नई दिल्ली: 50 रुपए में एक एमआरआई स्कैन, 600 रुपए में डायलेसिस- दिसंबर आते ही दिल्ली के गुरुद्वारा बंगला साहिब में खुलने जा रहे डायग्नोस्टिक सेंटर में उन लोगों को सबसे ‘सस्ती दरों’ पर टेस्ट उपलब्ध कराए जाएंगे, जो इन्हें अन्यथा वहन नहीं कर पाते.
राष्ट्रीय राजधानी के बीचो बीच स्थित, उस बिल्डिंग के साए में जिसमें मुख्य प्रार्थना हॉल है, ये डायग्नोस्टिक सेंटर दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (डीएसजीएमसी) की ओर से, गुरद्वारे की 50 साल पुरानी डिस्पेंसरी में स्थापित किया जा रहा है.
डीएसजीएमसी के अध्यक्ष मजिंदर सिंह सिरसा ने दिप्रिंट से कहा, ‘यहां हमारे पास बहुत लोग आते हैं जो गरीब हैं. एक महिला ने हमसे कहा कि उसे अपने बेटे का एमआरआई कराना है और वो आठ महीने से इंतज़ार कर रही हैं क्योंकि उसके पास पैसे नहीं हैं’.
कमेटी ने 6 करोड़ रुपए जमा किए और इसके अलावा कई लोगों से चंदा लिया जिससे उन्होंने चार डायलेसिस मशीनें और एक एक एमआरआई, एक्स-रे और अल्ट्रासाउंड मशीनें खरीदीं.
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डायग्नोस्टिक सेंटर
रेडियोलॉजिस्ट डॉ पवनदीप सिंह, जो कमेटी को सलाह दे रहे हैं, का कहना है कि डायग्नोस्टिक सेंटर बनाने का विचार, पिछले कुछ साल से चल रहा था.
सिंह, जो शहर में अपना खुद का डायग्नोस्टिक सेंटर चलाते हैं, ने दिप्रिंट से कहा, ‘डायग्नोस्टिक सेंटर बनाने का विचार, पिछले दो साल से चल रहा था. उद्देश्य ये था कि गरीब लोगों की सेवा की जाए, उनकी मदद की जाए…हम ये काम कम दरों पर कर रहे हैं, जिससे गरीब लोगों की मदद होगी. आमतौर से, एमआरआई में 6,000-8,000 रुपए खर्च होते हैं’.
कमेटी के एक और सलाहकार डॉ अरविंदर सिंह सॉयन, जो मेदांता अस्पताल में सर्जन हैं और सेंटर पर जिनका ट्विटर पोस्ट वायरल हुआ, ने समझाया कि कम खर्च का ये डायग्नोस्टिक सेंटर, किस तरह काम करेगा.
After a low-cost dispensary, Gurudwara Bangla Sahib is now slated to open a cheap diagnostic facility. An ultrasound will cost Rs. 150 & an MRI Scan Rs. 50! ? pic.twitter.com/oZLKQblUTa
— Dr. Arvinder Singh Soin (@ArvinderSoin) October 5, 2020
सॉयन ने कहा, ‘अगर आप उनकी फार्मेसी को देखें (जो पॉलीक्लीनिक में है), तो वहां सारी दवाएं निर्माताओं से सीधे खरीदी जाती हैं…वो (कमेटी) फार्मेसी को चलाते हैं, ये अपने संचालन का खर्च निकालती है और दवाइयां बहुत कम दाम पर खरीदी जाती हैं और बिना किसी मुनाफे के यूज़र को बेची जाती हैं…अल्ट्रासाउंड, एमआरआई और एक्स-रे में भी यही चीज़ होगी चूंकि उन्हें चंदे से खरीदा गया है’.
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डॉक्टर्स करते हैं स्वेच्छा से काम
अभी के लिए 20,000 वर्ग फुट के पॉलीक्लीनिक में, दो बड़े कमरे डायलेसिस और एमआरआई के लिए रखे गए हैं. पॉलीक्लीनिक के चिकित्सा अधीक्षक डॉ बीजेएस सारंग ने बताया कि डायग्नोस्टिक सेंटर तो अक्तूबर से काम करने लगेगा लेकिन एमआरआई मशीन दिसंबर से शुरू होगी.
उस खाली कमरे में खड़े हुए, जिसमें डायलेसिस मशीनें लगाई जाएंगी, सारंग ने कहा, ‘हमारे पास एक पूरी यूनिट होगी जो मशीनों की देखरेख करेगी- एक स्पेशलिस्ट और दो डॉक्टर्स व दो टेक्नीशियंस और एक चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी’.
सिरसा ने बताया कि कुछ काम, डॉक्टर्स और टेक्नीशियंस को आउटसोर्स भी किया जाएगा. उन्होंने कहा, ‘सेंटर की प्रोफेशनल सेवाओं को चलाने का काम डॉक्टर्स, टेक्नीशियंस और रेडियोथिरेपिस्ट्स व रीडर्स को आउटसोर्स किया जा रहा है. हम हर किसी को आउटसोर्स करेंगे…हम बहुत से डॉक्टर्स से जुड़े हैं, जो स्वेच्छा से सेवा कर रहे हैं. उनमें से कुछ ने तो किट भी पेश की है, जो डायलेसिस के लिए चाहिए होती है’.
अकेले पॉलीक्लीनिक में करीब 32 डॉक्टर्स हैं, जो बतौर कंसल्टेंट्स स्वेच्छा से सेवाएं दे रहे हैं.
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‘मानवता की सेवा’
ये पहली बार नहीं है कि गुरुद्वारा, परोपकार के काम के लिए सुर्खियों में आया है. 24 मार्च को देशव्यापी लॉकडाउन के ऐलान के बाद के महीनों में गुरुद्वारे ने 75,000 लोगों के लिए भोजन तैयार किया जिनके लिए रोज़ के खाने की समस्या खड़ी हो गई थी.
सिरसा ने कहा कि महामारी ने विशेष रूप से, ‘मानवता की सेवा’ के विचार पर फिर से बल दिया था और डायग्नोस्टिक सेंटर भी इसी बुनियाद पर चलेगा.
उन्होंने कहा, ‘आज हमारे देश में अच्छी स्वास्थ्य सेवाएं हैं लेकिन सरकार की अपनी सीमाएं हैं. उसके पास इतने साधन नहीं हैं कि वो हर किसी को सेवाएं दे सके’.
उन्होंने आगे कहा, ‘सिर्फ सिख ही नहीं, हमारी सेवाएं पूरी इंसानियत के लिए हैं, हम सिख, हिंदू, मुसलमान में भेद नहीं करते. हम किसी का राशन कार्ड देखकर सेवाएं नहीं देते. हम ये सिर्फ इंसानियत की खातिर कर रहे हैं. और जो हमें योगदान देते हैं, वो भी किसी एक समुदाय से नहीं हैं’.
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