फरीदकोट: तीन मंजिला गुरु गोबिंद सिंह मेडिकल कॉलेज व अस्पताल जहां वाइस चांसलर को एक गंदे बिस्तर पर लिटाने का एक वीडियो शूट किया गया था वो अब शहर में चर्चा का विषय बन गया है.
वीसी डॉ राज बहादुर ने तब इस्तीफा दे दिया जब प्रदेश स्वास्थ्य मंत्री चेतन सिंह जौरामाजरा ने उन्हें फंगस से भरे अस्पताल के एक बिस्तर पर लेटने के लिए कहा, ताकि उन्हें ‘अहसास हो कि एक मरीज के तौर पर कैसा महसूस होता है’.
दिप्रिंट को पता चला है कि स्वास्थ्य मंत्री जौरामाजरा के दौरे से दो दिन पहले अस्पताल अधिकारियों को निर्देश दिया गया था कि परिसर को साफ करके उसमें और बिस्तर बढ़ा दिए जाएं.
अस्पताल के सूत्रों ने बताया कि ‘परिसर के बहुत से गंदे कोनों की सफाई की तैयारी मंत्री के दौरे से दो दिन पहले शुरू हो गई थी’.
इसके अलावा, चश्मदीदों ने पंजाब स्वास्थ्य मंत्री के उस तरीके की भी आलोचना की कि किस तरह वो अपने समर्थकों के साथ अस्पताल के मैटरनिटी वॉर्ड में घुस गए और मरीजों को अचरज में डाल दिया.
उस समय वॉर्ड में मौजूद मरीजों ने पुष्टि की कि जब जौरामाजरा मैटरनिटी वॉर्ड में घुसे तो न उन्होंने अपने जूते उतारे और ना ही उनके साथ कोई महिला अधिकारी मौजूद थी.
दिप्रिंट के साथ बात करने वाले स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने ये भी कहा कि निर्देश देने में वीसी की कोई भूमिका नहीं है. उन्होंने आगे कहा कि ये मुख्य रूप से चिकित्सा अधीक्षक और प्रिंसिपल के पास फंड्स के खर्च के जिम्मेदारी होती है.
पूर्व वीसी के करीबी सूत्रों ने ये भी बताया कि पंजाब सीएम भगवंत मान ने शनिवार सुबह उन्हें फोन करके जौरामाजरा की हरकत के लिए माफी मांगी.
हालांकि, मुख्यमंत्री डॉ राज बहादुर को पद छोड़ने के अपने फैसले पर पुनर्विचार करने के लिए राजी नहीं कर पाए- जिन्हें दिसंबर 2020 में बाबा फरीद यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ साइंसिज के वीसी के तौर पर तीन साल का एक विस्तार दिया गया था जिनका 2014 के बाद से उनका तीसरा एक्सटेंशन था.
गुरु गोबिंद सिंह मेडिकल कॉलेज व अस्पताल, बाबा फरीद यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ साइंसिज का एक घटक कॉलेज है.
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अतिरिक्त बिस्तर लगाए गए, गद्दे बदले गए
60 वर्षीय कुलदीप सिंह ने दिप्रिंट को बताया कि स्वास्थ्य मंत्री के दौरे से पहले अस्पताल अधिकारियों ने सर्जिकल वॉर्ड में अतिरिक्त बिस्तर लगा दिए थे और नए गद्दे बिछा दिए थे.
सिंह ने कहा, ‘मैं अपने बेटे के इलाज के लिए यहां आया हुआ हूं और हम करीब एक हफ्ते से यहां हैं. अचानक, मंत्री के दौरे से पहले वॉर्ड में तीन और बिस्तर लगा दिए गए और गद्दे बदल दिए गए. मंत्री जल्दी में हमारे वॉर्ड में आए और हम में से किसी से बात किए बिना लौट गए’.
अस्पताल की स्थिति और स्टाफ द्वारा मरीजों के इलाज के बारे में पूछने पर कुलदीप सिंह ने कहा कि ‘डॉक्टर्स अच्छे हैं और स्टाफ मददगार है’.
