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Thursday, 18 April, 2024
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भारत में टीकाकरण अभियान शुरू होते ही वैक्सीन लेने वालों में दिखे राहत, उत्साह और आशंका के भाव

महाराष्ट्र में पहले दिन 28,500 फ्रंटलाइन कार्यकर्ताओं का टीकाकरण होने की उम्मीद है जबकि यूपी में 31,700 से ज्यादा स्वास्थ्यकर्मियों को टीके की खुराक मिल सकती है.

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नई दिल्ली/कोलकाता/लखनऊ/श्रीनगर/मुंबई: पिछले करीब एक साल से किसी को भी फोन कॉल लगाने का मतलब था कोविड-19 को लेकर सावधानी का संदेश सुनना. लेकिन शनिवार सुबह फोन में कॉलर ट्यून का संदेश आशाओं से भरा हो गया— ‘टीका इस नए साल पर उम्मीद की एक नई किरण’ लेकर आया है.

बहुप्रतीक्षित टीके को स्टोर करने वाले नीले रंग के आइसबॉक्स की तस्वीरें एक साल से झेली जा रही आपदा को खत्म करने की उम्मीदें जगाती हैं. प्रभावकारिता डाटा के अभाव में भारत के स्वदेश विकसित टीके कोवैक्सीन को लेकर संदेह जताया जाना जारी रहने के बावजूद लाभार्थियों में राहत की भावना स्पष्ट तौर पर नज़र आ रही है.

भारत में एक्टिव केस की संख्या पहले ही घट रही है. आज सुबह एक्टिव केस की संख्या 2,11,033 थी, जो कि जून के बाद से सबसे कम है. हालांकि, बड़े पैमाने पर टीकाकरण देश में हर्ड इम्युनिटी हासिल करने और संक्रमण की संभावित दूसरी लहर, जो अमेरिका और स्पेन जैसे देशों में दिखी थी, से बचाने में मददगार हो सकता है.


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दिल्ली

नई दिल्ली की सुबह तो घने कोहरे की चादर में लिपटी होने के कारण धुंधली थी लेकिन राजीव गांधी सुपर स्पेशलिटी अस्पताल के आसपास उम्मीदों का उजाला छाया था, जहां टीकाकरण केंद्र के बाहर लगभग 60 स्वास्थ्यकर्मी, स्वच्छता और सुरक्षा कर्मचारी एकत्र थे.

ये फ्रंटलाइन कार्यकर्ता वो थे जिन्हें राष्ट्रीय राजधानी में सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया की तरफ से निर्मित कोविशील्ड वैक्सीन सबसे पहले लगाई जानी थी.

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एक 47 वर्षीय नर्सिंग अर्दली लता तोमर ने दिप्रिंट को बताया, ‘मुझे खुशी है कि सबसे पहले फ्रंटलाइन कार्यकर्ताओं को वैक्सीन दी जा रही है.’

जून में अपने पूरे परिवार के साथ कोविड पॉजिटिव पाई गई एक अन्य नर्सिंग अर्दली सरोज माहेश्वरी ने कहा कि यह राहत की सांस लेने का समय है.

उसने कहा, ‘टीका आने से हमने राहत महसूस की है. मेरा परिवार अभी भी बीमारी के बाद के दुष्प्रभावों से जूझ रहा है. हमें अब थोड़ी उम्मीद नज़र आने लगी है. अगर हम स्वस्थ होंगे तभी तो अपने मरीजों की देखभाल कर पाएंगे.

अस्पताल की ही एक अन्य नर्स त्रिवेणी को टीके के असरदार होने पर कोई संदेह नहीं है.

उसने कहा, ‘मुझे खुशी है कि यह सबसे पहले हमें मिल रहा है. मुझे भरोसा है कि अब हम ठीक हो जाएंगे. हमें अपने वैज्ञानिकों पर विश्वास है कि उन्होंने कुछ प्रभावी और भरोसेमंद दवा बनाई है.’

इस बीच, टीकाकरण कार्यक्रम की तैयारियों का जायजा लेने के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन सुबह 10.30 बजे एम्स पहुंचे और उन्होंने वहां एक स्वास्थ्य कर्मचारी को वैक्सीन की पहली खुराक दिए जाने का निरीक्षण किया.

एम्स के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया और नीति आयोग के सदस्य डॉ. वी.के. पॉल दोनों ने एम्स में वैक्सीन की खुराक ली.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब ‘सर्वे भवन्तु सुखिनः’ के मंत्र के साथ टीकाकरण कार्यक्रम का शुभारंभ किया तो लोकनायक जयप्रकाश नारायण अस्पताल (एलएनजेपी) स्थित टीकाकरण केंद्र के वेटिंग रूप में 18-20 स्वास्थ्यकर्मी खुराक लेने के लिए तैयार बैठे थे. केंद्र में कोविशील्ड की खुराक लेने के लिए पहुंचने वाले लाभार्थियों को लाल गुलाब भेंट किए गए.

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल दोपहर करीब डेढ़ बजे लाभार्थियों से बातचीत करने एलएनजेपी अस्पताल पहुंचे.

