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Friday, 20 December, 2024
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मेडिकल टूरिज्म में और आगे बढ़ा भारत, अब विदेश में भी पहुंचा देश का हेल्थकेयर सिस्टम

बाहरी देशों से मरीज मुख्यतः हिपेटाइटिस बी और सी, लीवर ट्रांसप्लांट, कैंसर, न्यूरो सर्जरी और आर्थोपीडिक रोगों के इलाज के लिए आते हैं.

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नई दिल्लीः भारत में सस्ती और अफोर्डेबल मेडिकल सुविधाओं के कारण पूरी दुनिया से लाखों मरीज इलाज के लिए  आते हैं. इसका एक बड़ा कारण यह है कि भारत में मेडिकल प्रोसीजर अन्य देशों की तुलना में काफी सस्ता और बेहतर है. भारत में 500 से ज्यादा एक्रेडिटेड हेल्थकेयर प्रोवाइडर्स हैं जो कि दुनिया की बेहतरीन टेक्नॉलजी से लैस हैं.

लेकिन अब इसी को देखते हुए भारत ने देश के बाहर भी मेडिकल सेवाएं देने की ठानी है. इसी कड़ी में भारत के ही आकाश हेल्थकेयर ने ताजिकिस्तान की राजधानी ताशकंद में पहला पूर्ण रूप से प्रबंधित हॉस्पिटल स्थापित किया है जो कि किसी भारतीय हॉस्पिटल द्वारा देश के बाहर बनाया गया पहला हॉस्पिटल है. शुरुआती चरण में भारत के मेडिकल स्टाफ ही वहां काम करेंगे लेकिन धीरे-धीरे लोकल डॉक्टर्स और नर्सिंग स्टाफ को भी प्रशिक्षण दिया जाएगा ताकि वे लोग भी साथ मिलकर काम कर पाएं.

बता दें कि मिडिल ईस्ट एरिया से इलाज के लिए भारत आने वाले मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है. नई दिल्ली में यहां से करीब 8 हजार मरीज हर साल इलाज के लिए आते हैं जिसकी कुल मार्केट करीब 200 से 250 करोड़ रुपये है.

बाहरी देशों से मरीज मुख्यतः हेपेटाइटिस बी और सी, लीवर ट्रांसप्लांट, कैंसर, न्यूरो सर्जरी और आर्थोपीडिक रोगों के इलाज के लिए आते हैं.

ताशकंद में अस्पताल स्थापित किए जाने के बाबत दिप्रिंट से बातचीत में आकाश हेल्थकेयर के मैनेजिंग डायरेक्टर डॉ. आशिष चौधरी ने कहा कि यह पहल उज्बेकिस्तान के लोगों के लिए एक आशा की किरण की तौर पर देखी जा रही है जिन्हें अक्सर इलाज के लिए विदेश (भारत) जाना पड़ता था. अब वह इलाज और वही सुविधाएं अपने देश में भी पा सकेंगे.’

मेडिकल टूरिज्म का हॉट-स्पॉट है भारत

भारत मेडिकल टूरिज्म का हॉट-स्पॉट बन चुका है. साल 2012 में पूरी दुनिया से देश में आने वाले मरीजों की संख्या करीब डेढ़ लाख थी जबकि 2016 तक बढ़कर मेडिकल वीजा की संख्या 1 लाख 70 हजार हो गई. भारत में स्वास्थ्य सुविधाओं की लागत अमेरिका की तुलना में 30 से 70 फीसदी कम हैं.

मेडिकल टूरिज़्म के जरिए देश में 2015 में 1,35,193 करोड़ अगले साल 2016 में 1,54,146 करोड़ और 2017 में 1,77,874 करोड़ रुपये की आय हुई. दुनिया के कुल मेडिकल टूरिज्म का लगभग 6ठां हिस्सा भारत का ही है.

हालांकि, कोरोना महामारी के दौरान इसमें कमी आई लेकिन आने वाले समय में इसके सालाना 19-20 फीसदी से बढ़ने के आसार हैं.

2019-22 के बीच जारी किए गए लाखों मेडिकल वीजा

साल 2019 से 2022 के बीच 10 लाख मेडिकल वीजा जारी किए गए. साल 2025 तक मेडिकल टूरिज्म का साइज बढ़कर 2023 तक 10 बिलियन डॉलर और 2025 तक 50 बिलियन डॉलर तक होने की उम्मीद है जबकि ग्लोबल मेडिकल टूरिज्म के 72 बिलियन डॉलर होने की उम्मीद है. इसके अलावा भारत दुनिया में जेनरिक मेडिसिन की सर्वाधिक सप्लाई करता है.

मेडिकल टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए जरूरत है कि सरकार टैक्स इन्सेंटिव दे, मेडिकल इक्विपमेंट ड्यूटी पर छूट दे, मेडिकल इन्फ्रास्ट्रक्चर के विकास पर ध्यान देने की जरूरत है.


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