उन्होंने आगे कहा, ‘यहां पर हर रोज बहुत संख्या में लोग आते हैं. इसलिए उन्हें बहुत लोगों का ख्याल रखना पड़ता है. इसलिए अगर उनका रवैया बहुत दोस्ताना नहीं है तो हम इसे समझते हैं. अधिकतर सरकारी अस्पतालों की तरह यहां भी बुनियादी सफाई का अभाव है लेकिन इलाज को लेकर हमें कोई शिकायत नहीं है’.
इसी तरह की बातें करते हुए, दूसरे वॉर्ड्स के मरीजों और उनके सहायकों ने भी कहा कि स्वास्थ्य मंत्री के दौरे से पहले उन्होंने कर्मचारियों को परिसर में सफाई करते हुए देखा था.
सफाई स्टाफ के एक सदस्य ने जो अपनी पहचान नहीं बताना चाहता थे दिप्रिंट को बताया कि उन्हें आदेश दिए गए था कि दुर्गंध वाली जगहों खासतौर से वॉशरूम्स के पास सफाई करें.
एक मरीज जिसने पिछले हफ्ते मैटरनिटी विभाग में एक बच्चे को जन्म दिया था उन्होंने कहा कि उसे ‘डॉक्टर या इलाज को लेकर कोई शिकायत नहीं थी’.
मरीज ने आगे कहा, ‘हमने देखा कि मंत्री के दौरे से पहले अतिरिक्त बिस्तर लगाए जा रहे थे और कई बिस्तरों पर गद्दे बदले जा रहे थे’.
हालांकि इस मरीज के परिवार के सदस्य इस बात से बहुत खुश नहीं थे कि जिस तरह से मंत्री अपने सभी पुरुष समर्थकों के साथ वॉर्ड में घुस आए थे.
जिस मरीज का हवाला ऊपर दिया गया है उसकी 65 वर्षीय मां ने कहा, ‘वो अचानक से अंदर आ गए जिससे वॉर्ड में बहुत सी महिलाएं चौंक गईं. उन्होंने अपने जूते नहीं उतारे और ना ही इस बात का ख्याल रखा कि करीब 10 मर्दों के महिला वॉर्ड में घुसने पर वहां मौजूद महिलाएं बेहद असहज महसूस कर सकती हैं.’
मरीज की मां ने आगे कहा, ‘उन लोगों के साथ कोई महिला भी नहीं थी. इसकी कोई जरूरत नहीं थी, अस्पताल के अंदर खासकर क्रिटिकल वॉर्ड्स में आपको किस तरह का आचरण करना चाहिए उसका एक तरीका होता है. आप जोरों से नहीं चिल्ला सकते हैं और स्टाफ के सदस्यों पर आदेशों की बौछार नहीं कर सकते है जो कि पहले ही काम के बोझ से दबे होते हैं’.
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गंदे बिस्तर पर लेटे V-C का वीडियो वायरल
शुक्रवार को आम आदमी पार्टी (आप) नेताओं के साथ पंजाब स्वास्थ्य मंत्री चेतन सिंह जौरामाजरा, एक ‘मुआयने’ के लिए फरीदकोट के गुरु गोबिंद सिंह मेडिकल कॉलेज व अस्पताल पहुंच गए थे.
अस्पताल स्टाफ के कुछ सदस्यों के अनुसार, मंत्री दोपहर करीब 2 बजे आए और 6 बजे तक हर एक वॉर्ड का मुआयना करने के बाद ही वहां से वापस गए.
स्कीन वॉर्ड ही वो जगह है- जिसमें अधिकतर जले हुए मरीजों और इलाज करा रहे बंदियों को रखा जाता है- जहां जौरामाजरा ने डॉ राज बहादुर को एक बिस्तर पर लेट जाने के लिए कहा.
स्कीन वॉर्ड में दाखिल होते समय जौरामाजरा ने अस्पताल अधिकारियों से जानने का प्रयास किया कि मरीजों के लिए बिछाए गए गद्दे इतनी खराब हालत में क्यों हैं. मंत्री ने फिर अपना बायां हाथ वीसी डॉ राज बहादुर के कंधे पर रखा और उनसे कहा कि उनमें से एक बिस्तर पर लेट जाएं ताकि एक मरीज के तौर पर उन्हें ‘अहसास हो कि कैसा लगता है’.
