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Tuesday, 7 May, 2024
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चीन में बढ़ते कोरोनावायरस के मामलों के पीछे कोई नया Covid-19 वैरिएंट सामने नहीं आयाः स्टडी

शोधकर्ताओं ने सिर्फ बीजिंग के नवंबर-दिसंबर 2022 के बीच के आंकड़ों का विश्लेषण किया है, लेकिन उनका दावा है कि ये डेटा पूरे चीन का प्रतिनिधित्व करता है.

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नई दिल्ली: हाल ही में बीजिंग से एकत्र किए गए SARS-CoV-2 सैंपल्स की जीनोमिक सीक्वेंसिंग से पता चला है कि चीन में अचानक से बढ़े मामलों के पीछे कोरोनावायरस का कोई नया वेरिएंट नहीं मिला है. द लैंसेट जर्नल में प्रकाशित एक स्टडी में यह जानकारी सामने आई है.

चीन में ज़ीरो-कोविड नीति को खत्म करने के बाद कोरोना के मामलों में जबरदस्त उछाल आया था. इस कारण पूरी दुनिया कोरोना की नई लहर को लेकर चिंतित थी.

बीजिंग में रिपोर्ट किए गए मामलों का विश्लेषण करने के बाद स्टडी ने निष्कर्ष निकाला कि 14 नवंबर और 20 दिसंबर, 2022 के बीच सामने आए 90 फीसदी से ज्यादा स्थानीय संक्रमण के लिए दो मौजूदा ओमिक्रॉन सब वेरिएंट, बी.ए.5.2 और बी.एफ.7 ही ज़िम्मेदार थे.

चीन ने तीन साल तक सख्त कोविड प्रोटोकॉल लागू करने के बाद 7 दिसंबर, 2022 को अपनी ज़ीरो-कोविड नीति को खत्म कर दिया था. इसमें कोविड से जूझ रहे इलाकों में लॉकडाउन, ग्रुप टेस्टिंग और क्वारंटाइन किया जाना शामिल था. प्रतिबंधों को अचानक हटाने के कारण देश में कोविड के मामलों में जबरदस्त उछाल आया. लाखों लोग संक्रमित हो गए और अस्पतालों में भर्ती होने वाले लोगों की संख्या काफी बढ़ गई थी.

चाइनीज़ एकेडमी ऑफ साइंसेज की रिसर्च टीम ने अन्य देशों और बीजिंग में स्थानीय कोविड-19 के सैंपल एकत्र किए थे. विश्लेषण करने के लिए के लिए रैंडमली सैंपल्स का चयन किया गया था. दिसंबर 2022 से पहले बीजिंग में लगातार लोकल ट्रांसमिशन की सूचना नहीं मिली थी.

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स्टडी में शामिल 2,881 हाई क्वालिटी सीक्वेंसज में से 413 नए सैपल्स को विश्लेषण के लिए चुना गया था. ये सैंपल्स 14 नवंबर, 2022 और 20 दिसंबर, 2022 के बीच इकट्ठा किए गए थे. उस समय चीन में संक्रमण काफी तेज़ी से फैल रहा था. इनमें से 350 लोकल मामले थे और 63 सैपल्स बाहर के देशों से लिए गए थे.

विश्लेषण से पता चला कि इन सभी मामलों के संक्रमण के लिए मौजूदा कोविड-19 स्ट्रेन ही जिम्मेदार था.

स्टडी के मुताबिक, 14 नवंबर, 2022 के बाद बीजिंग में स्थानीय संक्रमणों के 75.6 मामलों के पीछे प्रमुख स्ट्रेन बी.एफ. 7 का हाथ था, जबकि एक दूसरा ओमिक्रॉन सब-वैरिएंट, बी.ए.2 बाकी के 16.3 फीसदी स्थानीय मामलों के लिए जिम्मेदार पाया गया था.

बीजिंग में बी.ए.5.2 और बी.एफ.7 स्ट्रेन की वजह से 14 नवंबर, 2022 के बाद कोविड मामले तेज़ी से बढ़ने लगे थे. बी.ए.5.2 14 नवंबर और 25 नवंबर,2022 के बीच स्थिर रहा था, लेकिन 30 नवंबर, 2022 के आसपास तेजी से बढ़ने लगा. 30 नवंबर, 2022 के आसपास रिपोर्ट किए गए मामलों में बी.ए.5.2 ने तेजी से संक्रमण फैलाना शुरू कर दिया था. वहीं बी.एफ.7 स्ट्रेन 14 नवंबर, 2022 से धीरे-धीरे ही फैल रहा था.

