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Thursday, 25 April, 2024
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प्रजनन दर 2.2 से घटकर 2.0 पर पहुंचा, बच्चों के बौनेपन में भी आई मामूली कमी- NFHS

NFHS-5 के सर्वे में 28 राज्यों और 8 केंद्र शासित प्रदेशों के 707 जिलों के 6.37 लाख परिवारों को शामिल किया गया है. इनमें 7,24,115 और 1,01, 839 पुरुष को शामिल किया गया था.

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नई दिल्ली: भारत का प्रजनन दर 2.2 से घटकर 2.0 पर पहुंच गया है. नेशनल फैमली हेल्थ सर्वे (एनएफएचएस) की पांचवे दौर की रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है. इससे जनसंख्या नियंत्रण उपायों की प्रगाती के बारे में भी पता चलता है.

राष्ट्रीय स्तर पर एनएफएचएस-4 और 5 के बीच कुल प्रजनन दर (टीआरएफ), प्रति महिला पर कुल बच्चों की औसत संख्या को मापा जाता है, घटकर 2.2 से 2.0 हो गई है.

भारत में सिर्फ पांच राज्य हैं, जो 2.1 के प्रजनन क्षमता के रिप्लेसमेंट लेवल से ऊपर हैं जिनमें बिहार (2.98), मेघालय (2.91), उत्तर प्रदेश (2.35), झारखंड (2.26) और मणिपुर (2.17) शामिल है.

एनएफएचएस-5 के सर्वे में 28 राज्यों और 8 केंद्र शासित प्रदेशों के 707 जिलों के 6.37 लाख परिवारों को शामिल किया गया है. इनमें 7,24,115 और 1,01, 839 पुरुष को शामिल किया गया था.

कॉन्ट्रासेप्टिव प्रेवलेंस रेट (सीपीआर) देश में 54 प्रतिशत से बढ़कर 67 प्रतिशत हो गया है.

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एक आधिकारिक बयान में कहा गया है, ‘सभी राज्यों और केंद्र शासित राज्यों में गर्भ निरोधकों के आधुनिक तरीकों का इस्तेमाल भी बढ़ा है. परिवार नियोजन की अधूरी जरूरतों में 13 प्रतिशत से 9 प्रतिशत की अहम गिरावट देखने को मिली है. ‘

एनएफएचएस-5 ने यह भी कहा गया है कि संस्थागत जन्म भारत में 79 प्रतिशत से बढ़कर 89 प्रतिशत हो गए हैं. यहां तक ​​कि ग्रामीण क्षेत्रों में भी लगभग 87 प्रतिशत जन्म संस्थानों में दिया जाता है और शहरी क्षेत्रों में यह 94 प्रतिशत है.

अरुणाचल प्रदेश में संस्थागत जन्म में ज्यादातर 27 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई, इसके बाद असम, बिहार, मेघालय, छत्तीसगढ़, नागालैंड, मणिपुर, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल में 10 प्रतिशत से अधिक की बढ़ोतरी देखी गई है. पिछले 5 सालों में 91 प्रतिशत से अधिक जिलों में 70 प्रतिशत से अधिक जन्म स्वास्थ्य सुविधाओं में हुए हैं.

वहीं, सर्वे के अनुसार पिछले चार सालों में भारत में 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों में स्टंटिंग (बौनापन) का स्तर 38 से 36 प्रतिशत तक मामूली रूप से कम हो गया है.

2019-21 में शहरी क्षेत्रों (30 प्रतिशत) के मुकाबले ग्रामीण क्षेत्रों (37 प्रतिशत) में बच्चों में स्टंटिंग ज्यादा है. स्टंटिंग में भिन्नता पुडुचेरी में सबसे कम (20 प्रतिशत) और मेघालय में सबसे ऊंचे स्तर (47 प्रतिशत) पर है.


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