नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली के फार्मासिस्ट दिल्ली सरकार की उस एडवाइजरी से नाराज़ हैं जिसमें जुलाई के अंत तक सभी फार्मेसियों में सीसीटीवी कैमरे लगाना ज़रूरी बताया गया है. इसका मकसद दोहरे उपयोग (ड्यूल यूज़) और केवल डॉक्टर की पर्ची पर मिलने वाली दवाइयों की अवैध बिक्री को रोकना है.
ड्यूल यूज़ दवाइयां वो होती हैं जो इलाज में काम आती हैं, लेकिन उनका नशे के लिए भी इस्तेमाल होता है. जैसे कि टैपेंटाडोल, जो एक दर्द निवारक ओपिओइड है, और प्रेगाबालिन, जो नसों के दर्द में दी जाती है लेकिन इसे नशे और मानसिक असर के लिए भी लिया जाने लगा है.
सरकार की यह एडवाइजरी 18 जुलाई को हुई 11वीं राष्ट्रीय नारकोटिक्स कोऑर्डिनेशन (NCORD) की बैठक के बाद आई है. इसका मकसद शेड्यूल H, H1 और X दवाओं की अवैध बिक्री को रोकना है—ये वे दवाएं हैं जिन्हें सिर्फ डॉक्टर की पर्ची पर बेचा जा सकता है और जिन्हें बिना डॉक्टर की निगरानी में नहीं लिया जाना चाहिए.
दिल्ली ड्रग कंट्रोल विभाग द्वारा जारी एडवाइजरी में कहा गया है, “बैठक के सदस्यों द्वारा यह इच्छा जताई गई कि सभी मेडिकल दुकानों में निगरानी कैमरे लगाना ज़रूरी है ताकि बिना पर्ची के ड्यूल यूज़ दवाओं की बिक्री को रोका जा सके.”
यह कदम जून में हुई कार्रवाई के बाद उठाया गया है जब दिल्ली ड्रग्स कंट्रोल विभाग ने कैंसर की संदिग्ध दवाओं के 160 से ज़्यादा सैंपल ज़ब्त किए थे और पाया गया कि कई दवाएं बिना दस्तावेज़ के थीं या उन पर संदिग्ध निशान थे.
हालांकि स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि सीसीटीवी लगाना ज़रूरी है, फार्मासिस्ट संगठनों का कहना है कि उन्हें ऐसा कोई आधिकारिक नोटिफिकेशन नहीं मिला है.
दिप्रिंट से बात करते हुए दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. पंकज कुमार सिंह ने कहा, “यह अनिवार्य है. सभी को इसका पालन करना होगा. जो पालन नहीं करेगा, उसके खिलाफ क्या कार्रवाई होगी, वह बाद में तय किया जाएगा.”
हालांकि, रिटेल डिस्ट्रीब्यूशन केमिस्ट अलायंस (RDCA) के अध्यक्ष संदीप नांगिया ने इस एडवाइजरी को अनिवार्य मानने से इनकार किया. उन्होंने कहा, “यह एक एडवाइजरी है, अनिवार्य नहीं। अगर अनिवार्य है, तो नोटिफाई करें. कोई नियम बनाएं, कोई प्रक्रिया अपनाएं, लेकिन सिस्टम के तहत करें.” उन्होंने यह भी कहा कि उन्होंने एडवाइजरी को RDCA के सदस्यों को भेज दिया है, अब निर्णय उन पर है. “मैंने किसी को मना नहीं किया कि पालन न करें,” उन्होंने स्पष्ट किया.
उन्होंने छोटे मेडिकल दुकानदारों पर इसके आर्थिक बोझ की भी बात की. उन्होंने कहा, “दिल्ली में कुछ फार्मेसियां ऐसी हैं जिनकी महीने की बिक्री केवल 5,000 या 12,000 रुपये है. वे कैसे ऐसा पूरा सीसीटीवी सिस्टम लगाएंगे जिसमें कैमरे, मॉनिटर और स्टोरेज सब होता है?”
नांगिया ने जोड़ा, “सरकार देश के हर कोने में कैमरे क्यों नहीं लगाती? जरूरत वहां भी है। जो खुद नहीं कर सकते, वह हमसे करवाते हैं.”
दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के अनुसार, राजधानी में लगभग 30,000 पंजीकृत फार्मेसियां हैं. उप-जिला मजिस्ट्रेटों (SDMs) को निगरानी और कार्यान्वयन की जिम्मेदारी दी गई है. “लगभग 40 प्रतिशत दुकानों में पहले ही सीसीटीवी कैमरे लग चुके हैं,” सिंह ने दिप्रिंट को बताया.
यह निर्देश पहला नहीं है. जुलाई 2023 में भी दिल्ली सरकार ने नाबालिगों में नशे की बढ़ती प्रवृत्ति को देखते हुए फार्मेसियों में सीसीटीवी लगाने का आदेश दिया था. इसके बाद दिल्ली बाल अधिकार संरक्षण आयोग (DCPCR) ने जिलेवार आंकड़े मांगे थे कि कितनी फार्मेसियां शेड्यूल H और X दवाओं की बिक्री बिना निगरानी कर रही हैं.
नई एडवाइजरी के अनुसार, फार्मेसियों को यह सुनिश्चित करना होगा कि शेड्यूल H, H1 और X की दवाएं केवल किसी पंजीकृत डॉक्टर की पर्ची पर ही बेची जाएं. ये दवाएं ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स रूल्स, 1945 के तहत आती हैं और इन पर “Rx” का चिह्न और चेतावनी होती है.
इस सूची में 500 से अधिक दवाएं हैं, जिनमें एंटीबायोटिक, एंटी-डिप्रेसेंट, मेटफॉर्मिन जैसी डायबिटीज़ की दवाएं और रिसपेरिडोन, एल्प्राज़ोलम जैसी मानसिक रोगों की दवाएं शामिल हैं.
हालांकि नियम बने हैं, लेकिन उनका पालन सख्ती से नहीं होता, जिससे दवाओं के गलत इस्तेमाल, एंटीबायोटिक रेसिस्टेंस और स्वास्थ्य जोखिम बढ़ रहे हैं.
“हमें निगरानी से कोई आपत्ति नहीं है,” नांगिया ने कहा. “लेकिन यह न्यायसंगत होनी चाहिए। अगर सरकार चाहती है कि हम पालन करें, तो या तो सिस्टम को सब्सिडी दे या खुद उपलब्ध कराए.”
“जब यह निर्देश आया, हमने बाल अधिकार आयोग को लिखा कि यह संभव नहीं है,” ऑल इंडिया ऑर्गनाइज़ेशन ऑफ केमिस्ट्स एंड ड्रगिस्ट्स (AIOCD) के महासचिव राजीव सिंगल ने कहा. “आप देश के हर कोने में यह उम्मीद नहीं कर सकते—हमारे पास वह ढांचा ही नहीं है. यह व्यवहारिक नहीं है.”
सिंगल ने सुझाव दिया कि सीसीटीवी कैमरे अनिवार्य करने के बजाय, अधिकारियों को शेड्यूल H1 दवाओं के रिकॉर्ड को सख्ती से लेना चाहिए, जो पहले से मेंटेन किए जाते हैं. “हम उन्हें नियमित और जिम्मेदारी से ड्रग विभाग को सौंपने को तैयार हैं,” सिंगल ने दिप्रिंट को बताया.
ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स रूल्स, 1945 के रूल 65 के अनुसार, केमिस्टों को हर शेड्यूल H1 दवा की बिक्री का रजिस्टर रखना अनिवार्य है, जिसमें डॉक्टर और मरीज का नाम व पता दर्ज होना चाहिए.
शेड्यूल X दवाएं, जो सबसे सख्त नियमन के तहत आती हैं और आमतौर पर मानसिक प्रभाव वाली होती हैं, उनके लिए नियम और भी कठोर हैं. इन दवाओं को बिना वैध पर्ची के बेचना गैरकानूनी है और इनकी बिक्री, भंडारण और रिकॉर्ड पर सख्त निगरानी रखी जाती है ताकि इनका गलत इस्तेमाल या तस्करी रोकी जा सके.
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