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Tuesday, 10 December, 2024
होमहेल्थमंदिर, मस्जिद और गुरुद्वारों की मदद से अंबाला में वैक्सीनेशन बढ़ा, हरियाणा के सर्वश्रेष्ठ जिले में शुमार

मंदिर, मस्जिद और गुरुद्वारों की मदद से अंबाला में वैक्सीनेशन बढ़ा, हरियाणा के सर्वश्रेष्ठ जिले में शुमार

अंबाला की अनुमानित आबादी 12.5 लाख है, जिसमें लगभग 22 प्रतिशत (2.75 लाख) 45 वर्ष से अधिक उम्र के हैं और टीकाकरण के पात्र हैं. जिले में 13 अप्रैल तक 2,20,267 लोगों को टीका लग चुका था.

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नई दिल्ली: अंबाला के दुर्गा नगर उपनगरीय इलाके में रहने वाली पूर्णा रानी बैसाखी के दिन यानि 14 अप्रैल को स्थानीय प्रशासन की तरफ से आयोजित एक कोविड टीकाकरण शिविर में पहुंचीं.

फसल कटाई का यह त्योहार मोदी सरकार के टीका उत्सव— 11 से 14 अप्रैल के बीच देशव्यापी टीकाकरण अभियान के तीसरे दिन मनाया गया. 90 साल से ज्यादा उम्र की हो चुकीं रानी, जो टीके की पहली खुराक के लिए अपनी बहू पूनम के साथ आई थीं, ने बताया कि उन्हें स्थानीय गुरुद्वारे में की गई घोषणा से टीकाकरण शिविर की जानकारी मिली थी.

यह ऐसे बेहतरीन विचारों में से एक है जिसे अंबाला के जिला स्वास्थ्य विभाग ने अपने टीकाकरण लक्ष्यों को हासिल करने के लिए अपनाया है— धार्मिक संस्थानों और इसके प्रमुखों का उपयोग लोगों को टीके की अपनी खुराक लेने के लिए प्रेरित करना.

सिविल सर्जन कार्यालय, अंबाला (जिला स्वास्थ्य कार्यालय) ने स्पष्ट किया कि गुरुद्वार, मंदिर, चर्च और मस्जिदों का इस्तेमाल टीके लगवाने की अपील कराने में करने का विचार उन्हें इसलिए आया क्योंकि उन्हें लगा कि ज्यादातर भारतीय धार्मिक होते हैं और अपने धार्मिक प्रमुखों की बातों पर ध्यान देंगे.

मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ), अंबाला डॉ. कुलदीप सिंह ने दिप्रिंट से कहा, ‘किसी पुजारी, ग्रंथी या मौलवी की आवाज को आम लोग भगवान की आवाज मानते हैं. इसलिए, कई क्षेत्रों में लोग धार्मिक संस्थानों में किए गए उद्घोष को सुनकर आगे आए हैं.’

उन्होंने बताया, ‘बैसाखी पर हमने लोगों से टीकाकरण के लिए आगे आने की अपील करते हुए अपने बैनर पर सिख गुरुओं की तस्वीरों का इस्तेमाल किया. उससे हमें टीकाकरण को लेकर लोगों की हिचकिचाहट खत्म करने में मदद भी मिली जिसका हमें कुछ क्षेत्रों में सामना करना पड़ रहा था.’

जिला स्वास्थ्य कार्यालय ने ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचने के लिए मोबाइल टीकाकरण यूनिट को भी तैनात किया है. टीकाकरण की जरूरत के बारे में लोगों को समझाने और मोबाइल यूनिट का सहयोग करने, दोनों ही कामों में मान्यता प्राप्त सामाजिक स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं (या आशा वर्कर) का भी इस्तेमाल किया जा रहा है.

इस सबकी बदौलत ही अंबाला हरियाणा में सबसे ज्यादा टीकाकृत आबादी वाला जिला बन पाया है. हालांकि, गुरुग्राम और फरीदाबाद कुल खुराक की संख्या के मामले में अंबाला से आगे हैं लेकिन इन दोनों जिलों की आबादी अंबाला की आबादी से लगभग दोगुनी है.

सिविल सर्जन कार्यालय के अनुसार, अंबाला की अनुमानित आबादी 12.5 लाख है, जिसमें लगभग 22 प्रतिशत (2.75 लाख) 45 वर्ष से अधिक उम्र के हैं और टीकाकरण के पात्र हैं. जिले में 13 अप्रैल तक 2,20,267 लोगों को टीका लग चुका था.

वही, लगभग 29 लाख की आबादी वाले गुरुग्राम में 3,63,691 लोगों और 20 लाख से अधिक की अनुमानित आबादी वाले फरीदाबाद में 3,04,164 लोगों को टीका लगाया गया है.

