जयपुर : 61 वर्षीय राजकुमार शर्मा जयपुर के चावड़ी बाज़ार में टीकेश्वरी मंदिर के पास सुबह 7 बजे अपने परिवार के साथ चाय और कचौड़ी का मज़ा ले रहे थे. शर्मा के लिए ये एक हर रोज़ की दिनचर्या है- मंदिर में फूल चढ़ाना और फिर पुजारियों और पड़ोसियों के साथ बात करते हुए कुछ समय बिताना.
लेकिन, बृहस्पतिवार को मंदिर के पास शर्मा की मौजूदगी को देखकर कुछ निवासियों में ख़ामोशी के साथ ख़ुसर-पुसर शुरू हो गई, चूंकि शर्मा परिवार तभी ‘कोरोना हब’ से वापस आए थे. पड़ोसियों ने दिप्रिंट को बताया कि 16 अप्रैल को शर्मा, उनकी पत्नी, उनके दो बच्चे और एक ड्राइवर, दो हफ्ते कुंभ मेले में बिताकर लौटे थे. मेले को कोविड सुपर स्प्रेडर क़रार दिया गया है, लेकिन शर्मा परिवार अपने इस दौरे के बारे में कोई पछतावा महसूस नहीं करता.
दिप्रिंट से बात करते हुए शर्मा ने कहा, ‘ये (कुंभ मेला) हर साल आयोजित नहीं होता. इसलिए कोई सवाल ही नहीं था कि हम उसमें न जाते. ये कोरोना तो वहम है सबका’. शर्मा ने ये भी कहा कि उन्होंने पवित्र गंगा में, एक भीड़ के साथ डुबकी लगाई, जो उनके अनुसार कम से कम 7 लाख रही होगी.
‘हम तो शुद्ध होकर आए हैं. इससे सब इन्फेक्शन चला जाएगा, अगर हमारे आसपास है भी तो’.
शर्मा लोग अकेले नहीं हैं, जो कुंभ मेले के बारे में ऐसे विचार रखते हैं.
राज्य सरकार के अनुमानों के मुताबिक़, पिछले महीने में राजस्थान से कम से कम 5 से 6 लाख लोग कुंभ मेले में गए थे. दिप्रिंट से बातचीत में, राजस्थान के स्वास्थ्य मंत्री रघु शर्मा ने कहा कि राज्य में ख़ासकर ग्रामीण इलाक़ों में, कोविड मामलों के फैलने का एक प्रमुख कारण कुंभ से लौटने वाले लोग हैं.
फरवरी में रोज़ाना तीन अंकों में कोविड मामले देखने के बाद, राजस्थान में अब रोज़ाना 12,000-14,000 नए मामले सामने आ रहे हैं. यहां के निवासियों तथा अधिकारियों का कहना है कि ये उछाल ग्रामीण इलाक़ों तथा छोटे ज़िलों में ज़्यादा देखी जा रही है, जहां रोज़ाना कुछ सौ नए मामलों की संख्या अभूतपूर्व है.
राजस्थान सरकार कुंभ से लौटने वाले लोगों में संक्रमण का पता लगाने और उस पर निगाह रखने के लिए एक कड़ी व्यवस्था करने की प्रक्रिया में है, लेकिन कुछ ज़िलों में कोविड में उछाल के कुछ दूसरे कारण ये हो सकते हैं कि वहां पर उप-चुनाव कराए गए थे और पहले होली तथा बाद में कोविड लॉकडाउंस लागू किए जाने के बाद से, महाराष्ट्र तथा गुजरात से प्रवासी श्रमिक घर वापस आए थे.
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तीर्थ यात्रियों का पता लगाना
राज्य के कोविड आंकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है कि अप्रैल की शुरुआत में मामलों में उछाल, विशेष रूप से ज़ाहिर हो गया थी. राज्य के हेल्थ बुलेटिंस के अनुसार 21 मार्च को 1,081 नए मामले सामने आए थे, जो 1 अप्रैल को बढ़कर 1,350 पहुंच गए. उसके बाद से ये संख्या लगातार बढ़ रही है, जो 22 अप्रैल को बढ़कर 14,468 पहुंच गई. 23 अप्रैल को राज्य में कुल 1,07,517 एक्टिव मामले थे.
