नई दिल्ली: कोविड के लिए भारत का प्रभावी रीप्रोडक्शन नंबर (आर)- जिससे पता चलता है कि संक्रमण कितनी तेज़ी से फैल रहा है- 0.55 के रिकॉर्ड निचले स्तर से लगातार बढ़ते हुए, एक महीने में 0.77 पहुंच गया है.
हालांकि कुल आर अभी 1 से नीचे बनी हुई है जिससे संकेत मिलता है कि सक्रिय मामले लगातार कम हो रहे हैं लेकिन इस गिरावट की दर धीमी हो गई है. महामारी के ख़त्म होने के लिए आर को 1 से नीचे होना चाहिए.
गणितीय विज्ञान संस्थान के एक शोधकर्त्ता सीताभ्र सिन्हा ने दिप्रिंट को बताया, ‘ऐसा लगता है कि सक्रिय मामलों में गिरावट की दर, हाल में काफी कम हो गई है, इसलिए आर वैल्यू पिछले महीने रिकॉर्ड किए गए ऐतिहासिक निम्न स्तर से ऊपर चली गई है’.
महामारी की शुरुआत से ही भारत के लिए आर वैल्यू पर नज़र रखने वाले सिन्हा ने कहा कि गिरावट की दर धीमे होने को लेकर कुछ बातों पर चिंता करने की ज़रूरत है.
असम की आर पिछले कुछ हफ्तों से 1 के बहुत क़रीब बनी हुई है जिससे संकेत मिलता है कि मामलों की संख्या शायद धीरे धीरे बढ़ रही है. राज्य की आर वैल्यू जो 28 फरवरी के आसपास 0.85 थी अब उछलकर 0.99 पहुंच गई है.
उत्तराखंड में पिछले कुछ हफ्तों में कई सिलसिलेवार उछालें देखी गईं हैं.
केरल और महाराष्ट्र में, जहां पिछली कोविड लहरों में संक्रमण का सबसे अधिक बोझ था. वहां भी आर वैल्यू में थोड़ा इज़ाफा देखा जा रहा है. पिछले एक महीने में केरल की आर वैल्यू 0.54 से बढ़कर 0.83 हो गई है जबकि इसी अवधि में महाराष्ट्र की आर वैल्यू 0.59 से बढ़कर 0.88 हो गई.
कर्नाटक की आर वैल्यू पिछले महीने के 0.49 से बढ़कर 0.83 हो गई है. पश्चिम बंगाल एक और ऐसा सूबा है, जहां आर वैल्यू 0.36 से उछलकर 0.74 हो गई.
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बड़े शहर
अधिकतर बड़े शहरों में कोविड मामले लगातार बढ़ रहे हैं जिनमें पुणे एक अपवाद है. जहां दिल्ली की आर वैल्यू 0.70 है वहीं बेंगलुरू और कोलकाता की आर वैल्यू 0.90 है.
उन्होंने आगे कहा, ‘इससे संकेत मिलता है कि किसी न किसी तरह शहरों में संक्रमण इतनी तेज़ गति से फैल रहा है कि सक्रिय मामलों की संख्या घट नहीं रही हैं’.
बेंगलुरू में, जहां फरवरी अंत में आर वैल्यू 0.64 थी, वहां ये संख्या अब बढ़कर 0.90 हो गई है. मुंबई की आर वैल्यू पिछले महीने के 0.88 से बढ़कर 0.98 हो गई. कोलकाता की आर वैल्यू में भी इज़ाफा देखा या है जो पिछले महीने के रिकॉर्ड निचले स्तर 0.32 से उछलकर 0.90 पहुंच गई.
पुणे एक अकेला बड़ा शहर है, जहां आर 0.66 से घटकर 0.59 हो गई है.
सिन्हा ने बताया, ‘एक नए स्ट्रेन का विकसित होना जो मौजूदा इम्यून रेस्पॉन्सेज़ से बचकर निकल सकता है. महामारी के संभावित रूप से फिर से जीवित होने की स्थिति पैदा कर सकता है’.
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