हालांकि, जिले में कुछ ऐसे इलाके हैं जहां लोग अब भी टीका लगवाने में हिचकिचाते हैं क्योंकि उन्हें दुष्प्रभाव का डर सता रहा है लेकिन डॉ. कुलदीप सिंह को उम्मीद है कि इस तरह का प्रतिरोध जल्द ही पूरी तरह खत्म हो जाएगा.

उन्होंने कहा, ‘हम टीकाकरण के दायरे में आने वाली पूरी आबादी को टीका लगाने का अपना लक्ष्य हासिल करने की तरफ तेजी से बढ़ रहे हैं.’


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टीकाकरण अभियान आगे बढ़ रहा

ऐसे क्षेत्र जहां टीकाकरण के पात्र लोगों की संख्या कम है या बीमार या बुजुर्ग होने के कारण लोग टीकाकरण केंद्रों में आने में अक्षम हैं, के लिए अंबाला जिला स्वास्थ्य विभाग आठ वैनों को मोबाइल टीकाकरण यूनिट के तौर पर इस्तेमाल कर रहा है.

ये वैन हर दिन सुबह नौ बजे अंबाला सिविल अस्पताल से निकलती हैं और उस दिन के लिए तय किए गए मार्ग को पूरा कवर करती हैं. पूरे रास्ते ये निर्धारित स्थानों पर रुकती है और आसपास के लोगों का टीकाकरण होता है. ये मोबाइल यूनिट सिविल अस्पताल लौटने से पहले शाम करीब 6 बजे तक अपना काम करती हैं.

डॉ. सिंह ने कहा, ‘हमने टीकाकरण के लिए अपनी एंबुलेंस को मोबाइल टीकाकरण वैन में बदल दिया है, जिसे हर रोज लगभग 25 से 30 तय स्थानों पर भेजा जाता है. वैन में चार लोग होते हैं— एक डॉक्टर, एक वैक्सीनेटर (जो एक आशा कार्यकर्ता या एएनएम (सहायक नर्स मिडवाइफ) हो सकती है) और लोगों को जुटाने के लिए दो हेल्पर भी मौजूद रहते हैं.’

डॉ. सिंह ने बताया, ‘सभी जगहों पर अंतिम लाभार्थी को टीका लगाए जाने के बाद यह वैन करीब 30 मिनट तक इंतजार करती है, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि किसी पर कोई दुष्प्रभाव तो नहीं हुआ है. वैन में टीके लगने के बाद प्रतिकूल असर (एईएफआई) से निपटने के लिए किट भी मौजूद रहती है, जिसमें पैरासिटामोल और ओआरएस पैकेट जैसी दवाएं शामिल हैं.’

दिप्रिंट टीम ने अंबाला में ऐसी ही एक डॉक्टर, एक आशा कार्यकर्ता और एक एएनएम की मौजूदगी वाली वैन के पूरे कामकाज को देखा.

स्वास्थ्यकर्मियों ने सबसे पहले तो लाभार्थियों की काउंसलिंग की और उन्हें टीका लगवाने के लिए प्रोत्साहित किया. खुराक देने के बाद उन्होंने सभी को दो-दो डोलो 650 गोलियां दीं, जिन्हें टीकाकरण के बाद बुखार आने की स्थिति में इस्तेमाल किया जाना होता है.

टीका लेने वालों में शामिल एक 65 वर्षीय बुजुर्ग विमला रानी ने बताया कि वह पहले टीका लगवाने के लिए सिविल अस्पताल गई थी लेकिन वहां काफी ज्यादा भीड़ होने के कारण लौट आई थीं. लेकिन जब मोबाइल यूनिट उनके घर के पास आई तो उन्होंने वैक्सीन लगवाने के लिए आने का फैसला किया.

उन्होंने दिप्रिंट से कहा, ‘मुझे शुरू में टीका लगवाने को लेकर हिचकिचाहट थी (साइड-इफेक्ट की अफवाहों के कारण) लेकिन डॉक्टरों ने मुझे आश्वस्त किया कि ये सुरक्षित है. मैं अपने परिवार के सदस्यों और पड़ोसियों से भी आग्रह करूंगी कि वे टीका लगवाएं.

मोबाइल वैन बैंक आदि कार्यालयों तक भी पहुंच रही हैं, ताकि कर्मचारियों का टीकाकरण हो सके. अंबाला में ऐसी ही एक जगह भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की मोती नगर शाखा पहुंची दिप्रिंट की टीम को क्षेत्र में इस अभियान के प्रभारी डॉक्टर गगन संधू ने बताया कि कर्मचारी आमतौर पर टीकाकरण के लिए तैयार रहते हैं, स्थानीय लोगों को टीकाकरण के लिए राजी करने में अक्सर काउंसलिंग की जरूरत पड़ती है.

