 (75.3 प्रतिशत) क्रोनिक या पुरानी बीमारियों से जूझ रह थे. इसमें से 27 लोग गंभीर न्यूरो डिसेबिलिटी और 12 लोग इम्यूनो कॉम्प्रोमाइजिंग से पीड़ित थे.

अध्ययन में पाया गया कि 22 महीनों के दौरान 6,790 बच्चों और युवाओं की मौत (चाहे कोविड-पॉजिटिव हो या नहीं) हुई थी. इसमें से कोविड की वजह से 81 मौतें हुईं थीं. यह कुल मौतों का 1.2 प्रतिशत था. अध्ययन के मुताबिक, संक्रमित एक लाख बच्चों और युवाओं में मौतों का संक्रमण मृत्यु अनुपात (IFR) 0.70 था. यह आंकड़ा नाउ कास्टिंग (भविष्यवाणी का एक रूप) मॉडलिंग और मृत्यु दर – प्रति एक लाख जनसंख्या पर मृत्यु – 1,00,000 में से 0.61 से लिया गया.

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, एक संक्रमण मृत्यु अनुपात सभी संक्रमित लोगों में मृत्यु के अनुपात का अनुमान लगाता है.

लेखकों ने निष्कर्ष निकाला कि बच्चों और युवाओं में कोविड की वजह से मौतें काफी कम हुईं थी. बच्चों में सबसे ज्यादातर मौतें संक्रमण के 30 दिनों के भीतर और पहले से गंभीर की वजह से हुईं थी.

अध्ययन में यह भी पाया गया कि युवा लोगों में संक्रमण जनसंख्या में उनके हिस्से के अनुपात में रहा. इंग्लैंड में कोविड के चार मामलों में से एक (24.3 प्रतिशत) 20 वर्ष से कम उम्र के बच्चों और युवाओं का था. इंग्लैंड में युवा आबादी का 23.6 प्रतिशत हिस्सा है.

अध्ययन में कहा गया है कि इनमें से अधिकांश लोगों में इस बीमारी के लक्षण न के बराबर थे या फिर उसने उन्हें गंभीर रूप से प्रभावित नहीं किया.

लेखकों ने बताया कि भले ही डेथ सर्टिफिकेट में मौत का कारण कोविड बताया गया हो लेकिन अक्सर यह आकलन करना मुश्किल हो जाता है कि किस हद तक संक्रमण इन होने वाली मौतों के लिए जिम्मेदार था.


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संक्रमित युवाओं की सिर्फ 40 प्रतिशत मौतों के लिए कोविड जिम्मेदार

लेखकों ने कहा कि इस बारे में सीमित जानकारी उपलब्ध थी कि किस हद तक कोविड संक्रमण की वजह से मरीज की मौत हुई है.

अध्ययन में कहा गया, ‘हाल ही में यूके ऑफिस फॉर नेशनल स्टेटिस्टिक्स (ONS) द्वारा कोविड के उल्लेख के साथ मृत्यु पंजीकरण नियमित रूप से रिपोर्ट किए गए हैं. लेकिन जैसा कि हमने और अन्य ने पहले भी बताया है कि ये आंकड़े मृत्यु प्रमाण पत्र पर उपलब्ध जानकारी तक सीमित हैं. इनसे कोविड संक्रमण की वजह से होने वाली मौतों का आकलन करना मुश्किल हो जाता है.’

‘महामारी के पहले 12 महीनों में इंग्लैंड में बच्चों और युवाओं में पुष्टि किए गए संक्रमण की वजह से सिर्फ 40 प्रतिशत मौतें केविड-19 के कारण हुईं.’

उन्होंने यह भी लिखा कि महामारी के इन दो साल में युवाओं की कोविड से मौतों के सीमित आंकड़ों का एक कारण यह है कि इस तरह की मौतें एक असामान्य घटना थी.

वह आगे लिखते हैं, ‘कुल मिलाकर बच्चों और युवाओं में कोरोना वायरस से मौत का जोखिम बहुत कम है. अब चाहे वह कोई भी वेरिएंट हो. जून 2020 तक वायरस के लिए बहुत सीमित परीक्षण होने की वजह से पुष्टि किए गए कोविड संक्रमणों के आधार पर आईएफआर के जोखिम को बहुत ज्यादा करके आंका गया है.’

इसके अलावा असिम्प्टोमटिक या हल्के लक्षण वाले संक्रमित बच्चों के टेस्ट कराए जाने की संभावना कम होती है. हमने युवाओं और बच्चों में उम्र आधारित और वेरिएंट आधारित आईएफआर की गणना करने लिए महामारी की शुरुआत के बाद से विकसित और नियमित रूप से अपडेट की गई रियल टाईम मॉडलिंग और अनुमानित संक्रमण दर का इस्तेमाल किया है.

लेखकों ने लिखा, ‘0.7 / 100,000 का अनुमानित आईएफआर इंग्लैंड में सीएफआर का इस्तेमाल करके गणना किए गए 2.8/100,000 से चार गुना कम था’

सीएफआर (केस फेटैलिटी रेशो) कोविड से होने वाली मौतों की गणना के लिए एक और उपाय है.आईएफआर सभी संक्रमित लोगों के बीच मौतों के अनुपात की गणना करता है (इसमें ऐसे मामले भी शामिल होते हैं जिनका परीक्षण नहीं किया गया). WHO के अनुसार, जबकि सीएफआर टेस्ट के आधार पर पुष्ट मामलों में मौतों का अनुपात है.


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