संख्या में ये वृद्धि और ज़्यादा लगती है, अगर इसकी तुलना फरवरी के आंकड़ों से की जाए- उस समय सूबे में हर रोज़ तक़रीबन सौ नए मामले सामने आ रहे थे.
मामलों की संख्या में बढ़ोतरी के साथ ही, मेडिकल ऑक्सीजन, वैक्सीन तथा रेमडिसिविर की कमी की समस्या भी सामने आ रही है. रेमडिसिविर कोविड के इलाज की एक प्रमुख दवा है. हर रोज़ कोविड से हुई मौतों की संख्या भी बढ़ गई है.
मामलों में उछाल आने से चिंता में घिरी सरकार, कुंभ से लौटने वालों का पता लगाने के लिए एक मॉड्यूल को अंतिम रूप देने में लगी है, ताकि 15 दिन का अनिवार्य क्वारेंटाइन सुनिश्चित किया जा सके. सरकार के सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि एक दस्तावेज़ तैयार किया जा रहा है, जिसे राज्य में दाख़िल होने वालों को भरना होगा. ‘प्रवास पंजीकरण सेवा’ शीर्षक के इस दस्तावेज़ में, उन्हें कुछ बुनियादी निजी जानकारी भरनी होगी, जिसके साथ ही उनमें कोविड के लक्षण, उनकी पंचायत का नाम तथा राज्य से निकलने और वापस आने की तारीख़, आदि का विवरण भी दिया जाएगा.
इससे पहले अप्रैल में, राजस्थान सरकार ने राज्य में दाख़िल होने वाले किसी भी व्यक्ति के लिए, निगेटिव आरटी-पीसीआर रिपोर्ट दिखाना अनिवार्य कर दिया था.
लेकिन शर्मा ने, जो कुंभ से लौटे थे, दिप्रिंट को बताया कि हरिद्वार में घुसने और शहर छोड़ने तथा जयपुर में दाख़िल होते समय, उनका टेम्प्रेचर चेक किया गया था लेकिन उनका ‘(कुंभ मेले के लिए) जाने से पहले या आने के बाद कोविड टेस्ट नहीं किया गया’.
कुंभ से लौटने वाले एक और व्यक्ति, 35 वर्षीय प्रेम श्रवण ने आगे कहा, ‘हमें मालूम नहीं था कि टेस्ट कराना अनिवार्य था, और वैसे भी आने के बाद से, हम बिल्कुल ठीक महसूस कर रहे हैं…कोई बुख़ार नहीं, कुछ नहीं’.
जयपुर की चावड़ी बाज़ार निवासी, 55 वर्षीय पुष्पा अग्रवाल पड़ोस से 22 दूसरे लोगों के साथ 8 अप्रैल को कुंभ मेले में गईं थीं. जाने से पहले उन्होंने कोविड टेस्ट कराया था. मेले से लाया गया कुछ प्रसाद पेश करते हुए उन्होंने कहा, ‘कुंभ के लिए निकलने से पहले 7 अप्रैल को मेरी रिपोर्ट आ गई थी. मेरे ड्राइवर ने यूपी में दाख़िल होने से पहले एक चेक पोस्ट पर मेरी रिपोर्ट ज़रूर दिखाई थी, लेकिन दो दिन पहले वापस आते समय हमसे कोई डिटेल्स नहीं पूछी गईं’.
पिछले वीकएंड पर, ख़बर आई थी कि राजस्थान के 19 कोविड पॉज़िटिव लोग, जो कुंभ मेले में गए थे, उत्तराखंड के एक अस्पताल से भाग गए थे. उत्तराखंड सरकार ने उनके खिलाफ एक एफआईआर दर्ज करके 18 अप्रैल को राजस्थान सरकार को सतर्क कर दिया था.
उनका क्या हुआ ये अभी तक मालूम नहीं है, लेकिन राजस्थान स्वास्थ्य सचिव सिद्धार्थ महाजन ने कहा कि राज्य सरकार के पास अभी तक कुंभ से लौटने वाले लोगों के बीच पॉज़िटिव मामलों की कुल संख्या का आंकड़ा नहीं है.
‘धार्मिक आस्था’ और स्थानीय चुनावों से उछाल आया
इस बीच, राजधानी शहर में कोविड मामलों में उछाल के अलावा, ज़िला कलेक्टर्स गांवों में मामलों में हो रही चिंताजनक वृद्धि से भी परेशान हैं.