इसी केंद्र में तैनात किए गए एक स्वास्थ्य कार्यकर्ता ने दिप्रिंट को बताया, ‘अभी तक हमने टीका लगने के बाद किसी को कोई दिक्कत होते नहीं देखी है.’

अस्पताल में नोडल टीकाकरण अधिकारी डॉ. संजय पंडित ने कहा, ‘अब तक स्थिति पूरी तरह सामान्य है. उस नर्स समेत सभी स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं में जोश की भावना है जिसे पहली खुराक मिली थी.’

अस्पताल में ऑन्कोलॉजी विभाग की एक नर्स बिजी टोनी को सबसे पहले कोविशील्ड की पहली खुराक दी गई थी. इसके बाद दिल्ली के मध्य जिले के मुख्य जिला चिकित्सा कार्यालय के डॉ. पुनीत जेटली ने टीका लगवाया.

महाराष्ट्र

महाराष्ट्र में पहले दिन 285 केंद्रों पर 28,500 फ्रंटलाइन कार्यकर्ताओं को टीका लगाया जाना है.

महाराष्ट्र के टीकाकरण केंद्रों में से एक मुंबई के कूपर अस्पताल, जहां प्रधानमंत्री मोदी के कार्यक्रम का वेबकास्ट दिखाया गया था, में स्वास्थ्यकर्मियों ने शनिवार सुबह टीके की खुराक पहुंचने पर तालियों की गड़गड़ाहट के साथ स्वागत किया.

अस्पताल में टीका लेने वाले पहले लाभार्थी का टोकन रखने वाले शिवसेना नेता और पूर्व स्वास्थ्य मंत्री दीपक सावंत थे और दूसरा नंबर उनकी पत्नी अनीता सावंत का था. दोनों ही पेशे से डॉक्टर हैं.

कूपर अस्पताल मुंबई के सबसे बड़े टीकाकरण स्थल में से एक है और शहर के नगर निकाय की तरफ से इसे ‘आदर्श टीकाकरण केंद्र’ के रूप में पेश किया जा रहा है.

सावंत ने पत्रकारों से बातचीत में कहा, ‘मैं इस अभियान को संभव बनाने के लिए माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी और हमारे मुख्यमंत्री उद्धव साहब ठाकरे का बहुत आभारी हूं. कूपर अस्पताल में टीकाकरण की खुराक पाने वाला मैं पहला व्यक्ति हूं और अस्पताल के सभी लोगों का आभारी हूं. टीके को लेते समय चिंता करने का कोई कारण नहीं है. ऐसा डर हर बड़े टीकाकरण अभियान की शुरुआत के समय आता है. यह पूरी तरह से ठीक है.’

उनकी पत्नी ने कहा, ‘दस महीने के बाद यह शुभ दिन मकर संक्रांति के बाद आया है. मुझे पता है कि इस पूरी अवधि के दौरान लोगों के लिए घर चलाना कितना संघर्षपूर्ण हो गया था.’


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जम्मू और कश्मीर

जम्मू और कश्मीर में लगभग 1.06 लाख स्वास्थ्य कार्यकर्ता वैक्सीन की खुराक हासिल करेंगे. केंद्र शासित क्षेत्र में 1.5 लाख खुराक की पहली खेप पिछले हफ्ते ही आई है.

यहां लगभग 4,500 वैक्सीनेटर प्रशिक्षित किए गए हैं, जो पहले चरण के लिए टीके की खुराक देंगे.

पहले चरण में जम्मू और कश्मीर में 27 केंद्र बनाए गए हैं और प्रत्येक केंद्र पर दो वैक्सीनेटर समेत पांच लोगों की एक टीम मौजूद है. टीकाकरण के पहले दिन हर केंद्र पर न्यूनतम 100 लाभार्थियों को खुराक मिलने की उम्मीद है.

विशेष तौर पर टीकाकरण केंद्र बनाए गए शेर-ए-कश्मीर इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (एसकेआईएमएस) में वैक्सीन लेने वाले पहले व्यक्तियों में संस्थान के निदेशक डॉ. ए.जी. अहंगर शामिल थे.

जैसे ही डॉ. अहंगर ने टीके की खुराक ली ऑडिटोरियम में मौजूद लोगों ने तालियों और चीयर्स की गूंज के साथ उनका स्वागत किया.

उनके बाद एलजी मनोज सिन्हा के सलाहकार आर.आर. भटनागर, श्रीनगर के मेयर जुनैद मट्टू और जिला मजिस्ट्रेट शाहिद चौधरी ने खुराक ली.

अहंगर ने कहा, ‘दो बेड वेंटिलेटर वाले केंद्र से हमें 300 से अधिक बेड तक विस्तार करना पड़ा. शुरू में यह सब कुछ बहुत ज्यादा डरा रहा था.’

