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Saturday, 21 December, 2024
होमहेल्थआखिरकार मोदी सरकार ने बढ़ाई टीके की कीमत, कोविशील्ड के लिए 215 और कोवैक्सीन के लिए देगी 225 रुपए

आखिरकार मोदी सरकार ने बढ़ाई टीके की कीमत, कोविशील्ड के लिए 215 और कोवैक्सीन के लिए देगी 225 रुपए

सरकार ने 66 करोड़ अतिरिक्त ख़ुराकों का ऑर्डर दिया है, जो अगस्त से दिसंबर के बीच सप्लाई की जाएंगी, और जिनके लिए 14,500 करोड़ रुपए अदा किए जाएंगे.

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नई दिल्ली: कई महीने तक कोविड-19 वैक्सीन्स की 150 रुपए प्रति डोज़ ख़रीद के बाद, मोदी सरकार ने आख़िरकार क़ीमतें बढ़ाने का फैसला किया है. ख़रीद की ताज़ा योजना के अनुसार, सरकार कोविशील्ड के लिए 215 रुपए, और कोवैक्सीन के एक डोज़ के लिए 225 रुपए अदा करेगी.

सरकार ने अब 66 करोड़ अतिरिक्त ख़ुराकों का ऑर्डर दिया है, जो अगस्त से दिसंबर के बीच सप्लाई की जाएंगी, और जिनके लिए 14,500 करोड़ रुपए अदा किए जाएंगे.

लेकिन, अगले पांच महीने के लिए 66 करोड़ डोज़ का मतलब होगा प्रति माह 12 करोड़ से कुछ अधिक डोज़. इसका मतलब है कि अगर स्पूतनिक-5 और अन्य वैक्सीन्स जल्द ही बड़ी संख्या में उपलब्ध नहीं होतीं, तब तक हर रोज़ एक करोड़ टीकाकरण का लक्ष्य दूर की बात हो सकता है.

सरकार ने पहले ऐलान किया था, कि 21 जून से संशोधित ख़रीद योजना के प्रभावी होने के बाद, वो वैक्सीन के दामों में बदलाव करेगी. निर्माता कह रहे थे कि 150 रुपए प्रति डोज़ के दाम पर, उत्पादन क्षमता बढ़ाने में पूंजी निवेश करना फायदे का सौदा नहीं है.

फिलहाल, वैक्सीन निर्माता अपने उत्पाद का केवल 25 प्रतिशत निजी अस्पतालों को बेंच सकते हैं, वो भी सरकार के तय हुए दामों पर. कोविशील्ड के दाम 780 रुपए (जीएसटी से पहले), कोविशील्ड के 1410 रुपए (जीएसटी से पहले), और स्पूतनिक के 1,145 रुपए निर्धारित किए गए हैं. अस्पताल अधिकतम 150 रुपए प्रति डोज़ का सेवा शुल्क लगा सकते हैं.


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अभी तक 40.31 डोज़ ख़रीदे गए

अभी तक मोदी सरकार ने टीकों के 40.31 करोड़ से अधिक डोज़ ख़रीदे हैं. पहले दो ऑर्डर्स के अपवाद के साथ, जब कोवैक्सीन के दाम 295 रुपए प्रति डोज़, और कोविशील्ड के 200 रुपए प्रति डोज़ थे, केंद्र सरकार ने वैक्सीन्स की ख़रीद 150 रुपए के रेट पर की है.

150 रुपए प्रति डोज़ के रेट पर, 12 करोड़ टीकों की पहली खेप मार्च में ऑर्डर की गई थी. मई में जब राज्य सरकारें भी अपनी ख़रीद कर रहीं थीं, तो वो कोवैक्सीन के लिए 400 रुपए, और कोविशील्ड के लिए 300 रुपए अदा कर रहीं थीं.

बृहस्पतिवार को एक बयान में प्रेस सूचना ब्यूरो ने कहा: ‘राज्यों/यूटीज़ को अभी तक सभी स्रोतों से 40.31 करोड़ से अधिक (40,31,74,380) डोज़ उपलब्ध कराए जा चुके हैं, और अतिरिक्त 83,85,790 डोज़ पाइपलाइन में हैं. इसमें से कुल उपयोग जिसमें बर्बादी शामिल है, 38,39,02,614 डोज़ है (आज सुबह 8 बजे तक के उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार)’.

उसमें आगे कहा गया: ‘राज्यों/यूटीज़ के पास कोविड वैक्सीन के 1.92 करोड़ से अधिक बक़ाया (1,92,71,766) और अनप्रयुक्त डोज़ अभी भी उपलब्ध हैं, जिन्हें लगाया जाना है.’

नए रेट के इंतज़ार में थे निर्माता

भारत का टीकाकरण कार्यक्रम वैक्सीन्स की उपलब्धता की वजह से अवरुद्ध रहा है जो एक स्तर- क़रीब 12 करोड़ डोज़ प्रति माह पर स्थिर रही है, हालांकि भारत सरकार ने 1 करोड़ टीके प्रतिदिन का महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा है, जिसके लिए उसे हर महीने कम से कम 33 वैक्सीन डोज़ चाहिए (10 प्रतिशत की बरबादी को ध्यान में रखते हुए).

स्वास्थ्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने दिप्रिंट को बताया, ‘सप्लाई बढ़ाने के लिए हम लगातार उद्योग के संपर्क में हैं. पिछले छह महीनों में निर्माता के हाथ में हाथ मिलाते हुए, सप्लाई और उत्पादन में वृद्धि की गई है.’

लेकिन, उद्योग का कहना था कि क़ीमतों पर सरकार का सख़्त रवैया आख़िर में सप्लाई को प्रभावित कर सकता है.

बातचीत की जानकारी रखने वाले एक व्यक्ति ने कहा, ‘सरकार के सामने दो विकल्प हैं. या तो वो ख़रीद मूल्य बढ़ा सकती है, या फिर क़ीमतें तय किए बिना खुले बाज़ार में बिक्री की अनुमति दे सकती है. हमने सरकार से कहा है कि जब तक इनमें से कोई एक चीज़ नहीं होती, तब तक सप्लाई बढ़ाना बहुत मुश्किल होगा.’

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


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