नई दिल्ली: अगले हफ्ते से भारत में पहली बार 250 रुपए के मामूली दाम पर बाज़ार में एक होम कोविड टेस्टिंग किट उपलब्ध होने जा रही है.
बुधवार को जारी एक एडवाइज़री में भारतीय औषधि अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने माईलैब डिस्कवरी सॉल्यूशंस द्वारा निर्मित होम टेस्टिंग किट कोविसेल्फ के इस्तेमाल को मंज़ूरी दे दी. पुणे स्थित मॉलिक्युलर डायगनॉस्टिक फर्म पिछले साल भी स्थानीय स्तर पर आरटी-पीसीआर टेस्ट शुरू करने वाली पहली कंपनी बनी थीं.
कोविड-19 होम टेस्टिंग में रैपिड एंटिजन टेस्ट (रैट्स) का इस्तेमाल किया जाता है- एक लाने-ले-जाने योग्य उपकरण जो होम प्रेग्नेंसी जांच की तरह 15 मिनट में नतीजे दे देता है.
ये किट लक्षण या बगैर-लक्षण वाले लोगों की नाक के स्वॉब में सार्स-सीओवी-2 से प्रोटीन एंटिजन का पता लगा लेती है और ये देशभर के खुदरा दवा विक्रेताओं के यहां उपलब्ध होगी.
माईलैब में चिकित्सा मामलों के डायरेक्टर डॉ गौतम वानखेड़े, जिन्होंने कोविसेल्फ के विकास की अगुवाई की, ने कहा, ‘पिछले तीन महीने से 25 वैज्ञानिक इस उत्पाद को बनाने के काम में लगे हुए थे. ये स्पष्ट था कि देर सवेर से कोविड-19 का जल्दी पता लगाने के लिए हमें होम टेस्टिंग किट्स की ज़रूरत पड़ेगी’.
डॉ वानखेड़े ने दिप्रिंट से कहा, ‘काफी संभावना है कि अगले हफ्ते के शुरू में किट्स बाज़ार में उपलब्ध हो जाएंगी’.
कंपनी की मौजूदा उत्पादन क्षमता 70 लाख टेस्ट प्रति सप्ताह की है और अपेक्षा की जा रही है कि अगले दो हफ्ते में ये क्षमता बढ़कर 1 करोड़ टेस्ट प्रति सप्ताह तक हो सकती है.
उम्मीद की जा रही है कि इस होम टेस्टिंग किट से भारी बोझ से दबी जांच लैब्स का दबाव भी कम होगा और जांच तथा नतीजों के बीच अंतराल भी कम होगा, जो देश के कुछ हिस्सों में 72 घंटे से अधिक है. कोविसेल्फ के लिए नमूनों को किसी हेल्थकेयर प्रोफेशनल द्वारा लिए जाने की ज़रूरत नहीं है.
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कैसे बनी भारत की पहली कोविड-19 होम टेस्टिंग किट
माईलैब्स इस साल जनवरी से कोविसेल्फ पर काम कर रही है और उसने किट के हर पहलू को परफेक्ट करने का प्रयास किया है, जैसे डिज़ाइन का खयाल, परिवार के दूसरे सदस्यों की सुरक्षा सुनिश्चित करना और गैर-अस्पताल परिस्थिति में वायरस का पता लगाने के लिए उत्पाद की संवेदनशीलता को बढ़ाना.
वानखेड़े ने कहा, ‘प्रोफेशनल रैट किट्स को बाज़ार में लाने के लिए हमें पिछले साल ही मंजूरी मिल गई थी लेकिन टेस्ट की कमी को भरने में कई महीने लग गए, चूंकि उसे गैर-पेशेवर लोगों द्वारा घरों के अंदर किया जाना है’.
उन्होंने आगे कहा कि कंपनी ने विशेष रूप से किट की संवेदनशीलता बढ़ाने पर काम किया, ताकि सही निदान सुनिश्चित किया जा सके. संवेदनशीलता दिखाती है कि टेस्ट, वायरस का पता लगाने में कितना सक्षम है और विशेष रूप से इंगित करती है कि टेस्ट, सही प्रकार के कोरोनावारस की पहचान करने में कितना सक्षम है.
लेकिन, कंपनी ने संवेदनशीलता का विस्तृत ब्योरा और टेस्ट किट के लिए विशिष्टता डेटा सामने नहीं रखा. वानखेड़े ने कहा, ‘ये आईसीएमआर के मानकों के अनुरूप है. कृपया ध्यान रखें कि इस टेस्ट में पॉज़िटिव का मतलब पॉज़िटिव होता है’.
उन्होंने आगे कहा कि किट डिज़ाइन करते समय मुख्य चिंता ये थी कि सैंपल हेल्थकेयर वर्कर्स नहीं बल्कि आम लोगों द्वारा लिया जाएगा. ‘हमने इसका समाधान कर लिया, चूंकि हमारी किट में नाक का स्वॉब लेने के लिए नाक में बहुत अंदर तक नहीं जाना पड़ेगा, जैसा कि प्रोफेशनल टेस्टिंग में होता है’.
वानखेड़े ने समझाया, ‘इसके अलावा केमिकल्स को ट्यूब में मिलाकर (जिसमें नाक के स्वॉब को पतला किया जाएगा), वायरस की संक्रामकता को नष्ट कर दिया जाएगा, ताकि ये परिवार के दूसरे सदस्यों के लिए खतरनाक न बन जाए’.
वानखेड़े इससे पहले नेशनल हेल्थ सर्विस (एनएचएस) के साथ काम कर चुके हैं, जो यूके की जन-वित्तपोषित हेल्थ केयर प्रणाली है.
ये टेस्ट घर पर इस्तेमाल के लिए स्वीकृत है, जिसमें 18 वर्ष या उससे ऊपर के लोग अपनी नाक के स्वॉब का नमूना खुद ले सकते हैं और 2 साल से अधिक उम्र वालों का नमूना वयस्क लोग ले सकते हैं.
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कोविसेल्फ का इस्तेमाल कैसे करें?
टेस्ट किट के साथ एक अनुदेश पुस्तिका आती है और इसमें पहले से भरी हुई एक एक्सट्रेक्शन ट्यूब, स्टराइल नेज़ल स्वॉब, एक टेस्ट कार्ड और एक बायोहैज़र्ड बैग होता है.
कंपनी द्वारा जारी वीडियो के अनुसार, सलाह दी जाती है कि टेस्ट करने से पहले गूगल प्लेस्टोर से कोविसेल्फ एप डाउनलोड कर लें.
एप्लिकेशन में यूज़र से अपना विवरण भरने को कहा जाएगा, जैसे नाम, उम्र, पता और सरकारी पहचान नंबर आदि.
बाद में रिपोर्ट तैयार की जाएगी और एप्लिकेशन के ज़रिए उसे डाउनलोड कर लिया जाएगा. कंपनी के अनुसार, अगर काट्रिज में कंट्रोल लाइन सी और टेस्ट लाइन टी दिख जाएं, तो नॉवल कोरोनावायरस की मौजूदगी की पुष्टि हो जाती है, और नतीजा पॉज़िटिव होता है.
आईसीएमआर की एडवाइज़री के अनुसार, इस टेस्ट की सलाह सिर्फ ऐसे लोगों को दी जाती है, जिनमें या तो लक्षण हों या वो लैबोरेटरी से पुष्ट पॉज़िटिव मामलों के निकट संपर्क में हों.
गाइडलाइन्स में कहा गया है कि ‘अंधाधुंध टेस्टिंग की सलाह नहीं दी जाती’.
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