सभागार के बाहर दक्षिण कश्मीर के कुलगाम क्षेत्र के निवासी बशीर अहमद खान मौजूद थे. एसकेआईएमएस में मधुमेह विभाग में 59 वर्षीय कैटरिंग सुपरवाइजर ने दिप्रिंट को बताया कि यद्यपि उन्हें कई लोगों ने टीका ना लेने की सलाह दी थी, लेकिन उन्होंने इसे लगवाने का विकल्प चुना.

खान ने दिप्रिंट से कहा, ‘यहां तक कि मेरे माता-पिता ने भी ऐसा न करने की सलाह दी थी. मैं समझता हूं कि डर है, लेकिन यही हमारा एकमात्र विकल्प है. डर स्वाभाविक है, हमेशा नई चीजों पर लोग इसी तरह प्रतिक्रिया देते हैं. लेकिन मैं सभी लोगों से आगे आने और टीकाकरण कराने के लिए कहता हूं.’

उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल

उत्तर प्रदेश में पहले दिन 75 जिलों के 31,700 से अधिक स्वास्थ्य कर्मचारियों को टीका लगाया जाएगा.

स्वास्थ्य अधिकारियों के अनुसार, 311 केंद्रों पर टीकाकरण के 317 सत्र आयोजित किए जाएंगे. राज्य को अब तक पहले चरण के लिए मांगी गई 11 लाख खुराकों के मुकाबले 10 लाख से ज्यादा वैक्सीन खुराक मिल गई हैं.

अतिरिक्त मुख्य सचिव (स्वास्थ्य और परिवार कल्याण) अमित मोहन प्रसाद ने बताया कि पहले चरण का टीकाकरण बड़े पैमाने पर सरकारी अस्पतालों, स्वास्थ्य केंद्रों, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों, जिला अस्पतालों, जिला महिला अस्पतालों, शहरी स्वास्थ्य केंद्रों, सरकारी और निजी मेडिकल कॉलेजों में होना है.

लखनऊ के टीकाकरण केंद्रों में से एक किंग जॉर्ज मेडिकल कॉलेज के एक स्वास्थ्य कार्यकर्ता ने कहा, ‘हम टीकाकरण के लिए तैयार हैं. चूंकि पहला दिन है, इसलिए हम उत्साहित होने के साथ-साथ थोड़ा नर्वस भी हैं.’

उन्होंने कहा, ‘सभी तैयारियां कर ली गई हैं. मैं टीका लगवाना चाहता हूं क्योंकि मैंने पूरे कोविड काल में काम करता रहा हूं.’

लखनऊ में शनिवार को 12 केंद्रों पर 1,200 स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को वैक्सीन लगाई जाएगी.

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ दोपहर में निरीक्षण के लिए बलरामपुर अस्पताल पहुंचे.

इस बीच, पश्चिम बंगाल ने पहले चरण के लिए राज्य भर में 44,000 वैक्सीनेटर और 4,000 से अधिक वैक्सीन केंद्रों की तैयारी की है.

दक्षिण कोलकाता स्थित एएमआरआई अस्पताल में सुबह-सुबह स्वास्थ्यकर्मियों को पूरे उत्साह की भावना के साथ नीले स्टोरेज बॉक्स से टीके की शीशियों के एक बंडल निकालते देखा गया.

तेलंगाना और आंध्र प्रदेश

तेलंगाना और आंध्र प्रदेश दोनों जगह टीके की पहली खुराक महिलाओं को दी गई— ये दोनों स्वच्छता कार्यकर्ता हैं.

तेलंगाना में 140 से अधिक केंद्रों में से हर एक में 30 लोगों का टीकाकरण होगा. राजनीतिक नेताओं के दौरों को देखते हुए सभी केंद्रों पर सुरक्षा व्यवस्था बढ़ा दी गई है.

ऑब्जर्वेशन रूम, जहां वैक्सीन लगने के बाद लाभार्थियों को निगरानी के लिए 30 मिनट तक रोका जाता है, में हल्के-फुल्के मनोरंजन के लिए टीवी और म्यूजिक सेट-अप की व्यवस्था की गई है.

हैदराबाद स्थित पॉल डॉस मैटरनिटी हॉस्पिटल में टीके की पहली खुराक लेने वाली 31 वर्षीय आशा कार्यकर्ता पद्मा ने कहा, ‘मुझे खुद पर गर्व है कि मैं सबसे पहले टीका लगवाने वालों में से एक हूं. कोई भी आशा कार्यकर्ताओं और इस पर बात नहीं करता कि कैसे सब लोगों के बीच जाने के कारण वह सबसे ज्यादा जोखिम में हैं. टीका मुझे उम्मीद देता है कि स्थिति बेहतर होने जा रही है.’

हालांकि, केंद्र में कुछ ऐसे स्वास्थ्य कार्यकर्ता भी थे, जो वैक्सीन लेने को लेकर आशंकित थे. इस वजह से अधिकारियों को आखिरी समय में नए वालंटियर्स की तलाश करनी पड़ी.

(मोहना बसु, प्रशांत श्रीवास्तव, मानसी फड़के, मधुपर्णा दास, अजान जावेद और रिशिका सदम के इनपुट्स के साथ)

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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