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Sunday, 17 November, 2024
होमहेल्थतब्लीगी जमात, ओणम, गणेश चतुर्थी — कोविड ने किसी को नहीं बख्शा, इसलिए दशहरा भी सुरक्षित नहीं

तब्लीगी जमात, ओणम, गणेश चतुर्थी — कोविड ने किसी को नहीं बख्शा, इसलिए दशहरा भी सुरक्षित नहीं

त्योहारों के मौजूदा दौर के चलते आने वाले महीनों में देश के विभिन्न राज्यों में कोविड के मामले बढ़ने की आशंका है. सरकार भी इस मुद्दे पर चिंता जाहिर कर चुकी है.

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नई दिल्ली: केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने गत रविवार को यह कहकर विवाद खड़ा कर दिया कि केरल में कोविड-19 के मामलों में तेज़ी ओणम त्योहार के दौरान ‘घोर लापरवाही’ के कारण आई है.

महामारी के शुरुआती दिनों में केरल को कोविड प्रबंधन के आदर्श उदाहरण के रूप में देखा जा रहा था, लेकिन 22 अगस्त से 30 सितंबर के बीच एक माह से थोड़े अधिक समय में राज्य में संक्रमण के 1, 41, 924 नए मामले दर्ज किए गए.

केरल में ओणम का 10 दिवसीय त्योहार 22 अगस्त को आरंभ हुआ था. उस दिन राज्य में कोविड संक्रमण के 2,172 नए मामले सामने आए थे, जबकि 15 संक्रमित लोगों की मौत हुई थी. लेकिन 30 सितंबर आते-आते नए संक्रमण के दैनिक मामलों की संख्या चार गुना से भी अधिक बढ़कर 8,000 से ऊपर पहुंच गई. मामलों में तेज़ी का दोष त्योहार के दौरान कोविड दिशानिर्देशों का अनुपालन नहीं किए जाने को दिया गया था, हालांकि केरल सरकार ने सख्त दिशानिर्देश और प्रोटोकॉल के पालन पर ज़ोर दिया था.

मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने सोमवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में हर्षवर्धन के आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि संक्रमण के मामलों में हालिया तेज़ी में भीड़भाड़ में लोगों द्वारा पर्याप्त ऐहतियात नहीं बरते जाने के साथ-साथ कुख्यात सोना तस्करी मामले को लेकर सरकार के विरोध में होने वाले प्रदर्शनों की भी भूमिका है.

वैसे धार्मिक त्योहारों या आयोजनों और उसके बाद कोविड के मामलों में तेज बढ़ोत्तरी किसी खास धर्म या राज्य तक ही सीमित नहीं है. महाराष्ट्र में गणेश चतुर्थी से लेकर आंध्रप्रदेश में तिरुमाला तिरुपति मंदिर तक, सर्वाधिक प्रभावित राज्यों में त्योहार या धार्मिक स्थलों को खोले जाने के बाद संक्रमण के मामलों में तेज़ी देखी गई है.

वास्तव में, भारत में संक्रमण के सामूहिक मामलों या कोविड क्लस्टर का पहला वाकया मार्च में दिल्ली के निज़ामुद्दीन मरकज़ में तब्लीगी जमात के आयोजन के दौरान सामने आया था. अप्रैल के दूसरे सप्ताह में केंद्र सरकार ने भारत में कोविड-19 के उस समय तक के मामलों में से 30 प्रतिशत के जमात के उक्त धार्मिक आयोजन से जुड़े होने का दावा किया था.

मई में, पंजाब में कोविड-19 के मामलों में तब तेज़ी देखी गई जब महाराष्ट्र के नांदेड़ में गुरुद्वारा हज़ूर साहिब की यात्रा कर वापस लौटे तीर्थयात्रियों में से कई संक्रमित पाए गए थे.


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गणेश उत्सव के बाद मुंबई में मामले दोगुने हुए

मुंबई में, 2 सितंबर को संपन्न 10 दिवसीय गणेश चतुर्थी त्योहार के बाद कोविड मामलों में तेज़ी आई थी. वहां सितंबर महीने के मध्य तक रोज़ाना करीब 2,000 मामले सामने आने लगे, जबकि जुलाई और अगस्त में ये संख्या 1,000-1,200 के करीब रही थी.

