नई दिल्ली : दिप्रिंट को मालूम हुआ है कि मोदी सरकार ने, भारत में आयुष उत्पादों के बाज़ार के आकार का आंकलन करने के लिए एक पैनल का गठन किया है.
आयुष मंत्रालय से एक वरिष्ठ अधिकारी ने दिप्रिंट से कहा, ‘अभी तक सरकार को कोई अंदाज़ा नहीं है कि भारत में आयुष उत्पादों और उपचारों का बाज़ार कितना बड़ा है. हम तीसरे पक्ष द्वारा लगाए गए अनुमानों का इस्तेमाल कर रहे हैं’.
‘लेकिन ये पहली बार है कि सरकार ने बाज़ार के अध्ययन की योजना बनाई है, ताकि इस सेक्टर की अर्थव्यवस्था को समझा जा सके, जो कोविड-19 की वजह से तेज़ी से विकसित हो रही है’.
ये कदम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस क्षेत्र को बढ़ावा देने के बाद उठाया गया है, जो कोविड महामारी के दौरान ‘इम्यूनिटी’ में सुधार करने के लिए आयुष उपचारों को आगे बढ़ाते रहे हैं.
कोरोनावायरस से बचने के लिए मोदी, होम्योपैथिक और आयुर्वेद जैसी वैकल्पिक चिकित्सा प्रणालियों के इस्तेमाल की सलाह देते रहे हैं. पिछले साल मोदी ने लोगों से कहा कि वो आयुष मंत्रालय (आयुर्वेद, योगा, प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्धा, सोवा रिग्पा और होम्योपैथी) की एडवाइज़री का पालन करें, जिसमें इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए बहुत से घरेलू उपचार सुझाए गए हैं.
इस बढ़ावे के बाद, मंत्रालय ने एक पैनल फोरम फॉर असेंस्मेंट ऑफ आयुष मार्केट साइज़ (फाम्स) का गठन किया था. इस ग्रुप में वो लॉबियां शामिल हैं, जो वीको, डाबर, हिमालया, झंडू इमामी और बैद्यनाथ जैसे, भारत के शीर्ष हर्बल दवा निर्माताओं का प्रतिनिधित्व करती हैं.
दिसंबर में गठित किए गए इस पैनल में, आयुर्वेदिक ड्रग मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (एडमा), एसोसिएशन ऑफ मैन्युफैक्चरर्स ऑफ आयुर्वेद मेडिसिन्स (एमाम), एसोसिएशन ऑफ हर्बल एंड न्यूट्रास्यूटिकल मैन्युफैक्चरर्स ऑफ इंडिया (एएचएनएमआई) और अन्य लॉबी ग्रुप्स शामिल हैं.
ये ग्रुप्स नई दिल्ली स्थित स्वायत्त पॉलिसी रिसर्च इंस्टीट्यूट, रिसर्च एंड इन्फार्मेशन सिस्टम फॉर डेवलपिंग कंट्रीज़ (आरआईएस) और आयुष मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ मिलकर काम करेंगे.
भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई), भारतीय वाणिज्य और उद्योग महासंघ (फिक्की) और पीएचडी वाणिज्य और उद्योग चैंबर भी इस पैनल का हिस्सा हैं.
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आयुष बाजार के पीछे की अर्थव्यवस्था का आकलन करना
ऊपर हवाला दिए गए मंत्रालय के अधिकारी के अनुसार, पैनल का उद्देश्य ‘तीसरे पक्ष के सर्वेक्षणों पर निर्भर रहने की बजाय, देश में औषधीय पौधों के उपभोग और उनकी आपूर्ति की स्थिति तथा अंतिम फॉर्मूलों, उत्पादों और उपचारों का ख़ुद से मूल्यांकन करना है’.
अधिकारी ने कहा, ‘इस आकलन से क्षेत्र की आगे प्रगति को बढ़ावा देने के लिए मंत्रालय को इसके लिए रणनीतियां तैयार करने में मदद मिलेंगी, ताकि इसे और मज़बूत किया जा सके’.
अधिकारी ने आगे कहा कि औषधीय पौधों के निर्यात में भी बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है.
वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक़, भारत से औषधीय पौधों का निर्यात बढ़ गया है. आंकड़ों से पता चलता है कि 2019-20 में, दवाएं बनाने के लिए भारत ने 28.3 करोड़ डॉलर मूल्य के पौधे और पौधों के हिस्से निर्यात किए. अकेले पिछले नौ महीनों में (2020-2021 में अप्रैल से दिसंबर), भारत पहले ही 27.3 करोड़ डॉलर का निर्यात कर चुका है.
आयुष मंत्रालय ने वाणिज्य मंत्रालय से ये भी आग्रह किया है कि आयुष- आधारित वस्तुओं और औषधीय पौधों के लिए, अलग-अलग एचएस कोड्स निर्धारित किए जाएं- अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मानकीकृत प्रणालियां, जहां वस्तुओं के वर्गीकरण के लिए एक संख्यात्मक कोड दिया जाता है, ताकि उनके व्यवसाय पर क़रीबी नज़र रखी जा सके.
अभी तक, दो बैठकें आयोजित की जा चुकी हैं. पहली शुरुआती बैठक के अलावा, पैनल ने मार्च में बैठक की जिसमें भारत में आयुष बाजार पर, सीआईआई की स्टडी पर आधारित चर्चा की गई, जो पिछले साल जनवरी में जारी की गई थी.
स्टडी में आयुष बाजार का आकार 10 अरब डॉलर आंका गया था, जिसके 2020 तक बढ़कर 15 अरब डॉलर तक पहुंच जाने का अनुमान था.
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