नई दिल्ली: अमेरिकी फार्मा दिग्गज फाइज़र ने सोमवार को कहा कि अपनी कोविड-19 वैक्सीन की आपात अनुमति लेने के लिए वो मोदी सरकार के एक्सपर्ट पैनल की बैठकों में शामिल नहीं हो पाई, क्योंकि उन्हें बेहद कम समय रहते बुलाया गया था, जो ‘कुछ घंटे या उससे भी कम था’.
कंपनी ने ‘समय-क्षेत्र की सीमाओं’ का भी हवाला दिया, क्योंकि उसकी टीम अमेरिका से काम करती है.
फाइज़र- जो अपनी कोविड-19 वैक्सीन के आपात इस्तेमाल के लिए, ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (डीसीजीआई) के पास आवेदन करने वाली पहली फार्मास्यूटिकल कंपनी थी- 30 नवंबर से 2 जनवरी के बीच हुईं विषय विशेषज्ञ समिति (एसईसी) की किसी भी अहम बैठक में शरीक नहीं हुई थी.
इसके नतीजे में 3 जनवरी को दूसरी दो वैक्सीन्स- ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और एस्ट्राज़ेनेका की कोविशील्ड और भारत बायोटेक तथा भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) की कोवैक्सिन को मंज़ूरी दे दी गई, जिन्होंने फाइज़र के बाद आवेदन किया था.
बैठकों से कंपनी की अनुपस्थिति का कारण समझने के लिए, दिप्रिंट की ओर से भेजे गए ईमेल का जवाब देते हुए, फाइज़र के एक प्रवक्ता ने कहा, ‘फाइज़र ने निवेदन किया था कि उसे अपनी कोविड-19 वैक्सीन के आपातकालीन इस्तेमाल (ईयूए) की अनुमति के लिए, एसईसी के साथ विचार विमर्श में शरीक होने का अवसर दिया जाए.
‘लेकिन कंपनी के प्रतिनिधि पिछली बैठकों में शिरकत नहीं कर पाए, क्योंकि उन्हें बेहद कम समय रहते बुलाया गया था, जो ‘कुछ घंटे या उससे भी कम था’, साथ ही ‘समय-क्षेत्र की सीमाएं’ भी थीं, क्योंकि इसमें हिस्सा ले रही टीम बुनियादी तौर पर अमेरिका से काम करती है’.
जर्मन बायोटेकनोलॉजी फर्म बायोएनटेक एसई के साथ मिलकर, फाइज़र द्वारा विकसित प्रयोगात्मक वैक्सीन ने, सार्स-सीओवी-2 संक्रमण को रोकने में 90 प्रतिशत से अधिक असर दिखाया है.
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फाइज़र ने कहा- हम जवाब संकलित कर रहे हैं
कंपनी ने ज़ोर देकर कहा कि वो फाइज़र-बायोएनटेक को भारत लाने की उत्सुक है, और आने वाले प्रेज़ेंटेशंस के लिए, अपने ‘जवाब संकलित’ कर रही है.
कंपनी प्रवक्ता ने कहा, ‘फाइज़र भारत सरकार के साथ काम करने और अपनी कोविड-19 वैक्सीन को, समान रूप से पहुंच में लाने के लिए प्रतिबद्ध है’. प्रवक्ता ने आगे कहा, ‘इस बीच हम, अपने द्वारा मुहैया कराए गए डेटा पर, नियामक की ओर से उठाए गए सवालों के जवाब संकलित करने की प्रक्रिया में हैं’.
कंपनी ने कहा, ‘हम इस बात के लिए अभी प्रतिबद्ध हैं कि भारत सरकार के साथ संपर्क में रहते हुए, हम इस वैक्सीन को सरकार द्वारा इस्तेमाल किए जाने के लिए उपलब्ध कराएंगे’.
दिसंबर में डीसीजीआई के ऑफिस में ईयूए के लिए आवेदन देने के बाद, कंपनी ने दिप्रिंट से कहा था ‘ये वैक्सीन केवल सरकारी ठेकों के ज़रिए सप्लाई की जाएगी, जो संबंधित सरकारी पदाधिकारियों से हुए समझौतों तथा नियामक के अनुमोदन या स्वीकृति पर आधारित होगी’.
भारत समेत सभी विकासशील देशों के लिए, फाइज़र की वैक्सीन ख़रीदने में सबसे बड़ी चिंता ये थी कि उसे रखने के लिए अल्ट्रा-कोल्ड स्टोरेज की ज़रूरत थी, क्योंकि एमआरएनए टेक्नोलॉजी में वैक्सीन को, माइनस 70 डिग्री सेल्सियस (15 डिग्री कम या ज़्यादा) में रखना होता है.
लेकिन, कंपनी प्रवक्ता ने दिप्रिंट से कहा था कि ‘वैक्सीन के ट्रांसपोर्ट, स्टोरेज और तापमान निगरानी के लिए, विस्तृत योजना और साधन’ विकसित कर लिए गए हैं’.
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