बेंगलुरू: 29 अक्टूबर को कार्डिएक अरेस्ट आने से कन्नड सुपरस्टार पुनीत राजकुमार की असामयिक मौत के बाद ऐसा लगता है कि कर्नाटक में दिल की जांच कराने वाले लोगों की संख्या में इज़ाफा हो गया है.
31 अक्टूबर और 1 नवंबर जो कर्नाटक सरकार का स्थापना दिवस भी है उस दिन रविवार को कन्नड राज्योत्सव के चलते छुट्टी का दिन था. राज्य भर के अस्पतालों में दिल की जांच के लिए ओपीडी परामर्श के लिए मरीज़ों की संख्या में 20 से 30 प्रतिशत की बढ़ोतरी देखी गई.
बेंगलुरू के श्री जयदेव इंस्टीट्यूट ऑफ कार्डियो वैस्कुलर साइंसेज़ के डायरेक्टर, डॉ सीएन मंजूनाथ ने दिप्रिंट को बताया, ‘पिछले दो दिन से दिल की सेहत के लिए ओपीडी सेवाएं लेने वाले मरीज़ों की संख्या में हमने 30 प्रतिशत बढ़ोतरी देखी है. हमारे अस्पताल में वीकएंड पर औसतन 1,200 मरीज़ देखे जाते हैं. इस अचानक उछाल से हमारा सिस्टम दबाव में आ रहा है. रविवार को ओपीडी बंद रहती है और तक़रीबन 150 मरीज़ इमरजेंसी में इलाज कराते हैं लेकिन इस रविवार को ये संख्या 550 थी’. कर्नाटक सरकार द्वारा संचालित ये संस्थान जिसका मुख्यालय बेंगलुरू में है, राज्य में तीसरा सबसे बड़ा देखभाल का केंद्र है.
निजी अस्पतालों में भी यही स्थिति है. मणिपाल ग्रुप ऑफ हॉस्पिटल्स के चिकित्सा सलाहकार बोर्ड के अध्यक्ष डॉ सुदर्शन बल्लाल ने कहा, ‘लगातार छुट्टियां होने के बावजूद हमारी बेंगलुरू इकाई में दिल की जांच कराने वाले मरीज़ों की संख्या में क़रीब 20-25 प्रतिशत का इज़ाफा देखा गया है. ज़्यादातर मरीज़ 20-30 वर्ष आयु वर्ग के हैं. वो विशेष रूप से सीटी एंजियोग्राफी कराना चाह रहे हैं. हमें ख़ुशी है कि दिल की सेहत को लेकर जागरूकता है लेकिन कोई घबराहट नहीं होनी चाहिए’.
डॉक्टर्स इस प्रवृत्ति का कारण स्वस्थ और फिट नज़र आ रहे पुनीत राजकुमार की अचानक मौत से फैली घबराहट को बता रहे हैं.
डॉ मंजूनाथ ने कहा, ‘निवारक देखभाल के लिए सालाना टेस्ट के अलावा ऐसी जांच की ज़रूरत केवल उन लोगों को होती है जिनके सामने बहुत सारे जोखिम होते हैं. जैसे हाइपरटेंशन, तनावपूर्ण जीवन शैली, भारी शराब सेवन, स्मोकिंग, नींद न आना, और ह्रदय रोगों का पारिवारिक इतिहास. अमूमन ईसीजी, ईको, ट्रेडमिल स्ट्रेस टेस्ट आदि कराने की सिफारिश की जाती है लेकिन किसी को ज़्यादा बार सीटी एंजियो नहीं कराना चाहिए क्योंकि उससे किडनी पर दबाव पड़ता है’.
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केवल बेंगलुरू में नहीं
दिल की जांच के लिए अस्पतालों में भीड़ केवल बेंगलुरू तक सीमित नहीं है. कर्नाटक के दूसरे हिस्सों में भी दिल की जांच के लिए अस्पताल आने वाले लोगों की संख्या में तेज़ी से इज़ाफा हुआ है.
हुबली के सत्तूर हार्टकेयर एंड सुचिरायु अस्पताल में इंटरवेंश्नल कार्डियॉलजिस्ट डॉ अमीत सत्तूर ने बताया, ‘दिलचस्प बात ये है कि ऐसे बहुत से मरीज़ जिनका दिल की बीमारियों का इतिहास है लेकिन जो जांच और निगरानी के लिए आने में लापरवाही करते हैं वो भी जांच कराने के लिए आ रहे हैं. ज़्यादातर नए मरीज़ 30 वर्ष से कुछ अधिक आयु के हैं.’
उन्होंने आगे कहा कि दिल के स्वास्थ्य को लेकर जागरूकता का ‘स्वागत’ है लेकिन लोगों को इससे जुड़ी दूसरी बातों का भी ध्यान रखना चाहिए.
डॉ सत्तूर ने कहा, ‘जो लोग जिम में कसरत शुरू करना चाहते हैं वो अपनी जांच के लिए आने लगे हैं. बहुत जरूरी है कि आप अपने शरीर की सीमाओं को समझें ताकि अनावश्यक रूप से अधिक काम और तनाव से बच सकें’.
मैसूर के अपोलो अस्पताल के जाने-माने कार्डियॉलजिस्ट डॉ अरुण श्रीनिवास का कहना था कि ये भीड़ एक्टर की मौत पर ‘घबराहट में ज़ाहिर हुई प्रतिक्रिया’ थी.
उन्होंने कहा, ‘पिछले दो दिनों में हमारी ओपीडी में, 35 प्रतिशत का उछाल देखा गया है. ख़ासकर 30 वर्ष से कुछ ऊपर के लोगों में दिल की बीमारियों से जुड़ी जांच में बढ़ोतरी देखी गई है. उनमें से 99 प्रतिशत बिल्कुल स्वस्थ हैं लेकिन वो घबराहट में अस्पतालों का रुख़ कर रहे हैं, जबकि उन्हें दरअस्ल जागरूकता के लिहाज़ से आना चाहिए.’
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