नई दिल्ली: दि लैंसेट चाइल्ड एंड अडोलेसेंट हेल्थ जर्नल में गुरुवार को प्रकाशित एक अध्ययन के मुताबिक सार्स-कोव-2 से संक्रमित बच्चे कम से कम दो महीने तक चलने वाले लांग कोविड से पीड़ित हो सकते हैं.
कोपेनहेगन यूनिवर्सिटी अस्पताल, यूनिवर्सिटी ऑफ सदर्न डेनमार्क और यूनिवर्सिटी ऑफ कोपेनहेगन के वैज्ञानिकों द्वारा किए गए एक अध्ययन में पाया गया कि पेट दर्द और थकान जैसी सामान्य बीमारियां—जो संक्रमण की चपेट में आने से बचे बच्चों में भी हो सकती है—उन बच्चों को लंबे समय तक प्रभावित करती हैं जो कोविड से उबरे हैं.
अध्ययन के दौरान 14 साल से कम उम्र के लगभग 11,000 डेनिश बच्चों—जो जनवरी 2020 और जुलाई 2021 के बीच कोविड-19 पॉजिटिव पाए गए थे—के नमूनों की तुलना डेनमार्क के ही उन 33,000 बच्चों के समूह के नमूनों से की जो कभी कोविड पीड़ित नहीं रहे थे.
अब तक, 14 साल से कम उम्र के बच्चों में लॉन्ग कोविड के लक्षणों संबंधी का यह सबसे बड़ा अध्ययन है.
शोधकर्ताओं ने बताया कि कुछ बीमारियों को लंबे समय तक असर डालने वाले कोविड का लक्षण माना जाता है, जैसे सिरदर्द, चिड़चिड़ापन, थकान और पेट दर्द. कोविड पीड़ित रहे बच्चों को अक्सर इनका सामना करना पड़ता है.
हालांकि, अध्ययन में पाया गया कि जिन बच्चों में कोविड का पता चला, उनमें ऐसी बीमारियों का असर असंक्रमित बच्चों की तुलना में लंबे समय तक रहने की संभावना थी. इसका मतलब यह माना गया कि ये लक्षण लॉन्ग कोविड से जुड़े हैं.
अध्ययन शोधकर्ताओं के इस दावे का समर्थन करता है कि कोविड-19 पॉजिटिव पाए गए लगभग एक-तिहाई बच्चे ऐसे लक्षणों का अनुभव कर रहे हैं जो सार्स-कोव-2 संक्रमण से पहले नहीं होते थे.
डेनमार्क स्थितमें कोपेनहेगन यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल में प्रोफेसर और अध्ययन के लेखकों में से एक सेलिना किकेनबोर्ग बर्ग ने एक बयान में कहा, ‘हमारे अध्ययन का समग्र उद्देश्य गुणवत्तापूर्ण जीवन और स्कूल या डे-केयर से अनुपस्थिति के साथ बच्चों और शिशुओं में लंबे समय तक नजर आने वाले कोविड बाद के लक्षणों को निर्धारित करना था.’
अध्ययन के निष्कर्षों के बारे में बताते हुए बर्ग ने कहा कि महामारी ने बच्चों-किशोरों के जीवन के हर पहलू को प्रभावित किया है, और ‘कोविड-19 से उबरे बच्चों में पूर्व में ऐसे संक्रमण की चपेट में नहीं आए बच्चों की तुलना में लंबे समय तक कोविड-बाद के लक्षण पाए जाने की संभावना है.’
बर्ग ने अपने बयान में कहा, ‘हमारे निष्कर्ष किशोरों में लांग कोविड पर पिछले अध्ययनों की पुष्टि ही करते हैं. हालांकि, बच्चों—खासकर इस वर्ग समूह—में लांग कोविड के लक्षण नजर आने की संभावना कम है लेकिन इनकी पहचान करके गंभीरता से इलाज किए जाने की जरूरत है.’
