नई दिल्ली: दुनिया भर के वैज्ञानिकों ने भारत में एक नए कोरोनावायरस वेरिएंट BA.2.75 को पाए जाने को लेकर हरी झंडी दिखा दी है. इस वेरिएंट के बारे में कहा जा रहा है कि यह काफी तेजी से फैलता है और पहले संक्रमित हो चुके या फिर टीके की दोनों डोज लगवा चुके लोगों को भी अपनी चपेट में लेने की क्षमता रखता है.
BA.2.75 Omicron वेरिएंट का एक सब-लिनिइज है. दुनियाभर में कोरोना के ओमिक्रॉन वेरिएंट का खतरा बना हुआ है. इस वायरस के नए जेनेटिक वेरिएशन बार-बार सामने आ रहे हैं.
जीनोमिक डेटा के एक ओपन-सोर्स प्लेटफॉर्म नेक्स्टस्ट्रेन पर अपलोड किए गए आंकड़ों के अनुसार, भारत में अब तक महाराष्ट्र, कर्नाटक और जम्मू-कश्मीर में बी ए.2.75 वेरिएंट के कम से कम 23 मामलों का पता चला है.
नेक्स्टस्ट्रेन डेटा के अनुसार, दुनिया भर में, ऑस्ट्रेलिया, जर्मनी, कनाडा और न्यूजीलैंड सहित, वेरिएंट के लगभग 37 मामलों की जानकारी सामने आई है.
भारत सरकार या भारतीय SARS-CoV-2 जीनोमिक्स कंसोर्टियम (INSACOG), स्वास्थ्य मंत्रालय के तहत काम करने वाली जीनोमिक निगरानी एजेंसी से वेरिएंट के बारे में कोई आधिकारिक संचार नहीं हुआ है. लेकिन दुनिया के कई हिस्सों के स्वतंत्र वैज्ञानिकों ने विभिन्न ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर BA.2.75 की पुष्टि की है. उन्होंने कहा कि इस प्रकार के स्पाइक प्रोटीन पर म्यूटेशन चिंता का कारण है.
इंपीरियल कॉलेज लंदन के एक वैज्ञानिक टॉम पीकॉक ने एक ट्विटर थ्रेड में कहा कि वेरिएंट पर नज़दीकी से नज़र रखे जाने की जरूरत है.
Surveillence minded folks – worth keeping a close eye on BA.2.75 – lots of spike mutations, probable second generation variant, apparent rapid growth and wide geographical spread…https://t.co/sY0edKoQHX
— Tom Peacock (@PeacockFlu) June 30, 2022
भारत के एक वरिष्ठ जीनोमिक वैज्ञानिक ने नाम न छापने की शर्त पर दिप्रिंट को बताया कि भारत में इस वेरिएंट के कई मामले सामने आए हैं.
दिल्ली में काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च-इंस्टीट्यूट ऑफ जीनोमिक्स एंड इंटीग्रेटिव बायोलॉजी (सीएसआईआर-आईजीआईबी) के वैज्ञानिक लिपि ठुकराल ने दिप्रिंट को बताया, ‘इस लिनिइज पर तुरंत ध्यान दिए जाने की जरूरत हो सकती है क्योंकि ज्यादातर म्यूटेशन अपने आप में अलग होते हैं और इसके भौतिक-रासायनिक स्वरूप में भी काफी बदलाव आया है.’
ठुकराल ने बताया कि कोरोनवायरस, या SARS-CoV-2 के महत्वपूर्ण इंटरफेस पर नौ म्यूटेशन हैं, जिसमें स्पाइक प्रोटीन के एन-टर्मिनल डोमेन के रूप में जाने जाने वाले पांच बदलाव शामिल हैं. एन-टर्मिनल डोमेन वायरस में खुद को मेजबान सेल से जोड़ने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और एंटीबॉडी को निष्क्रिय करने का काम करता है.
ठुकराल ने कहा, रिसेप्टर बाइंडिंग डोमेन क्षेत्र में चार म्युटेशन होते हैं, जो मौजूद वायरस में ACE2 रिसेप्टर के साथ इंटरैक्ट करते हैं. ACE2 एक एंजाइम है जो SARS-CoV-2 वायरस के लिए रिसेप्टर के रूप में काम करता है और कोशिकाओं को संक्रमित करने की अनुमति देता है.
टीका लगने के बाद भी इस वेरिएंट से संक्रमित होने की संभावना क्यों?
पहले उद्धृत भारतीय जीनोमिक वैज्ञानिक ने बताया कि BA.2.75 वेरिएंट के स्पाइक प्रोटीन में, उन म्यूटेशनों के अलावा जो पहले से ही ओमिक्रॉन वेरिएंट में मौजूद हैं, नए म्यूटेशन भी शामिल हैं. स्पाइक प्रोटीन नोवेल कोरोनावायरस की बाहरी सतह पर दिखाई देने वाले उभार हैं.
वैज्ञानिक ने कहा, म्युटेशन ‘G446S’ और ‘R493Q’ खास तौर पर चिंता की बात हैं. ये दोनों स्पाइक प्रोटीन की प्रोटीन संरचना में महत्वपूर्ण परिवर्तनों से जुड़े हैं, जिसमें वेरिएंट को कई एंटीबॉडी से बचने की क्षमता देने का सामर्थ्य है.
नतीजतन, वैरिएंट से उन लोगों को संक्रमित होने की उम्मीद है जिन्हें टीका लगाया गया है, या जो पहले संक्रमित हो चुके हैं.
मौजूदा समय में इस खास वेरिएंट से संक्रमण कितनी तेजी से फैल रहा है, इस पर डेटा की कमी है. फिलहाल यह पता लगाने के लिए भी पर्याप्त डेटा नहीं है कि क्या वेरिएंट से गंभीर संक्रमण होने की संभावना है.
विभिन्न मंचों पर BA.2.75 पर चर्चा कर रहे है वैज्ञानिकों के अनुसार, वैरिएंट से गंभीर संक्रमण होने की संभावना नहीं है, क्योंकि G446S को वैक्सीन-प्रेरित टी-कोशिकाओं द्वारा भी पहचान लिया जाता है. टी-सेल्स – एक प्रकार की श्वेत रक्त कोशिका शरीर में रोगाणुओं को लक्षित करने और पहचानने में मदद करती हैं.
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