नई दिल्ली: भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इपीडेमियोलॉजी (एनआईई) के साझा विश्लेषण के मुताबिक कोविड वैक्सीन की एक खुराक भी मौत से बचाने में कारगर है.
21 जून को पीर-रिव्यूड इंडियन जर्नल ऑफ मेडिकल रिसर्च में प्रकाशित विश्लेषण में जिसका शीर्षक है- ‘तमिलनाडु के हाई-रिस्क ग्रप्स में मृत्यु से बचाने में कोविड वैक्सीन की प्रभावकारिता’. विश्लेषण में तमिलनाडु पुलिस विभाग द्वारा जुटाए गए आंकड़ों का इस्तेमाल किया गया जिसमें करीब 1,17,524 पुलिस कर्मी हैं.
इसमें कहा गया कि वैक्सीन की पहली डोज 82 प्रतिशत और दूसरी डोज लेने पर 95 प्रतिशत तक कोविड से होने वाली मौत को कम कर सकती है. विश्लेषण में कहा गया कि कोरोना वैक्सीन को विस्तार देने की जरूरत है ताकि भविष्य में महामारी की अन्य लहरों के मद्देनज़र मौतों को कम किया जा सके.
विश्लेषण के मुताबिक 1 फरवरी से 14 मई के बीच 32,792 पुलिस कर्मियों ने वैक्सीन की पहली डोज ली जबकि 67,673 ने दोनों डोज ली. वहीं 17,059 कर्मियों ने इस बीच एक भी डोज नहीं ली.
शोधार्थियों ने पाया कि 13 अप्रैल से 14 मई के बीच इन पुलिस कर्मियों में से 31 की कोविड से मृत्यु हुई है.
वैक्सीन का नाम और वैक्सीनेशन और मृत्यु के बीच अंतराल बताए बिना स्टडी में कहा गया, ‘इन 31 में से 4 ने वैक्सीन की दोनों डोज ली थी, सात ने एक डोज ली थी और बाकी 20 लोगों ने वैक्सीन नहीं ली थी.’
स्टडी में कहा गया, ‘वैक्सीन न लेने वालों में, एक डोज और दोनों डोज लेने वालों में कोविड से मौत होने का अनुपात 1000 पुलिस कर्मियों में से क्रमश: 1.17, 0.21 और 0.06 था.’
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जोखिम
इस विश्लेषण में लगे पांच शोधार्थियों में अनूप जायसवाल, वी सुब्बाराज, जीरोम वेस्ले विवियन थंगाराज, मनोज वी मुरहेकर और जयप्रकाश मुलियिल शामिल हैं.
जायसवाल और सुब्बाराज तमिलनाडु पुलिस विभाग से जुड़े हैं और थंगाराज और मुरहेकर इपीडेमियोलॉजी विभाग से जुड़े हैं. मुलियिल वेल्लोर स्थित क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज के कम्युनिटी हेल्थ विभाग में काम करते हैं.
जिन्होंने वैक्सीन नहीं ली है उनकी तुलना में, विश्लेषण बताता है कि, जिन लोगों ने एक डोज और दोनों डोज लिया है उनमें कोविड से मरने का जोखिम प्रति 1000 पुलिस कर्मियों में क्रमश: 0.18 और 0.05 है.
शोधार्थियों ने इस बात को दर्ज किया कि कोविड वैक्सीन का गंभीर बीमारियों के मद्देनज़र दुनियाभर की वैक्सीन की प्रभावकारिता के बारे में अभी भारत में जानकारी नहीं है. कहा गया कि ऐसे आंकड़े वैक्सीन को लेकर झिझक मिटाने में भूमिका निभा सकते हैं.
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