इस साल अपेक्षाकृत शांतिपूर्वक त्योहार मनाए जाने और सरकार के ऐहतियाती दिशानिर्देशों के बावजूद सितंबर के पहले 12 दिनों में मुंबई का कुल केसलोड 15 प्रतिशत बढ़कर 1,67,608 तक पहुंच गया था, क्योंकि इस दौरान संक्रमण की टेस्टिंग के काम को भी तेज़ किया गया था. डबलिंग रेट यानि मामलों की संख्या दोगुना होने की अवधि भी 31 अगस्त के 84 दिनों से घटकर 60 दिनों से भी कम रह गई.

अधिकारियों ने अनलॉकिंग, त्योहारों के दौरान लोगों के बढ़े मेलजोल और टेस्टिंग की संख्या बढ़ाए जाने को संक्रमण के मामले बढ़ने की वजहों में शामिल किया था.

अब नवरात्रि के त्योहार के दौरान, सरकार ने एक बार फिर मूर्तियों की स्थापन और विसर्जन के बारे में दिशानिर्देश जारी किए हैं, और इस साल गरबा और डांडिया पर पूरी तरह रोक लगा दी है.

पिछले कुछ दिनों के दौरान समाज के विभिन्न वर्गों के साथ-साथ विपक्षी दलों ने भी महाराष्ट्र में सरकार से पूजास्थलों को खोले जाने की मांग तेज़ कर दी है. लेकिन सरकार इस संबंध में ऐहितायत बरत रही है, और उसने मॉल, दुकाने, सैलून, होटल और यहां तक कि रेस्तरां और बार को खोलने की अनुमति देने के बावजूद धार्मिक स्थलों को बंद ही रखा है.

कोविड हॉटस्पॉट के रूप में उभरता तिरुमाला मंदिर

आंध्रप्रदेश में धार्मिक स्थलों को जून में ही खोल दिया गया था और चित्तूर जिला स्थित प्रसिद्ध तिरुमाला मंदिर राज्य में कोविड महामारी के खिलाफ लड़ाई में एक बड़ी चुनौती साबित हो रहा है.

तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम्स (टीटीडी) के स्वास्थ्य विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों के अनुसार, मंदिर के कुल 20,000 कर्मचारियों में से अब तक 1,400 पॉजिटिव पाए जा चुके हैं. साथ ही, कम से कम दो पुजारियों की कोविड के कारण मौत हो चुकी है.

उल्लेखनीय है कि जुलाई में ही आंध्रप्रदेश पुलिस की एक रिपोर्ट में राज्य में कोविड मामलों में तेज़ी आने के पीछे तिरुमाला मंदिर को खोले जाने की भूमिका बताई गई थी और मंदिर को बंद करने की मांग की गई थी.

इसके बावजूद, बोर्ड की मंदिर को बंद करने की कोई योजना नहीं है. और आरंभ में जहां रोज़ाना मात्र 5,000 श्रद्धालुओं को ही मंदिर में प्रवेश दिया जा रहा था, वहीं अब ये संख्या बढ़ाकर 15,000 कर दी गई है. मुख्यमंत्री वाय. एस. जगनमोहन रेड्डी समेत कई नेता भी महामारी के दौरान मंदिर की यात्रा कर चुके हैं.

हालांकि अधिकारियों का दावा है कि अभी तक मंदिर की यात्रा करने वाला एक भी श्रद्धालु पॉजिटिव नहीं पाया गया है. उऩका ये भी कहना है कि रोज़ाना मंदिर की टीम दर्शन कर अपने शहरों को वापस लौटे कम से कम 100 श्रद्धालुओं को फोन कर उनके स्वास्थ्य के बारे में जानकारी जुटाती है.