एक सब-डिवीज़नल मजिस्ट्रेट (एसडीएम) ने नाम न बताने की शर्त पर कहा: ‘हम अब हर रोज़ 400-600 केस रिपोर्ट कर रहे हैं, जैसा पहले कभी नहीं हुआ है’. इस उछाल के लिए उन्होंने गांववासियों की, ‘धार्मिक आस्था’ को ज़िम्मेदार ठहराया.
एसडीएम ने कहा, ‘मैंने ख़ुद ऐसा एक केस देखा है, जिसमें एक मरीज़ जिससे मैं अपने फील्ड दौरे पर मिला था, लक्षण दिखा रहा था’. उन्होंने आगे कहा कि बाद में, जब उस व्यक्ति का कोविड टेस्ट पॉज़िटिव निकला तो उसके यात्रा के इतिहास से पता चला कि वो कुंभ से लौटकर आया था.
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक़, बाड़मेर, पाली, सीकर, सिरोही, राजसमंद, डूंगरपुर और टोंक जैसे ग्रामीण क्षेत्रों में मामलों की संख्या में बढ़ोतरी देखी जा रही है. राज्य सरकार की ओर से जारी दैनिक स्वास्थ्य बुलेटिन के अनुसार इन ज़िलों में हर बृहस्पतिवार को कम से कम 280-300 नए मामले दर्ज किए गए.
भीलवाड़ा, राजसमंद और सुजानगढ़ जैसे ज़िलों और शहरों में कोविड मामलों में वृद्धि का एक और कारण उपचुनाव भी हो सकते हैं, जो 17 अप्रैल को कराए गए थे. राज्य की कोविड टास्क फोर्स के एक वरिष्ठ सदस्य ने नाम न बताने की शर्त पर दिप्रिंट से कहा, ‘हमने रैलियों को रोकने की भरसक कोशिश की, लेकिन कुछ चीज़ें हमारे बस में नहीं हैं’. अधिकारी ने कहा कि उन्होंने राजनीतिक हितधारकों को इन रैलियों और चुनाव प्रचारों के, राज्य में कोविड पर होने वाले असर के बारे में चेतावनी दे दी थी’.
‘इस बार हमारे पास सीमावर्त्ती ज़िलों से भी बड़ी संख्या में मरीज़ आ रहे हैं,’ ये कहना था राज्य में कोविड के एक प्रमुख अस्पताल, राजस्थान यूनिवर्सिटी ऑफ मेडिकल साइंसेज़ (आरयूएचएस) के अधीक्षक, डॉ अजीत सिंह शेखावत का. अस्पताल का दौरा करने पर पता चला कि अप्रैल की शुरुआत से छोटे गांवों से रेफर किए जाने वाले मामलों की संख्या बढ़ रही है- रोज़ाना 250 नए मामलों में, 60-70 केस ऐसे ही हैं- जिसके नतीजे में अस्पताल की कोविड वॉर्ड इमारतों में, छठी से नौवीं मंज़िल तक, कॉरीडोर्स में बिस्तरों की क़तारें लग गई हैं.
कोविड-19 के राज्य सलाहकार बोर्ड सदस्य, डॉ सुधीर भंडारी ने दिप्रिंट को बताया, ‘चूंकि छोटे ज़िला अस्पतालों में ऑक्सीजन जल्दी ख़त्म हो रही है, इसलिए वहां से बहुत से ऐसे मरीज़ जयपुर के बड़े कोविड अस्पतालों में भेजे जा रहे हैं’.
एक और चुनौती जिसका राजस्थान सामना कर रहा है, वो है महाराष्ट्र और गुजरात जैसे राज्यों से प्रवासी श्रमिकों की घर वापसी. राज्य में कोविड आंकड़ों पर नज़र रखने वाले सरकारी अधिकारियों ने कहा कि बहुत से मरीज़ वो हैं जो महाराष्ट्र में लॉकडाउन घोषित होने के बाद, वहां से वापस आए हैं.
स्वास्थ्य मंत्री शर्मा ने कहा, ‘राज्य से बाहर जाने या अंदर आने की गतिविधियों को समझने के लिए हम स्टेशन मास्टरों और बस डिपो के संपर्क में हैं. राजस्थान की सीमा मध्य प्रदेश और गुजरात से लगती है, जो इस दूसरी लहर में सबसे ज़्यादा प्रभावित राज्यों में से हैं.
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