उन्होंने सभी बच्चों पर महामारी के दीर्घकालिक प्रभावों को लेकर आगे शोध की जरूरत पर भी जोर दिया. शोध टीम के मुताबिक, कम उम्र के लोगों पर लॉन्ग कोविड के असर संबंधी अधिकांश पिछले अध्ययन किशोरों पर केंद्रित रहे हैं जबकि शिशुओं और छोटे बच्चों को इसमें शामिल नहीं किया जाता रहा है.
यह भी पढ़ें: कोवैक्सीन की बूस्टर खुराक डेल्टा, ओमीक्रॉन के खिलाफ प्रतिरक्षा को करती है मजबूत
कोविड पीड़ित बच्चों में दो महीने तक नजर आ सकते हैं लक्षण
अध्ययन के तहत शोधकर्ताओं ने 14 वर्ष से कम उम्र के उन बच्चों के माता-पिता या अभिभावकों को सर्वे भेजा, जो जनवरी 2020 से जुलाई 2021 के बीच कोविड-19 पॉजिटिव पाए गए थे. टीम को करीब 11,000 प्रतिक्रियाएं मिलीं, जिसकी फिर उन प्रतिक्रियाओं के साथ तुलना की गई जो 33,000 से अधिक उन बच्चों के अभिभावकों या माता-पिता ने भेजी थीं जो कभी कोविड-19 पॉजिटिव नहीं रहे.
सर्वेक्षण में शामिल बच्चों से लांग कोविड के 23 सबसे आम लक्षणों के बारे में पूछा गया; इसके लिए सर्वेक्षण करने वाले विश्व स्वास्थ्य संगठन की लांग कोविड संबंधी परिभाषा पर निर्भर थे, जिसमें बताया गया है कि संक्रमण के बाद दो महीने से अधिक समय तक क्या-क्या लक्षण नजर आ सकते हैं.
तीन साल से कम उम्र के बच्चों में मुख्य तौर पर चिड़चिड़ापन, चकत्ते पड़ना और पेट दर्द जैसे लक्षण पाए गए.
चार से 11 वर्ष की आयु वर्ग के बच्चों में चिड़चिड़ापन, याद रखने या ध्यान केंद्रित करने में परेशानी, और चकत्ते सबसे अधिक सूचित लक्षण थे.
12-14 आयु वर्ग के बच्चों में थकान, चिड़चिड़ापन और याद रखने या ध्यान केंद्रित करने में परेशानी कुछ प्रमुख लक्षण थे.
अध्ययन में यह भी पाया गया कि सभी आयु समूहों में कोविड-19 से उबरे बच्चों में नियंत्रित समूह (जो बच्चे कभी कोविड से संक्रमित नहीं हुए थे) की तुलना में दो महीने या उससे अधिक समय तक कम से कम एक लक्षण पाए जाने की संभावना अधिक है.
कोविड-19 पॉजिटिव रहे शून्य से तीन आयु वर्ग के 1,194 बच्चों में से कम से कम 40 प्रतिशत ने दो महीने से अधिक समय तक लॉन्ग कोविड के लक्षणों का सामना किया, जबकि पूर्व में संक्रमित नहीं रहे 3,855 बच्चों में से 27 प्रतिशत बच्चों में ऐसे लक्षण देखे गए.
चार से ग्यारह वर्ष वाले आयु वर्ग के बच्चों के लिए यह अनुपात 38 प्रतिशत (5,023 बच्चों में से 1,912) था, जबकि उन 18,372 बच्चों में से यह आंकड़ा 34 प्रतिशत रहा, जो कभी कोविड संक्रमित नहीं रहे थे.
इसी तरह, 12-14 आयु वर्ग के बच्चों के मामले में संक्रमण की चपेट में आए 46 प्रतिशत बच्चों में लांग कोविड के लक्षण दिखे थे, जबकि पहले संक्रमित न होने वालों में यह आंकड़ा 41 प्रतिशत पाया गया.
(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)
यह भी पढ़ें: कोविड के कारण बढ़ी नींद से जुड़ी बीमारियां, कैसे बदल रहा है हमारा स्लीप पैटर्न?