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Friday, 22 November, 2024
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भारतीयों ने 2020 में कोविड से लड़ने के लिए 500 करोड़ विटामिन सी, ज़िंक, मल्टीविटामिन्स खरीदे

आंकड़ों के अनुसार ज़िंक सप्लीमेंट ज़िकोविट की बिक्री में 93% का इज़ाफ़ा हुआ, और 2020 में इसकी 54 करोड़ गोलियां बिकीं, जबकि विटामिन सी की बिक्री 110% बढ़ी, और इसकी 185 करोड़ गोलियां बेंची गईं.

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नई दिल्ली: कोविड-19 के खिलाफ इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए, भारतीय लोगों ने पिछले साल विटामिन सी सप्लीमेंट की, 185 करोड़ से अधिक गोलियां ख़रीदीं, जो 2019 के मुक़ाबले 100 प्रतिशत से भी ज़्यादा थी.

रिसर्च फर्म एआईओसीडी-एडब्लूएसीएस के आंकड़ों के अनुसार, देशभर के दवा विक्रेताओं ने 2020 में, विटामिन सी की क़रीब 171 करोड़ गोलियों और विटामिन सी तथा दूसरी मल्टीविटामिन्स की 13 करोड़ गोलियों की बिक्री की.

अखिल भारतीय केमिस्ट्स एंड ड्रगिस्ट्स संगठन (एआईओसीडी), देशभर में फैले 8.5 लाख से अधिक केमिस्ट्स की शीर्ष इकाई है. एआईओसीडी-एडब्लूएसीएस इस लॉबी की रिसर्च विंग है.

2020 में विटामिन सी सप्लीमेंट की बिक्री (यूनिट्स में) में 110 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई. 2019 में, ये सिर्फ 4.7 प्रतिशत थी. एबट हेल्थकेयर की लिमसी और कोए फार्मा की सीलिन, सबसे अधिक बिकने वाले ब्राण्ड थे.

सिर्फ विटामिन सी ही नहीं, लोकप्रिय ज़िंक सप्लीमेंट ज़िकोविट की बिक्री में 93 प्रतिशत का उछाल आया, जिसकी 2020 में 54 करोड़ बिक्री, जो 2019 में 28 करोड़ थी.

कुल मिलाकर मल्टीविटामिन्स और मिनरल्स श्रेणी, यूनिट बिक्री के मामले में 20 प्रतिशत बढ़कर- 2020 में 300 करोड़ गोलियां हो गईं, जिस साल कोरोनावायरस महामारी शुरू हुई, जबकि 2019 में ये 248 करोड़ गोलियां थीं.

इससे पिछले साल उपभोक्ताओं द्वारा ख़रीदी गई, विटामिन सी, ज़िंक, और मल्टीविटामिन्स की कुल गोलियों की संख्या, 500 करोड़ से अधिक हो गई.

पिछले साल अक्टूबर में, एआईओसीडी के आंकड़ों के अनुसार, ज़िंक सप्लीमेंट ज़िंकोविट पहली बार, घरेलू फार्मा खुदरा बाज़ार में पहले नंबर पर पहुंच गईं. ये सबसे अधिक बिकने वाला ब्रांड बन गईं, और ये पहला मल्टीविटामिन ब्रांड था, जो डायबिटीज़ के लिए सबसे अधिक बिकने वाली दवाओं की श्रेणी से आगे निकल गया.


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बीकोसूल्स, विटामिन डी3, मल्टीविटामिन्स की बिक्री में उछाल

अमेरिका फार्मा दिग्गज फाइज़र के एक और लोकप्रिय मल्टीविटामिन ब्रांड, बीकोसूल्स ज़ेड, की बिक्री में 50 प्रतिशत की बृद्धि हुई. 2019 में 27 करोड़ गोलियों की बिक्री हुई, जो 2020 में उछलकर 40 करोड़ को पार कर गई. इसके वेरिएंट बीकोसूल्स प्लस जिसकी बिक्री, 2019 में 14.14 प्रतिशत गिरी थी, 2020 में 30 प्रतिशत उछल गई.

विटामिन डी3 गोलियों की बिक्री में भी बढ़ोतरी देखी गई. शीर्ष ब्रांड थे एल्केम लैबोरेट्रीज़ के अपराइज़ और कैडिला के कैल्सिरोल.

एआईओसीडी महासचिव राजीव सिंघल ने कहा, ‘इन श्रेणियों में उछाल कोविड प्रकोप की वजह से आया है. पिछले साल मज़बूत इम्यूनिटी अवधारणा को अहमियत मिली है, और पहली बार ज़िंक, विटामिन सी और डी3 जैसे हेल्थ सप्लीमेंट्स की बिक्री ने, नए कीर्तिमान बनाए हैं’.

बिक्री में उछाल क्यों आया

महामारी के दौरान मल्टीविटामिन्स और इम्यूनिटी बूस्टर्स की बिक्री तेज़ी से बढ़ी, चूंकि तेज़ी से फैल रहे कोविड-19 से सुरक्षित रहने के लिए, लोग धड़ाधड़ ये गोलियां ख़रीदने लगे.

ज़िंक की कमी को कोविड संक्रमण की गंभीरता से जोड़ा गया है, जबकि विटामिन सी के उपभोग को अधिक इम्यूनिटी, तथा ऑक्सीडेटिव तनाव में कमी से जोड़कर देखा जाता है, जो कोविड से पैदा हो सकते हैं.

डी3 की भूमिका को, जिसे कैल्सिफेडियॉल भी कहा जाता है, कोविड-19 मरीज़ों में गंभीर संक्रमण, यहां तक कि मौत के ख़तरे के कम होने से भी जोड़ा जाता है. लेकिन इन सब संबंधों को अभी तक, पूरी तरह स्थापित नहीं किया गया है.

नई दिल्ली में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के एक सीनियर रेज़िडेंट डॉ राशिद ग़ौरी, जो कोविड मामलों से निपटते रहे हैं, ने कहा, ‘महामारी की वजह से लोगों का ध्यान, समग्र स्वास्थ्य की तरफ हो गया है, और इम्यूनिटी की तलाश में ऐसी दवाओं के नुस्ख़ों की संख्या कई गुना बढ़ गई है. इसके अलावा भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने, सभी तरह के कोविड पॉज़िटिव मामलों के लिए, कोविड इलाज के विभिन्न दिशा-निर्देशों में, विटामिन सी, ज़िंक, और विटामिन डी की सिफारिश की है’.

डॉ ग़ौरी ने आगे कहा, ‘भारत जैसे देश में जहां पोषण की कमी से जुड़े मुद्दे हमेशा व्यापक रूप से मौजूद रहे हैं, इन सभी सप्लीमेंट्स की बिक्री में आई तेज़ी को समझा जा सकता है. लेकिन, दीर्घकाल में इस रुझान का भारत की आबादी के स्वास्थ्य पर एक अच्छा असर पड़ेगा’.

(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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