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Friday, 22 November, 2024
होमहेल्थकुंभ शुरू होने से पहले ही उत्तराखंड में फैल चुका था ‘काफी ज्यादा संक्रामक’ डबल म्यूटेंट स्ट्रेन

कुंभ शुरू होने से पहले ही उत्तराखंड में फैल चुका था ‘काफी ज्यादा संक्रामक’ डबल म्यूटेंट स्ट्रेन

नेशनल सेंटर फॉर डिजीज़ कंट्रोल ने उत्तराखंड में अलग-अलग स्ट्रेन्स के कुल छह मामलों का पता लगाया है. उनमें से तीन का संबंध डबल म्यूटेंट स्ट्रेन से है.

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नई दिल्ली: सार्स सीओवी-2 का डबल म्यूटेंट स्ट्रेन, जिसे अधिक संक्रामक माना जाता है, 1 अप्रैल को हरिद्वार में महा कुंभ मेले के शुरू होने से पहले ही, उत्तराखंड में घूम रहा था. दिप्रिंट को यह जानकारी मिली है.

देहरादून की वायरल रिसर्च एंड डायग्नोस्टिक लैबोरेटरी (वीआरडीएल) के डॉक्टरों के अनुसार, सोमवार को नेशनल सेंटर फॉर डिजीज़ कंट्रोल (एनसीडीसी) ने राज्य से लिए गए सैम्पल्स वापस किए, जिनमें अलग-अलग किस्म के छह वेरिएंट्स का पता चला है. वीआरडीएल को किसी भी वायरस प्रकोप की जांच करने और उस पर निगाह रखने के लिए इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) की ओर से वित्तपोषित किया जाता है.

डॉक्टरों ने बताया कि इन छह में से तीन डबल म्यूटेंट स्ट्रेन (बी.1.6.1.7) हैं, दो यूके स्ट्रेन (बी.1.1.7) हैं और एक अज्ञात वेरिएंट (वीयूआई) है, जिसकी जांच हो रही है.

ये नमूने मार्च के अंत में एनसीडीसी को भेजे गए थे- कुंभ मेला शुरू होने से कुछ दिन पहले, जिसमें लाखों लोगों ने शिरकत की.

स्वास्थ्य मंत्रालय ने पहले अपने एक बयान में कहा था, ‘डबल म्यूटेंट स्ट्रेन के स्पाइक प्रोटीन पर विशेष म्यूटेशंस- जिन्हें ई484क्यू और एल452आर कहा जाता है- इम्यून क्षमता से बचते हुए संक्रामकता को बढ़ा देते हैं’.

दून मेडिकल कॉलेज देहरादून में वीआरडीएल के प्रमुख जांचकर्त्ता, डॉ शेखर पाल ने कहा, ‘उत्तराखंड में डबल म्यूटेंट वेरिएंट और यूके वेरिएंट पाया जाना चिंताजनक है, क्योंकि ये वेरिएंट अत्यधिक संक्रामक होते हैं, सार्स-सीओवी-2 के वाइल्ड टाइप (मूल) स्ट्रेन की तुलना में 50-70 प्रतिशत ज़्यादा’.

वीआरडीएल के सह-जांचकर्त्ता डॉ दीपक जुयाल ने दिप्रिंट से कहा, ‘इसके बहुत सारे नतीजे होंगे, चूंकि जब कुंभ मेला शुरू हुआ, तो स्ट्रेन वहां पहले से ही मौजूद था’. उन्होंने आगे कहा, ‘न केवल ये अत्यधिक संक्रामक है, बल्कि ये इम्यून सिस्टम से भी बच निकलता है’.

कुंभ मेला शुरू होने के बाद से उत्तराखंड में कोविड मामलों में सात गुना से अधिक उछाल देखा गया है. 31 मार्च को, राज्य में 293 मामले दर्ज हुए थे, जो 19 अप्रैल तक बढ़कर 2,160 पहुंच गए.


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वेरिएंट चिंताजनक नहीं: सरकार

डबल म्यूटेंट स्ट्रेन का पता सबसे पहले 24 मार्च को इंडियन सार्स-सीओवी-2 कंसॉर्शियम ऑन जीनॉमिक्स (इंसाकॉग) ने लगाया था.

दस अप्रैल को नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरॉलजी को पता चला कि उसे जो नमूने मिले थे, उनमें से 61 प्रतिशत नमूनों का संबंध डबल म्यूटेंट स्ट्रेन से था.

लेकिन सरकार अपने इस रुख पर कायम है कि डबल म्यूटेंट स्ट्रेन कोई ‘चिंताजनक वेरिएंट’ (वीओसी) नहीं है और अभी इसकी जांच की जा रही है. 17 अप्रैल को एक बयान में स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा, ‘इस (डबल म्यूटेंट) वेरिएंट की अधिक संक्रामकता अभी तक स्थापित नहीं हुई है’. लेकिन विशेषज्ञों ने इससे असहमति जताई है.

सरकार जिन वेरिएंट्स को चिंताजनक मानती है, उनमें यूके, साउथ अफ्रीका और ब्राज़ील वेरिएंट्स शामिल हैं.

जुयाल ने कहा, ‘कुछ खास विशेषताएं हैं जो वीओसीज़ को परिभाषित करती हैं, जैसे पहुंचाने की बढ़ी हुई योग्यता, इम्यून रेस्पॉन्स से बच निकलने की क्षमता, निष्क्रिय करने वाले एंटीबॉडी उपचारों तथा एंटीवायरल दवाओं के प्रति संवेदनशीलता में कमी और लंबे समय तक कोविड का बढ़ा हुआ खतरा, शामिल है’.

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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