बेंगलुरू: कर्नाटक के स्वास्थ्य मंत्री डॉ के सुधाकर ने सोमवार को कहा, कि पिछले हफ्ते दक्षिण अफ्रीका से आए दो लोग, जो पिछले हफ्ते कोविड पॉज़िटिव पाए गए थे, उनमें से एक का वेरिएंट ‘डेल्टा से अलग’ है. उनका बयान राज्य के स्वास्थ्य अधिकारियों के दावों से उलट है, जिन्होंने शुक्रवार को दावा किया था, कि दोनों यात्रियों में डेल्टा वेरिएंट था.
दोनों यात्रों के नमूने पिछले हफ्ते जिनोम सीक्वेंसिंग के लिए भेज दिए गए थे.
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा, एक नमूना डेल्टा वेरिएंट पाया गया है, जबकि दूसरा उससे अलग है. वेरिएंट का पता लगाने के लिए हमने आईसीएमआर से मदद मांगी है. फिलहाल मैं बस यही कह सकता हूं, कि एक नमूना डेल्टा वेरिएंट से अलग है.
वेरिएंट के मामले में राज्य अब आईसीएमआर से पुष्टि का इंतज़ार कर रहा है.
कर्नाटक से ये ख़बर ऐसे समय आई है, जब एक नए कोविड वेरिएंट को लेकर चिंता बढ़ रही है- जिसकी पहचान ओमिक्रॉन के रूप में हुई है- जिसे डब्लूएचओ ने ‘चिंता का वेरिएंट क़रार’ दिया है. लेकिन यूएन स्वास्थ्य एजेंसी ने कहा है, कि ‘अभी ये स्पष्ट नहीं है कि क्या ये नया वेरिएंट ज़्यादा संक्रामक है (यानी ज़्यादा आसानी से एक से दूसरे व्यक्ति को फैलने वाला), या, क्या इस वेरिएंट के संक्रमण से ‘डेल्टा समेत दूसरे वेरिएंट्स की अपेक्षा, ज़्यादा गंभीर बीमारी फैलती है’.
28 नवंबर को उसने कहा, ‘साउथ अफ्रीका और दुनिया भर के रिसर्चर्स, ओमिक्रॉन के बहुत से पहलुओं को समझने के लिए अध्ययन कर रहे हैं, और जैसे जैसे इन स्टडीज़ के निष्कर्ष उपलब्ध होंगे, वो उन्हें साझा करते रहेंगे’.
कर्नाटक ने पिछले सप्ताह केंद्र को लिखकर मांग की थी, कि ओमिक्रॉन वेरिएंट से प्रभावित देशों के यात्रियों के आने पर पाबंदी लगा दी जाए. राज्य के स्वास्थ्य विभाग ने बताया कि सोमवार दोपहर तक, ये वेरिएंट 15 देशों में पाया जा चुका था. ये देश हैं- दक्षिण अफ्रीका, बोत्सवाना, यूके, हॉन्गकॉन्ग, इटली, बेल्जियम, इज़राइल, ऑस्ट्रेलिया, डेनमार्क, जर्मनी, नीदरलैण्ड्स, चेक गणराज्य, ऑस्ट्रिया, कनाडा, और पुर्तगाल.
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राज्य ने मांगे बूस्टर शॉट्स
मोदी सरकार अभी कोविड-19 के बूस्टर टीकों को लेकर अनिर्णय की स्थिति में है, लेकिन कर्नाटक की बीजेपी सरकार उनकी मांग कर रही है. बूस्टर शॉट्स अतिरिक्त ख़ुराकें होती हैं, जो कोविड के निर्धारित डोज़ से अलग होती हैं. कुछ देशों ने समय के साथ टीकों के प्रभाव में संभावित कमी की समस्या से निपटने के लिए, इन्हें देना शुरू भी कर दिया है.
डॉक्टरों द्वारा चिंता जताए जाने के बाद, जिनमें कोविड-19 पर सरकार की तकनीकी सलाहकार समिति के सदस्य भी शामिल हैं, कर्नाटक सरकार ने दो ख़ुराकों की कोविड वैक्सीन की तीसरी ख़ुराक देने के लिए, केंद्र सरकार से मंज़ूरी मांगी है.
मुख्यमंत्री बासवराज बोम्मई ने रविवार को पत्रकारों से कहा था ‘राज्य सरकार ने पहले ही बूस्टर डोज़ देने के लिए, केंद्र को लिखकर अनुमति मांगी है. हमने केंद्र सरकार से कहा है कि हमें कम से कम ऐसे चिकित्सा कर्मियों को बूस्टर डोज़ शुरू करने की अनुमति दी जाए, जो बहुत जोखिम की स्थिति में रहते हैं’. उन्होंने सोमवार को भी इसी बयान को दोहराया.
कर्नाटक में क्लस्टर्स का पता चलने के बाद, मेडिकल प्रोफेशनल्स के स्वास्थ्य और सुरक्षा को लेकर चिंताएं बढ़ गईं थीं.
