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Wednesday, 24 April, 2024
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मिजोरम की अदालत ने भ्रष्टाचार के आरोप में NRHM के पूर्व निदेशक को 4 साल की जेल सजा सुनाई

पलाई पर आरोप लगाया गया था कि उन्होंने कोडल औपचारिकताओं का घोर उल्लंघन किया है और अपने आधिकारिक पद का दुरुपयोग करके अन्य उद्देश्य के लिए धन को डायवर्ट किया है.

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नई दिल्ली: मिजोरम के ऐज़ौल में विशेष अदालत (भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम) ने मंगलवार को राज्य के नेशनल रूरल हेल्थ मिशन (एनआरएचएम) के रिटायर्ड मिशन डायरेक्टर एन पलाई को भ्रष्टाचार के एक मामले में चार साल की कैद और 24 लाख रुपए का जुर्माना लगाने की सजा सुनाई है.

पलाई के साथ इस भ्रष्टाचार के मामले में मिजोरम स्वास्थ्य और परिवार कल्याण के पूर्व एग्जीक्यूटिव इंजीनियर (ईई) लालसंगलियाना छक्छुआक को भी विशेष अदालत ने शुक्रवार को दोषी ठहराया था. पूर्व ईई को एक साल की कैद की सजा सुनाई गई और उन पर 6 लाख रुपए का जुर्माना लगाया गया.

पलाई को विशेष न्यायाधीश एचटीसी लालरिंचन ने भारतीय दंड संहिता की धारा 471/477ए (दस्तावेज या इलैक्ट्रानिक अभिलेख को कपटपूर्वक या बेईमानी से असली के रूप में उपयोग करना) और धारा 13(2) सहपठित धारा 13(1)(सी)(डी) और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 में आईपीसी की 120बी (संहिता में पूर्वोक्त अपराधों की साजिश के बारे में कोई स्पष्ट प्रावधान नहीं होना) के तहत दोषी ठहराया गया था. हालांकि सबूतों की कमी के कारण उन्हें आईपीसी की धारा 420/468 के तहत बरी कर दिया गया है.

वहीं, लालसांगलियाना को भी पीसी अधिनियम, 1988 की धारा 13 (2) के साथ 13 (1) (सी) (डी), 120बी आईपीसी और धारा 471/477ए के तहत दोषी ठहराया गया था और उन्हें भी आईपीसी की धारा 420/468 के तहत बरी कर दिया गया.

दोनों पूर्व सरकारी अधिकारियों को अदालत ने सिविल अस्पताल के सुधार के लिए 5.74 करोड़ रुपये के गबन / डायवर्जन का दोषी ठहराया है.

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हालांकि, फैसला में कहा गया है, “एक पुराने और सेवानिवृत्त सरकारी कर्मचारी होने और समान अपराधों को दोहराने की संभावना नहीं होने के कारण, जुर्माने को छोड़कर उपरोक्त सभी सजाएं साथ-साथ चलेंगी.”

पलाई और लालसांगलियाना पर ऐज़ौल में सिविल अस्पताल के सुधार के लिए 5.74 करोड़ रुपए की रकम में हेराफेरी करने का आरोप लगाया गया था. इस मामले को जनवरी 2014 में सीबीआई को सौंप दिया गया था.

मामले की जांच में पता चला कि ऐज़ौल सिविल अस्पताल के सुधार के लिए स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय की ओर से 10.00 करोड़ रुपए मिजोरम की स्टेट हेल्थ सोसाइटी को मिले थे. जांच में आगे पता चला कि 10.00 करोड़ में से केवल 4.26 करोड़ रुपए का इस्तेमाल सुधार कार्य में लगाया गया था और शेष 5.74 करोड़ रुपए का उपयोग उद्देश्य के दायरे से बाहर किया गया था.

पलाई पर आरोप लगाया गया था कि उन्होंने कोडल औपचारिकताओं का घोर उल्लंघन किया है और अपने आधिकारिक पद का दुरुपयोग करके अन्य उद्देश्य के लिए धन को डायवर्ट किया है.


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