उस बिस्तर पर पड़ा हुआ गद्दा आधा जला हुआ था और उसपर फंगस के निशान लगे हुए थे.
जौरामाजरा के समर्थकों को जिनमें आप विधायक अमलोक सिंह भी शामिल थे, उन्हें उकसाते हुए और अन्य समस्याओं के अलावा गद्दों की हालत की आलोचना करते हुए देखा गया था.
#WATCH | Faridkot: Punjab Health Min Chetan Singh Jouramajra visited Guru Gobind Singh Medical hospital & took stock of infrastructure & arrangements. He also inspected mattresses being used for patients & made Vice-Chancellor lie down on the same upon seeing their poor condition pic.twitter.com/KVaxJ0oS2D
— ANI (@ANI) July 29, 2022
घटना के एक चश्मदीद ने बताया, ‘सब कुछ इतनी तेजी से हो रहा था कि ऐसा लगता था कि जैसे वो जानना चाहते थे कि किस पर उंगली उठाई जाए चूंकि बहुत से लोग उसे कैमरे पर रिकॉर्ड कर रहे थे’.
‘उस घटना के दौरान कोई भी अस्पताल अधिकारी बीच में नहीं आया और मंत्री वीसी से कहते रहे कि सब कुछ उनके हाथ में था. फिर मंत्री ने किसी से उन्हें स्टोर रूम तक ले जाने के लिए कहा ताकि पता लगा सकें कि क्या वहां पर कुछ नए गद्दे रखे हुए थे और अगर रखे थे तो कितने थे’.
‘V-C जिम्मेदार नहीं है’
सरकारी अस्पतालों के बारे में स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार वाइस चांसलर इस तरह की खामियों के लिए पूरी तरह जिम्मेदार नहीं हैं क्योंकि फंड्स से संबंधित सभी मामले अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक और प्रिंसिपल सीधे खुद देखते हैं.
पंजाब मेडिकल काउंसिल (2014-2018) के पूर्व अध्यक्ष डॉ जीएस ग्रेवाल ने समझाया, ‘हर प्रतिष्ठान में एक खरीद कमेटी होती है जिसमें चिकित्सा अधीक्षक और प्रिंसिपल के अलावा कुछ विभागों के अध्यक्ष और नर्सिंग इंचार्ज शामिल होते हैं.
‘ये एक बोझिल प्रक्रिया है लेकिन अस्पताल के रख-रखाव में वीसी की कोई भूमिका नहीं होती. कमेटी ही विशिष्ट जरूरतों पर निर्णय लेती है और वो ही स्वास्थ्य महकमे को टेंडर्स और कोटेशन भेजती है’.
डॉ ग्रेवाल ने आगे कहा कि वो डॉ राज बहादुर को कॉलेज के दिनों से जानते हैं.
उन्होंने कहा, ‘हम सहपाठी हैं और मैं जानता हूं कि वो उस सलूक के हकदार नहीं थे जो उनके साथ किया गया. वो बिल्कुल ही अनुचित और अनावश्यक था. एक मशहूर सर्जन का जानबूझकर निरादर करने की कोशिश की गई. वो एक ईमानदार डॉक्टर और प्रशासक हैं और चूंकि वो बहुत मुखर हैं इसलिए बहुत लोग उनसे नाराज रहते हैं’.
मेडिकल से जुड़े लोगों ने इस घटना को लेकर यही रुख अपनाया है.
शुक्रवार को जारी एक बयान में पंजाब सिविल मेडिकल एसोसिएशन ने कहा कि मंत्री ने जिस तरह से वीसी के साथ सलूक किया वो बिल्कुल ‘अनौपचारिक’ था और ‘सरकार का पलायनवादी रवैया वास्तव में अनावश्यक है’.
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने भी एक बयान जारी करके कहा कि मुख्यमंत्री भगवंत मान को सार्वजनिक माफीनामा जारी करना चाहिए और स्वास्थ्य मंत्री जौरामाजरा को उनकी ‘बदसलूकी’ के लिए बर्ख़ास्त करना चाहिए.
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