शनिवार तक सूबे में, एक हफ्ते के अंदर चार क्लस्टर्स की ख़बरें आ चुकीं थीं, जिनमें सबसे ताज़ा रविवार को सामने आया- हासन के एक आवासीय स्कूल में 13 छात्रों के टेस्ट पॉज़िटिव पाए गए, लेकिन वो सभी बिना लक्षण वाले घोषित किए गए.
मणिपाल अस्पताल समूह के चिकित्सा सलाहकार बोर्ड के अध्यक्ष डॉ सुदर्शन बल्लाल ने दिप्रिंट से कहा, ‘हमें याद रखना चाहिए कि स्वास्थ्य देखभाल कर्मियों को, कोविड-19 टीकों की दूसरी ख़ुराक क़रीब 6-7 महीने पहले दी गई थी. उन्हें सुरक्षित रखने के लिए तुरंत बूस्टर डोज़ दिए जाने की ज़रूरत है’.
उन्होंने आगे कहा, ‘ये वैक्सीन का ही परिणाम था, कि हमने दूसरी लहर के दौरान ज़्यादा फ्रंटलाइन वर्कर्स को मरते नहीं देखा, जैसा पहली लहर में हुआ था’.
उन्होंने कहा कि अगर हमारा देश एक दिन में दो करोड़ लोगों तक का टीकाकरण कर सकता है, तो उसे और बढ़ाकर उन लोगों को कवर किया जा सकता है, जो दूसरी ख़ुराक के इंतज़ार में हैं, या संवेदनशील समूहों को बूस्टर डोज़ दिए जा सकते हैं.
बूस्टर डोज़ देने का अनुरोध ऐसे समय आया है, जब नागरिकों के बीच एक बार फिर, वैक्सीन को लेकर झिझक पैदा होने लगी है.
सुपर-स्पेशिएलिटी आई हॉस्पिटल्स की एक चेन, नारायणा नेत्रालय के संस्थापक अध्यक्ष डॉ के भुजंग शेट्टी ने कहा, ‘बहुत से देशों ने बूस्टर डोज़ देने शुरू कर दिए हैं. हालांकि हमारे पास पर्याप्त डेटा नहीं है, लेकिन फिर भी एहतियात के तौर पर, हम स्वास्थ्यसेवा कर्मियों को तो सुरक्षित कर ही सकते हैं. वायरस लगातार परिवर्तित हो रहा है, और हमें देखभाल करने वालों की सुरक्षा के लिए क़दम उठाने की ज़रूरत है’.
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क्लस्टर्स से तेलंगाना में भी चिंता बढ़ी
तेलंगाना के शैक्षणिक संस्थानों में एक सप्ताह के अंदर तीन कोविड क्लस्टर, राज्य में चिंता का विषय बन गए हैं.
संगारेड्डी के महात्मा ज्योतिबा फुले गुरुकुल स्कूल में, रविवार और सोमवार को टेस्ट किए 470 में से 47 छात्र कोविड पॉज़िटिव पाए गए. रैपिड एंटिजन टेस्ट (रैट) किए गए 26 टीचर्स में से एक टीचर का टेस्ट भी पॉज़िटिव पाया गया. ये टेस्ट तब कराए गए जब स्कूल के एक छात्र में हल्के लक्षण नज़र आए.
ज़िला चिकित्सा और स्वास्थ्य अधिकारी गायत्री देवी ने दिप्रिंट को बताया, ‘एहतियात के तौर पर उनके नमूने जिनोम सीक्वेंसिंग के लिए हैदराबाद भेजे गए हैं. उन सभी को अलग कर दिया गया है, और वो बिना लक्षण वाले हैं’.
पिछले हफ्ते, हैदराबाद के बाहरी हिस्से में स्थित महिंद्रा यूनिवर्सिटी को, 25 छात्रों और 5 स्टाफ सदस्यों के पॉज़िटिव निकलने के बाद बंद कर दिया गया. कुल 1,700 लोगों की जांच की गई, जिनमें छात्र तथा स्टाफ मेम्बर्स शामिल थे. निजी यूनिवर्सिटी ऑनलाइन क्लासेज़ पर चली गई है, और सभी हॉस्टल वासियों को घर लौटने के लिए कह दिया गया है.
तेलंगाना के खम्मम ज़िले में, आठ दिन पहले वायरा मंडल के एक सरकारी आवासीय स्कूल में, 29 छात्रों के टेस्ट पॉज़िटिव पाए गए. 550 छात्रों के टेस्ट किए गए.
तेलंगाना हाईकोर्ट से हरी झंडी मिलने के बाद, राज्य के शिक्षण संस्थान ख़ासकर स्कूल 1 सितंबर को फिर से खुल गए थे. कोर्ट ने अक्तूबर में राज्य को आवासीय स्कूलों को फिर से खोलने की अनुमति दे दी थी. इससे पहले राज्य सरकार ने उन एहतियाती क़दमों का उल्लेख किया था जो उठाए जाने हैं.
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