नई दिल्ली: जापान में हुए हालिया अध्ययन से पता चला है कि SARS-CoV-2 वायरस मानव त्वचा पर नौ घंटे तक जीवित रह सकता है, जो कि फ्लू के वायरस की तुलना में बहुत लंबा है.
3 अक्टूबर को जर्नल क्लिनिकल इंफेक्शियस डिजीज में प्रकाशित इस अध्ययन का उद्देश्य वायरस की ‘स्थिरता’ का मूल्यांकन करना है. जो इंसान की त्वचा पर कोविड -19 का कारण है और इसके साथ इसकी तुलना इन्फ्लुएंजा ए वायरस (आईएवी) से करना था. अभी इस स्टडी की समीक्षा की जानी बाकी है.
क्योटो प्रीफेक्चुरल यूनिवर्सिटी ऑफ मेडिसिन, जापान के शोधकर्ताओं ने पाया कि SARS-CoV-2 मानव त्वचा पर अपनी जगह नौ घंटे तक टिका रहता है जबकि IAV त्वचा पर केवल दो घंटे तक जीवित रहता है.
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शोधकर्ताओं ने कहा है कि हमने अपने शोध में, ‘सार्स सीओवी-2 और इन्फ्लूएंजा ए वायरस को कल्चर मीडियम और बलगम के साथ मिलाया, फिर इसके प्रभाव को जांचने के लिए इसे इथेनॉल के साथ मिलाकर इसके प्रभाव को जांचा. हमने पाया कि जैसे ही इसे इथेनॉल के साथ प्रयोग किये जाने के बाद इसकी प्रभावशीलता 80 फीसदी तक कम हो गई.’
हालांकि इन दोनों वायरस का इथेनॉल (अल्कोहल) के साथ जब प्रयोग किया गया तो पाया कि वायरस का प्रभाव महज 15 सेकेंड के अंदर ही खत्म हो गया. इसका मतलब ये है कि कोविड-19 को फैलने से रोकने के लिए हाथ धोने के साथ-साथ अल्कोहल युक्त सैनिटाइज़र का उपयोग महत्वपूर्ण है.
अध्ययन में यह भी कहा गया है कि चूंकि SARS-CoV-2 लंबे समय तक इंसानी त्वचा पर जीवित रहता है, इसलिए यह ‘कान्टैक्ट ट्रांसमिशन’ के जोखिम को बढ़ा सकता है और यह ‘महामारी को और तेज कर सकता है’.
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वायरस अन्य सतहों की तुलना में मानव त्वचा पर जल्दी समाप्त हो जाता है
शोधकर्ताओं ने यह भी पाया कि SARS-CoV-2 और IAV दोनों को स्टेनलेस स्टील, ग्लास, प्लास्टिक इत्यादि की तुलना में इसके प्रभाव को इंसानी त्वचा पर कहीं जल्दी समाप्त किया गया.
महामारी के शुरुआती चरणों में, किए गए शोध में यह संकेत दिया था कि वायरस तांबे, कांच और स्टेनलेस स्टील जैसी चिकनी सतहों पर अधिक समय तक जीवित रहता है. यह तांबे की सतहों पर 4 घंटे तक, कार्डबोर्ड पर 24 घंटे तक और लगभग 72 घंटों तक कांच और प्लास्टिक की सतहों पर जीवित रह सकता है.