scorecardresearch
Friday, 22 November, 2024
होमहेल्थमोदी सरकार की राज्यों से अपील, 'ब्लैक फंगस' को महामारी कानून के तहत करें नोटिफाई

मोदी सरकार की राज्यों से अपील, ‘ब्लैक फंगस’ को महामारी कानून के तहत करें नोटिफाई

महामारी रोग अधिनियम 1897 का जिक्र करते हुए स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि सभी सरकारी और निजी स्वास्थ्य सुविधाएं और मेडिकल कॉलेज ब्लैक फंगस की स्क्रीनिंग, निदान और प्रबंधन के लिए दिशा-निर्देशों का पालन करें.

Text Size:

नई दिल्ली: केंद्र सरकार द्वारा राज्यों से बुधवार को म्यूकोर्मिकोसिस को नोटिफाई करने के लिए कहने के बाद भारत अब आधिकारिक तौर पर दो महामारियों के बीच है.

एक नोटिफायएबल बीमारी का मतलब है कि यदि कोई भी केस सामने आता है तो इसके बारे में सरकार को जरूरी तौर पर जानकारी देनी होगी. देश में अन्य नोटिफायबल बीमारियों में टीवी, कॉलेरा और डिप्थीरिया हैं.

महामारी रोग अधिनियम 1897 का जिक्र करते हुए संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने राज्यों को पत्र लिखकर यह सुनिश्चित करने को कहा है कि सभी सरकारी और निजी स्वास्थ्य सुविधाएं और मेडिकल कॉलेज म्यूकोर्माइकोसिस की स्क्रीनिंग, निदान और प्रबंधन के लिए दिशा-निर्देशों का पालन करें.

19 मई को लिखे पत्र में अग्रवाल ने कहा,’आपसे अनुरोध है कि महामारी रोग अधिनियम 1987 के तहत म्यूकोर्माइकोसिस को अधिसूचित रोग बनाया जाए, जिसमें सभी सरकारी और निजी स्वास्थ्य सुविधाएं, मेडिकल कॉलेज म्यूकोर्माइकोसिस के स्क्रीनिंग, निदान और प्रबंधन के एमओएचएफडब्ल्यू और आईसीएमआर द्वारा जारी किए गए दिशा-निर्देशों का पालन करेंगे जिसके तहत सभी सुविधा केंद्रों के लिए संदिग्ध और कन्फर्म मामलों को जिला स्तर के मुख्य चिकित्सा अधिकारी और बाद में आईडीएसपी सर्विलांस सिस्टम के माध्यम से स्वास्थ्य विभाग को रिपोर्ट करना होगा.

आमतौर पर ब्लैक फंगस के रूप में जाना जाने वाला, म्यूकोर्माइकोसिस, को पूरे देश में तेजी से फैलते हुए देखा गया है खास कर उन मधुमेह रोगियों में जिन्हें सार्स-CoV-2 वायरस के लिए पॉज़िटिव पाए जाने के बाद स्टेरॉयड का इंजेक्शन दिया गया था.

इसके अलावा छोटे चिकित्सा प्रतिष्ठानों या घर में इस्तेमाल किए जा रहे ऑक्सीजन कॉन्सनट्रेटर्स में इस्तेमाल होने वाले पानी की गुणवत्ता को लेकर भी चिंताएं हैं. तेलंगाना और राजस्थान जैसे कई राज्य पहले ही इसे नोटिफाइड बीमारी बना चुके हैं.

अग्रवाल ने पत्र में कहा, ‘हाल के दिनों में म्यूकोर्माइकोसिस नाम का एक फंगल इन्फेक्शन उभरा है जो कि कई राज्यों में कोरोना पॉजिटिव पाए जाने वाले डायबिटीज़ के मरीजों में देखा गया है. इस फंगल संक्रमण के कारण COVID-19 रोगियों के बीच लंबे समय तक रोग और मृत्यु दर देखने को मिल रही है.

म्यूकोरमाइकोसिस एक दुर्लभ संक्रमण

म्यूकोरमाइकोसिस एक गंभीर संक्रमण है, लेकिन आमतौर पर बहुत कम देखी जाती है. हालांकि, महामारी की दूसरी लहर के दौरान भारत में मामलों की बढ़ती संख्या डराने वाली है, खासकर इसलिए कि जब रोग ऑक्सीजन की आपूर्ति करने वाली पाइप के साथ अस्पताल में प्रवेश करती है. क्योंकि इसकी वजह से एक मरीज में संक्रमण उस पाइप लाइन से जुड़े सभी मरीजों में फैल सकता है.

यह संक्रमण अक्सर घातक होता है जब यह मस्तिष्क में फैलता है. फेफड़ों में म्यूकोर्मिकोसिस संक्रमण के लक्षण अक्सर कोविड-19 के समान होते हैं – बुखार, खांसी, सांस लेने में तकलीफ इत्यादि मरीज़ की स्थिति को और भी ज्यादा खराब कर सकते हैं.

रोग नियंत्रण और रोकथाम के लिए केंद्र, अमेरिका की राष्ट्रीय सार्वजनिक स्वास्थ्य एजेंसी ने कहा, ‘म्यूकोर्माइकोसिस आम तौर उन लोगों में देखा जाता है जो अन्य बीमारियों से भी ग्रस्त हैं इसलिए निश्चित तौर पर यह म्यूकोर्माइकोसिस के लक्षणों का पता लगा पाना मुश्किल होता है. मस्तिष्क में प्रसारित संक्रमण की वजह से रोगी की मानसिक अवस्था में परिवर्तन हो सकता है और वह कोमा में भी जा सकता है.

राज्यों को लिखे अपने पत्र में अग्रवाल ने संक्रमण के इलाज के लिए ‘बहुआयामी दृष्टिकोण’ को अपनाने की बात कही.

उन्होंने लिखा, ‘इस फंगल संक्रमण के इलाज के लिए एक बहुविषयक दृष्टिकोण की आवश्यकता है जिसमें नेत्र सर्जन, ईएनटी विशेषज्ञ जनरल सर्जन, न्यूरोसर्जन और डेंटल मैक्सिलोफेशियल सर्जन इत्यादि और एक एंटीफंगल दवा के रूप में एम्फोटेरिन बी की संस्था की जरूरत है.

इस लेख को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.


यह भी पढे़ंः भारत में कोविड-19 की पहली लहर के 5 सबक जो दूसरी लहर में लोगों की आजीविका बचा सकते हैं


 

share & View comments