त्योहारों के मौजूदा दौर में आंध्रप्रदेश में कोविड को लेकर कई अन्य ऐहतियाती उपाय किए गए हैं. विजयवाड़ा के इंद्रकीलाद्रि हिल स्थित कनक दुर्गा मंदिर में आमतौर पर बड़े स्तर पर नवरात्रि मनाई जाती है और रोज़ाना 80,000 तक श्रद्धालु वहां दर्शनों के लिए पहुंचते हैं. लेकिन इस बार अधिकारियों ने प्रतिदिन मात्र 10,000 श्रद्धालुओं को ही आने की अनुमति दी है.


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त्योहारों के मौसम में संक्रमण दोबारा बढ़ने का डर

देश भर में मनाए जा रहे दशहरा और दुर्गा पूजा के त्योहारों के दौरान कोविड मामले बढ़ने का जोखिम बढ़ गया है.
पश्चिम बंगाल में, कलकत्ता हाईकोर्ट ने इस सप्ताह दुर्गा पूजा पंडालों में लोगों के जमा होने पर रोक और मंडपों को भी ‘नो-एंट्री ज़ोन’ बनाने का आदेश जारी किया है. इस कारण कई पंडालों ने लाइव-स्ट्रीमिंग का सहारा लिया है.

राज्य के सबसे बड़े त्योहार से तीन दिन पहले जारी इस आदेश में कहा गया कि केवल सीमित संख्या में आयोजक हीं पंडालों के भीतर जा सकेंगे. बड़े पंडालों के भीतर किसी एक समय मात्र 25-30 आयोजकों और पुजारियों को ही प्रवेश करने दिया जाएगा, जबकि छोटे पंडालों में सिर्फ 15 लोगों को जाने की अनुमति होगी.

इस बीच, कर्नाटक के मैसुरू का प्रसिद्ध दशहरा उत्सव भी ऐहतियाती उपायों के साथ मनाया जा रहा है. आमतौर पर त्योहार अवधि में शहर के पर्यटन स्थलों, खासकर पूर्व वाडयार शासकों के रॉयल पैलेस में पर्यटकों की भीड़ रहा करती थी. स्थानीय प्रशासन ने भीड़भाड़ से बचने के लिए इस बार 1 नवंबर तक जिले में पर्यटकों के प्रवेश पर रोक लगा दी थी, लेकिन मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने उस आदेश को निरस्त कर त्योहारों के दौरान मशहूर स्थलों पर पर्यटकों को जाने की अनुमति दे दी.

हालांकि उपायुक्त रोहिनी सिंदुरी के नेतृत्व में मैसुरू जिला प्रशासन ने कोविड प्रोटोकॉल का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित किया है और जो ऐसा नहीं करते पाए जाने वाले लोगों के खिलाफ तत्काल महामारी अधिनियम के तहत मामले दर्ज करने के निर्देश दिए हैं.

जिल के एक वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी ने अपना नाम नहीं प्रकाशित किए जाने के अनुरोध के साथ दिप्रिंट से कहा, ‘निश्चय ही संक्रमण में तेज़ी का डर है, क्योंकि मैसुरू में पॉजिटिव मामलों की संख्या धीरे-धीरे बढ़ रही है. हम लोगों को निर्देशों का पालन करने और सोशल डिस्टेंसिंग अपनाने की सलाह भर ही दे सकते हैं. उन्हें खुद समझना चाहिए कि ऐसा करना उनके ही भले के लिए है.’

केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार भी त्योहारों की अवधि और ठंड के मौसम में श्वसन संबंधी संक्रमणों में आमतौर पर तेज़ी आने के तथ्य को देखते हुए आने वाले दिनों में कोविड मामले बढ़ने की आशंका जता चुकी है.

नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डॉ. विनोद पॉल ने मंगलवार को सरकार की कोविड ब्रीफिंग के दौरान कहा, ‘अगले दो-तीन महीने बहुत ही अहम हैं. त्योहारों के मौसम के मद्देनज़र हमें सारे ऐहतियाती उपाय अपनाने, अनिवार्य रूप से मास्क पहनने, सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने की ज़रूरत है.’


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(कोलकाता से मधुपर्णा दास के इनपुट के साथ.)

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