संधू ने दिप्रिंट को बताया, ‘जब हमने फरवरी में टीकाकरण अभियान शुरू किया था तो हर मोबाइल यूनिट एक दिन में लगभग 800 खुराक दे रही थी. हम अब अपने लक्ष्य के करीब हैं और (कम ही लोगों का टीकाकरण बाकी है) और रोजाना लगभग 300 से 400 खुराक दे रहे हैं.’

अंबाला के सीएमओ डॉ. सिंह ने बताया कि सबसे बड़ी उपलब्धि वो थी जब अंबाला जिले में 156 केंद्रों पर एक दिन में 20,000 से अधिक टीके लगाए गए जबकि राज्य स्वास्थ्य विभाग की तरफ से 10,000 का ही लक्ष्य निर्धारित था.’


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आशा कार्यकर्ता दूर करती हैं संदेह लेकिन चुनौतियां बरकरार

अंबाला में टीकाकरण की सफलता का श्रेय कुछ हद तक आशा कार्यकर्ताओं और एएनएम को भी जाता है जिन्होंने लोगों को टीके की खुराक लेने के लिए प्रोत्साहित करने में अहम भूमिका निभाई.

जिले के चौरमस्तपुर क्षेत्र में तैनात एक आशा कार्यकर्ता परमजीत कौर ने कहा, ‘हम पात्र लाभार्थियों को टीकाकरण केंद्रों तक लाने के लिए डोर-टू-डोर कैंपेन चलाते हैं. हर आशा कार्यकर्ता आमतौर पर एक दिन में 40-45 घरों तक जाती है. हम उन लोगों का ब्योरा भी दर्ज करते हैं जो पहली खुराक ले चुके हैं और फिर उनके नजदीकी स्थानों पर कैंप लगाए जाने की व्यवस्था करते हैं ताकि वे दूसरी खुराक ले सकें.’

जिले में स्थानीय लोगों को ‘मोबिलाइजर’ के तौर पर भी तैनात किया गया है जो आसपास के लोगों को नजदीकी टीकाकरण केंद्रों के बारे में जानकारी मुहैया कराते हैं. मोबिलाइजर को हर शिविर के बारे में जानकारी साझा करने के लिए 200 रुपये का भुगतान किया जाता है.

इस तरह के प्रयासों से जिला प्रशासन को टीकाकरण को लेकर शुरुआत में कई लोगों की तरफ से किए जाने वाले प्रतिरोध, जो खासकर कस्बों और ग्रामीण क्षेत्रों में सामने आया था, का मुकाबला करने में काफी मदद मिली है.

हरियाणा के लोग खासकर इस वजह से भी काफी हिचकिचा रहे थे क्योंकि स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज कोवैक्सीन की खुराक लेने के कुछ दिन बाद कोरोना पॉजिटिव हो गए थे.

अंबाला के सीएमओ ने कहा कि यद्यपि मंत्री ने स्पष्ट किया था कि उनके बीमार होने का संबंध किसी भी तरह से वैक्सीन से जुड़ा नहीं है, क्योंकि उन्होंने पहली खुराक बीमार होने के कुछ दिन पहले ली थी. फिर भी कुछ लोग अब तक अफवाह फैला रहे हैं कि मंत्री टीके के कारण बीमार हुए थे. इससे लोगों को टीका लगवाने में संकोच हो रहा है. साथ ही जोड़ा कि जिला प्रशासन वैक्सीन को लेकर तमाम अफवाहों पर अंकुश लगाने की कोशिश कर रहा है.

फिर भी कुछ लोगों में हिचकिचाहट और डर बना हुआ है.

अंबाला में रहने वाले एक व्यक्ति ने नाम न छापने की शर्त पर दिप्रिंट को बताया कि उसके पड़ोस में रहने वाले एक व्यक्ति को टीका लगवाने के एक दिन बाद पैरालिटिक अटैक आ गया था. यद्यपि उसकी इस हालत का कारण तो साफ नहीं है लेकिन इसने पड़ोस के अन्य लोगों को टीका लगवाने के प्रति हतोत्साहित किया.

चौरमस्तपुर के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी डॉ. आशीष ने कहा कि पंचायत और ब्लॉक कार्यालयों का समर्थन हासिल करना एक चुनौती है.

उन्होंने कहा, ‘हम अभियान आगे बढ़ाने पर चर्चा के लिए सामुदायिक और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में नियमित बैठकें करते हैं. हालांकि, ब्लॉक और पंचायत स्तरों पर स्थानीय प्रशासनिक निकायों की तरफ पूरा समर्थन नहीं मिलता. पूरा दबाव आमतौर पर जिला स्वास्थ्य विभाग पर ही होता है. अगर खंड विकास पंचायत अधिकारी (बीडीपीओ) के स्तर पर पंचायतों और गांवों के मुखिया को टीकाकरण अभियान में हमारी मदद करने के लिए प्रोत्साहित किया जाए तो बेहतर रहेगा.

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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