जाने-पहचाने वेरिएंट के कारण मामले बढ़े

इंस्टीट्यूट ऑफ माइक्रोबायोलॉजी चाइनीज एकेडमी ऑफ साइंसेज में प्रोफेसर जॉर्ज गाओ ने अपने एक बयान में कहा, ‘‘महामारी के दौरान वेरिएंट के प्रभाव को देखते हुए, यह जांच करना महत्वपूर्ण था कि क्या चीन की कोविड-19 रोकथाम और नियंत्रण नीतियों में हालिया बदलावों के बाद कोई नया वेरिएंट सामने आया है या नहीं.’’

इस स्टडी के प्रमुख लेखक गाओ ने कहा, ‘‘हमारे विश्लेषण से पता चलता है कि मुख्य रूप से बीजिंग और संभवत पूरे चीन में कोविड के मामलों में मौजूदा उछाल के लिए दो जाने-पहचाने ओमिक्रॉन सब-वेरिएंट जिम्मेदार हैं. कोई नया वेरिएंट हमें नज़र नहीं आया, लेकिन चीन में कोविड-19 के मामले जिस तेज़ी के साथ बढ़े हैं, उसे देखते हुए यह महत्वपूर्ण है कि हम स्थिति की बारीकी से निगरानी करना जारी रखें. हमारी कोशिश यही है कि इस दौरान अगर कोई भी नया वेरिएंट सामने आए तो जल्द से जल्द उसे समझा जा सके.’’


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स्टडी की सीमाएं

हालांकि, शोधकर्ताओं ने सिर्फ बीजिंग के 2022 (नवंबर के मध्य से दिसंबर तक) के आंकड़ों का विश्लेषण किया है, लेकिन उनका दावा है कि डेटा पूरे देश का प्रतिनिधित्व करता है.

दिसंबर 2022 में लैब से कन्फर्म किए गए कोविड-19 मामलों की संख्या अनुपलब्ध थी क्योंकि चीन में बड़े पैमाने पर किए जाने वाले टेस्ट की अनिवार्यता को खत्म कर दिया गया था. उन्होंने कहा कि संक्रमणों की सही संख्या को कम करके आंका गया था.

स्टडी टीम के मुताबिक, हो सकता है कि डेटासेट एक सैंपलिंग पूर्वाग्रह पेश कर रहा हो. इसलिए ओमिक्रॉन सब-वेरिएंट की ट्रांसमिसिबिलिटी और पैथोजेनिसिटी का स्टडी करने के लिए अधिक सैंपलिंग की ज़रूरत है.

महामारी के शुरुआती चरण के दौरान वायरस के फैलने की दर को स्थिर माना गया था, हालांकि यह संभव है कि यह वेरिएंट के आधार पर अलग-अलग हो.

दक्षिण अफ्रीका के स्टेलेनबॉश यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर वोल्फगैंग प्रीजर और डॉ टोंगाई मापोंगा ने एक लिंक की गई टिप्पणी में लिखा, ‘‘चीन के इस बहुप्रतीक्षित डेटा को देखना स्वागत योग्य है. यह निश्चित रूप से राहत की बात है कि इस स्टडी में नोवल वेरिएंट के कोई सबूत नहीं मिले हैं, लेकिन इसमें हैरानी जैसा भी कुछ नहीं है क्योंकि: प्रभावी नियंत्रण उपायों के अचानक से खत्म करने के बाद मामलों में तेज़ी से आए उछाल को स्पष्ट तौर पर समझाया गया है.’’ प्रोफेसर प्रीजर और मापोंगा स्टडी में शामिल नहीं थे.

हालांकि, उन्होंने बीजिंग के आंकड़ों के आधार पर पूरे देश के बारे में निष्कर्ष निकालने में सावधानी बरतने का आग्रह किया है.

उन्होंने कहा, ‘‘एक विशाल और घनी आबादी वाले देश के एक क्षेत्र में SARS-CoV-2 मोलेक्युलर एपिडेमियोलॉजिकल प्रोफ़ाइल को पूरे देश में लागू नहीं किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि चीन के अन्य क्षेत्रों में अन्य वेरिएंट के होने की संभावना हो सकती है. हो सकता है कि जानवरों की प्रजातियां मनुष्यों से संक्रमित से हुईं हो और एक और नया वायरस ‘वापस’ से फैला रही हों.’’

(अनुवादः संघप्रिया | संपादनः फाल्गुनी शर्मा)

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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